गुरुवार, 28 अगस्त 2025

सामाजिक धर्मशाला,भवन विवाद में भूमि नियम

 



* करणीदानसिंह राजपूत *


 सामाजिक भवनं,धर्मशालाओं में भवनों के निर्माण, सामाजिक और व्यावसायिक उपयोग को लेकर विवाद, शिकायतें,मुकदमें आदि चल रहे हैं और झगड़े हो रहे हैं। ये विवाद बढ रहे हैं जिसके तहत समाजों में गुट बनते हैं जो एक दूसरे को नीचा दिखाने, पछाड़ने, हराने में लग जाते हैं और मूल उद्देश्य को छोड़ देते हैं फेंक देते हैं जिस प्रयोजन के लिए सरकार से छूट पर भूमि प्राप्त की थी।

👌 सरकार को भूमि आवंटन के लिए संस्था ने जो आवेदन किया उसमें भूमि का उद्देश्य स्पष्ट लिखा होता है और यह महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है।

👌👌 सरकार की ओर से भूमि आवंटन की स्वीकृति का आदेश भी महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जिसमें नियम धाराएं वर्णित होती है जिनके अनुसार ही भूमि का उपयोग कर सकते हैं।

👌👌👌 जिन प्रयोजन के लिए भूमि ली जाती है, उससे भिन्न उपयोग नहीं किया जा सकता। 

👍 संस्थाएं नियमों के विपरीत भूमि का उपयोग व्यावसायिक करने की कोशिश करती है तब विवाद शुरू हो जाते हैं। संस्था के पदाधिकारी व्यावसायिक निर्माण व उपयोग कराते हैं और अपने खास खास को दुकानें बनाकर देते हैं या बनाने की छूट दे देते हैं। यहां लाभ का सवाल होता है जो कुछ लोग लेते हैं।

वहीं अनेक लोग सदस्य ऐसा व्यावसायिक निर्माण और उपयोग करने के लिए मना करते हैं। समाज की एकता यहां भंग होने लगती है।

** विवाद बढने से एक तो संस्था के भवन का निर्माण और विकास रूक जाता है और लोग समय पर उसका उपयोग ही नहीं कर पाते।

👍 विवाद में पदाधिकारी लोग आवंटन का आवेदन पत्र, आवंटन आदेश दोनों को छुपाते हैं। वे विवाद होने पर अपने लैटरहैड का पद का इस्तेमाल करते हैं और पत्र लिखते हैं,प्रतिनिधि मंडल मिलते हैं। 

👌 अब प्रश्न तो सबसे बड़ा यह होता है कि या तो सभी किसी उपयोग के लिए सहमत हों यदि सहमत नहीं हों तब फैसला सरकार के नियमों के तहत ही हो सकता है,वहां पदाधिकारियों या कानूनी सलाहकारों का मौखिक तर्क नहीं चल सकता। 

* ऐसे विवाद आपसी रजामंदी से तो निपटाए जा सकते हैं लेकिन संस्था के पदाधिकारी पद की धौंस से मनमर्जी से भूमि का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं कर सकते। मंजूर शुदा नक्शे के अनुसार निर्माण न होकर गलत निर्माण हो व विवाद बढे झगड़े की आशंका हो तब किसी भी परिस्थिति में सरकार का अधिकारी भवन को स्थल को सीज कर सकता है ताकि कोई हल निकल सके।

सरकारी नियम क्या कहते हैं ये सभी संस्था पदाधिकारियों को पढने चाहिए। आवेदन पत्र और आवंटन आदेश भी पढना उचित होता है।

👌 जहां सहमति है वहां संस्थाएं चल रही है और भवनों का हर उपयोग भी हो रहा है।


(सूरतगढ़ 28 अगस्त 2025.)

०००००

यह ब्लॉग खोजें