शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025

राजस्थान में मुख्यमंत्री बदले जाने का भुलावा छलावा या नाटक

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

राजस्थान में जनता के काम नहीं हो रहे हैं और जनता को मुख्यमंत्री बदले जाने का भुलावा देते हुए समय व्यतीत करते एक साल हो गया है। यह भुलावा है, छलावा है या नाटक है जो अंतहीन है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार जयपुर में चलती नजर नहीं आ रही तब प्रदेश में कैसे नजर आएगी? मुख्यमंत्री बदलना है तो बदल लो और नहीं बदलना है तो भी साफ खुला कह दिया जाए कि नहीं बदलेंगे? मुख्यमंत्री बदलने का जो प्रचार हो रहा है, वह तो बंद करवा दिया जाए। मुख्यमंत्री बदलने की घोषणा का नाटक आखिर कब तक खेला जाएगा? इसी नाटक में मंत्री मंडल विस्तार, मंत्री मंडल में फेरबदल की चर्चा का नाटक भी चल रहा है। यह भी चलेगा। मुख्यमंत्री बदलेगा की चक्कर घिन्नी में राजनैतिक पद भी घोषित नहीं किए जा रहे। भाजपा अपने ही कार्यकर्ताओं नेताओं से छलावा कर रही है। राजनैतिक पद सत्ता मिलते ही घोषित कर दिए जाने चाहिए। आपस में विरोध हो जाएगा कहते कहते दो साल निकाल देना कोई विशेषता नहीं है बल्कि यह विफलता की कहानी है। मुख्यमंत्री पर्ची से निकला है और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी भाजपा पार्टी संविधान के अनुसार चुना हुआ नहीं। 

नगरनिकायों और पंचायतों के चुनाव कब कराएंगे का असमंजस है। कोई नीति निर्धारित नहीं कि नगरनिकायों में अध्यक्ष सीधा जनता से होगा या नहीं होगा? नगर निकायों में उपखंड अधिकारी और अतिरिक्त जिला कलेक्टरों को प्रशासक बना दिया लेकिन वे दस प्रतिशत भी काम नहीं कर रहे। सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हुआ और उन्हीं को प्रशासक बना दिया। जो अपने कार्यकाल में फेल रहे या जनता के काम ही नहीं किए उन्हीं को ढोने की मजबूरी है।

जहां भाजपा के विधायक हैं उनको छोड़िए जहां हार गये थे,उनको शासन चलाने के लिए खुला छोड़ दिया है, वहां की जनता से हाल पूछा जाए कि क्या हो रहा है? आगे भविष्य शून्य है सो वहां  उनकी मनमर्जी चल रही है। वे अपने और अपने कुनबे को,अपनी संपत्ति,अपनी जाति और अधिकारियों कर्मचारियों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। विधायकों और हारे हुए प्रतिनिधियों के यहां जाति के अधिकारियों कर्मचारियों का बाहुल्य जो सुनते नहीं, केवल नेताजी का ही निर्देश पालन करते हैं। नेता दूसरे नेता और कार्यकर्ताओं का काम नहीं होने देता चाहे भाजपा के ही हों। सर्वाधिक हालात पुलिस,राजस्व तहसीलों, नगरपालिका, पंचायतों के बिगड़े हैं। सरकारी विभागों में कांग्रेस के स्थापित स्टाफ कलेक्टर, अतिरिक्त कलेक्टर, उपखण्ड और तहसीलों में पंद्रह सालों या अधिक के हैं। उनमें से अधिकांश काम नहीं कर रहे।

राजस्थान में लोग दुखी और परेशान हैं तो आज भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से दुखी और परेशान हैं जिसका खुला कारण है कि भाजपा नेता अपना काम करते हैं अपना ही काम कराते हैं, जनता के काम कराने की कोई भी सोच नहीं रहा। सच्चाई तो अधिक कड़वी है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं के भी काम नहीं हो रहे।भाजपा के कार्यकर्ता ही भटक रहे हैं। ऐसी स्थिति है तब आम लोग क्या करें? किसके पीछे लगें?

शासन प्रशासन अधिकारी चला रहे हैं इसलिए प्रदेश का मुखिया सख्त कड़क ही चाहिए। पूरे प्रदेश से बदलाव की मांग हो रही है। सब कुछ बदलाव की।

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17 अक्टूबर 2025.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 62 वर्ष.

( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत लाइफटाईम).

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