गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025

कासनिया के स्कूल को भूमि.पक्ष मजबूत विरोध कमजोर

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

भाजपा नेता संदीप कासनिया के विवेकानंद स्कूल को भूमि आवंटन का विरोध कांग्रेस पार्टी में केवल दो जने विधायक डुंगर राम गेदर और ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया कर रहे हैं और भाजपा में कोई विरोध नहीं है। कांग्रेस में पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादु बड़े नेताओं में है और उनका कासनिया स्कूल को भूमि मिलने का कोई विरोध नहीं है। कांग्रेस का कोई नेता विरोध में नहीं है। कांग्रेस में हैसियत रखने वाले वरिष्ठ नेता बलराम वर्मा और राजाराम गोदारा का विरोध भी कहीं सामने नहीं है। भाजपा के नेताओं में पूर्व विधायक अशोकनागपाल जिलाध्यक्ष स.शरणपालसिंह मान का भी विरोध नहीं है। नगरपालिका के निवृत हुए अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा और पूर्व अध्यक्षों में आरती शर्मा, काजल छाबड़ा का विरोध नहीं है। कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल और विधानसभा चुनाव लड़ चुके हनुमान मील का भी विरोध नहीं है। भाजपा नेताओं नेतियों का जब विरोध नहीं है तो मतलब यही निकलता है कि भूमि का आवंटन और कब्जा कासनिया स्कूल को हो जाए। भाजपा की सरकार है, सत्ता है सो कांग्रेस के एक विधायक और एक ब्लॉक अध्यक्ष का विरोध भूमि आवंटन में शून्य सरीखा है। सत्ता चाहे तब ऐसे विरोध कागजी विरोध होते हैं जिनकी गिनती कभी भी सत्ता की ओर से नहीं होती।

डूंगराम गेदर विधानसभा में यह मामला उठा सकते हैं और हो सकता है तब तक भूमि आवंटन मंत्री से मंजूर हो जाए। कांग्रेस इसका जमीनी विरोध करती है तो उसके बीस पच्चीस व्यक्तियों से अधिक की उपस्थिति संभव नहीं, क्योंकि पिछले सभी प्रदर्शन ऐसे ही हो पाए हैं। डूंगराम गेदर पर भी प्रमाणिक चर्चा कर ली जाए तो अच्छा रहेगा कि भ्रष्टाचार और गलत कार्यों को वे दोहरी नजर से देखते हैं और उसके अनुरूप ही कार्य करते हैं। संदीप कासनिया के स्कूल को जमीन आवंटित करना गलत है लेकिन  परसराम भाटिया द्वारा नगरपालिका की करोड़ों रूपये की जमीनें घोटालों में आवंटित कर देना सही है। परसराम भाटिया के घोटाले अखबारों में चैनलों पर चलते हैं,छिपे नहीं है लेकिन उन पर विधायक गेदर चुप हैं। परसराम भाटिया को घोटालों की छूट रही है। 

राजनैतिक हालात मित्रता दुश्मनी साझेदारी आदि को सूरतगढ़ में समझना बहुत कठिन है। 

* परसराम भाटिया के भ्रष्टाचारों घोटालों पर सरकार से एक्शन एक क्षण में  पूर्व मंत्री रामप्रताप कासनिया और जिलाध्यक्ष शरणपालसिंह मान करवा सकते हैं लेकिन गंभीरता से सोचिये कि परसराम भाटिया के विरुद्ध कोई कार्वाई नहीं करा रहे। और सोचिये कि परसराम भाटिया के विरूद्ध सूरतगढ़ सिटी थाने में दर्ज मुकदमों में फाईलों में गति नहीं है। और उनको गति दिलवाने में रामप्रताप कासनिया और उनका बेटा संदीप कासनिया एकदम चुप हैं। ये चाहते तो अब तक दो तीन मुकदमों में न्यायालय में चार्जशीट पेश हो चुकी होती। परसराम भाटिया के भ्रष्टाचारों पर भाजपा सारी ही चुप है। सभी मंत्रियों से भेंट रखने वाली पूजा छाबड़ा भी भाटिया और नगरपालिका भ्रष्टाचारों पर चुप क्यों है? 

परसराम भाटिया का अदालत में एक चालान भी होता है तो भाजपा मजबूत होती है लेकिन और चुप्पी साधारण नहीं सभी की तिकड़म है। जनता समझे ना समझे लेकिन यह खेल कांग्रेस के नेता और भाजपा के नेता सभी समझ रहे हैं। भ्रष्टाचारी गलत सलत कर मिल कर खाते रहें और जो इसमें शामिल नहीं हो तो वह अपने हित या बिना हित चुप रहे बस। स्कूल को तो केवल 4 बीघा भूमि है। शहर के कुछ नेताओं की मिलीभगती से कुछ नेताओं की चुप्पी से करोड़ों रूपये की हजारों बीघा जमीन अतिक्रमण, कालोनियों में आसपास अतिक्रमण आदि की भेंट चढ चुकी है। सभी ने भ्रष्टाचार की चद्दर के नीचे धूप बरसात में शरण ली है। सूरतगढ़ 30 अक्टूबर 2025.


०0० 






यह ब्लॉग खोजें