सूरतगढ़.वार्डों के पुनर्गठन में बड़ा खेला:बहुतों की राजनीति खत्म हो जाएगी.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ नगरपालिका में भ्रष्टाचार चुप क्यों हैं भाजपा नेता?
* कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया का नगरपालिका अध्यक्षता काल और भ्रष्टाचार। कांग्रेस भाजपा दोनों चुप.
नगर पालिका सूरतगढ़ के 45 वार्डो का पुनर्गठन घोषित हो गया है जिसको लेकर राजनेताओं में और शहर में चर्चा है कि अनेक नेता और उनके परिवार जो अपने वार्डों को पैतृक संपत्ति के रूप में समझने लगे,अपने मठ समझने लगे,खुद को मठाधीश समझने लगे थे वे अब पुन:सीमांकन से चुनाव लड़े बिना ही हार गए हैं। ऐसे लग रहा है कि मानो उनकी जमानत ही जब्त हो गई है। *हालत यह रहे हैं कि अनेक वार्डों में जो पार्षद शाही चली उसके अनुसार चुनाव में लडूंगा, स्त्री की सीट आई तो मेरी पत्नी लड़ेगी,कुछ और परिवर्तन हुआ तो मेरी बहू को लड़ाएंगे लेकिन वार्ड की सत्ता को किसी भी हालत में अपने परिवार से बाहर जाने नहीं देंगे। मैं और मेरा परिवार बस इसके अलावा कोई व्यक्ति दूसरा टिकट मांगता ही क्यों है? चुनाव लड़ने की सोचता ही क्यों है? ऐसे परिवारों पर अब संकट सा गया है। ऐसे परिवार केवल एक पार्टी में नहीं भाजपा से संबंधित भी हैं और कांग्रेस से संबंधित हुए हैं। वे ही लड़ते हैं वे ही जीतते हैं। उनके ही नगरपालिका के कारनामे उजागर होते हैं या निकम्मापन साबित होता है। जानबूझकर किसी का काम नहीं करना भी साबित होता है। यह सब शहर की जनता देख रही थी।
👌 इस बार चुनाव में अध्यक्ष पद का चुनाव सीधे जनता से होगा या पहले पार्षद चुने जाएंगे और फिर पार्षद अपना अध्यक्ष उपाध्यक्ष चुनेंगे? यह अभी पर्दे के पीछे है। सरकार ने अभी कोई घोषणा नहीं की है लेकिन जिस तरह से वार्डों के पुनर्गठन की घोषणा के बाद चर्चा जनता में चल रही है उससे लगता है कि अनेक लोगों के सपने छिन गए हैं या टुकड़े-टुकड़े हो गए हैं।
**जहां से वोटो की पॉन्ड (पोटली) मिलती थी उसमें विभाजन हो गया है। अब थोड़े से वोटो से पार्षदशाही चलाने वाले जीत नहीं सकते। सच तो यह है कि ऐसे लोगों ने पार्षद बनने के बाद पालिका में वातावरण दूषित किया, जिसके कारण शहर के विकास कार्य नहीं हो पाए। जनता आज भी अच्छी सड़कों और सड़क गलियों में रात्रि बिजली के लिए परेशान है। वहीं मोदी जी का सफाई का सपना कदम कदम पर झूठा सा साबित हो रहा है। सड़कों गलियों में कचरे के ढेर हैं और नाले नालियों में गंदगी भरी पड़ी है,और डबल इंजन सरकार के प्रतिनिधि कोई भी बोल नहीं रहे हैं। आश्चर्य जनक तो यह है कि जिस प्रतिपक्ष कांग्रेस स्थान इंगित करते हुए बोलना चाहिए वह चुप है। सूरतगढ़ में कांग्रेस के विधायक हैं पार्टी है लेकिन वे और पदाधिकारी कुछ भी शिकायत करने को तैयार नहीं है। विधायक की दुखती रग और कांग्रेस की नाजुक हालत यह है कि कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया के कार्यकाल में 120 दिन में जो भ्रष्टाचार पट्टों से संबंधित मामले स्थानीय ब्लास्ट की आवाज में उजागर हुए उनमें इस लूट के अंदर कांग्रेसियों के साथ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने भी जमकर भ्रष्टाचार किया। *फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी वोटर लिस्ट के आधार पर पट्टे प्राप्त करने वाले अब बुरी तरह से छटपटा रहे हैं कि किसी तरह से अखबार में न्यूज़ न छपे और लाखों रुपए की संपत्ति के मालिक बने रहें। परसराम भाटिया पर गलत ढंग से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पट्टे बांटने के बहुत बड़े आरोप हैं। अभी तो कुछ मामले ही खुले हैं। ऐसे मामले छापने से पहले रिकॉर्ड ले पाना ही बहुत बड़ा प्रयास होता है। भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड आसानी से नहीं मिलता।
पट्टे लेने वाले परिवार चुप हैं,भागदौड़ कर रहे हैं कि किसी तरह से मामले दबे रह जाएं।
* आश्चर्य तो यह है कि परसराम भाटिया कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष हैं जो 120 दिन नगरपालिका के अध्यक्ष के पद पर रहे।
👌परसराम भाटिया के अध्यक्ष कार्यकाल के भ्रष्टाचार उजागर होने पर स्थानीय विधायक डूंगर राम गेदर अपना मुंह खोल नहीं रहे हैं, बल्कि हर कार्यक्रम में परसराम भाटिया के बिना उनका पहिया 1 इंच भी घूम नहीं सकता। यहां बात केवल कांग्रेस की नहीं परसराम भाटिया के कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपनी फोटो, अपनी पत्नियों के फोटो चिपका के फर्जीवाड़ा करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी वोटर लिस्ट के आधार पर सूरतगढ़ का नागरिक बताते हुए पट्टे लिए और उनकी ही पार्टी राज व प्रशासन में परसराम भाटिया के घोटालों पर भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता चुप हैं। नगर मंडल यह मामले ऊपर दे सकता है। नगर मंडल अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष जिले के अन्य पदाधिकारी रह चुके नेता और नेता,मोर्चा के अध्यक्ष पदाधिकारी सभी ने अपने मुंह भयानक भ्रष्टाचार पर बंद कर रखे हैं।
क्या उनके मुंह बंद रखने से परसराम भाटिया बच सकेंगे?क्या उनके मुंह बंद रखने से जिन लोगों ने पति-पत्नी ने लाखों करोड़ों की जमीन प्राप्त की वे बच जाएंगे? यहां यह बताना उचित होगा कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अभियान में गरीबों के लिए आवाज नहीं उठाई,अगर गरीबों की तरफ से आवाज उठाते गरीबों की सहायता करते तो उनको भी काबिज भूमि के पट्टे मिल जाते। कोई भी फाइल नगर पालिका में बाकी नहीं रहती। पट्टों के आवेदकों के साथ कुछ पार्षद जरूर नगर पालिका के चक्कर काटते रहे परेशान होते रहे जिन्होंने कुछ काम भी करवाए। लेकिन कांग्रेस बीजेपी पार्टियों की तरफ से किसी ने भी कभी कोशिश नहीं की। जो अपने आप को नेता समझते हैं उन्होंने भी कभी कोशिश नहीं की। इन सब की कोशिश एक ही है कि परसराम भाटिया के कार्यकाल में जो भ्रष्टाचार हुए उन पर बोला नहीं जाए लिखा नहीं जाए,सारे मामले दबे रहें। और जो लिखता है छपता है तो उसको झूठे मुकदमों में फंसाया जाए।
* परसराम भाटिया पर भ्रष्टाचार के मुकदमे सिटी थाने में महीनों से पैंडिंग पड़े हैं उन पर भाजपा के दिग्गज नेता कासनिया और उनकी टीम और पूर्व विधायक अशोक नागपाल
चुप हैं। * कांग्रेस से भाजपा में आए हनुमान मील,पूजा छाबड़ा आदि भी चुप हैं। आरोपों से घिरे होने के बावजूद परसराम भाटिया भाजपा नेताओं के मुंह में बार बार मुंह में उंगलियां फिराता चैलेंज करता है केस करता है। ताजा उदाहरण है विवेकानंद स्कूल जाखड़ावाली को सूरतगढ़ में भूमि आवंटन के नगरपालिका प्रस्ताव पर हाईकोर्ट से स्थगन करवाना। आरोप तो पहले ही लगाए जा रहे थे अब भाजपा सरकार तक के हाथ बांध दिए।
* फिलहाल शहर की नयी गर्मागर्म राजनीति पर चर्चा करें सोचें। नगरपालिका के वार्डों के पुनर्गठन में बहुत बड़ा खेला हो जाने की चर्चा जोरों पर है। बहुत से पुराने मठाधीशों की तो राजनीति खत्म हो जाएगी। नये नेताओं का उदय होगा और निकम्मे लोग पार्षदगी का चुनाव जीत नहीं पाएंगे। अनेकों को तो पार्टियां टिकट भी नहीं देंगी। मुख्य चुनावी युद्ध भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा। नया समीकरण बनने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती।०0०
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