आओ,फिर हम दीप जलाएं: कविता.
आओ फिर हम दीप जलाएं
घर घर रोशन कर जाऐगा
चाहे वो हो ज्ञान का दीप
या हो रब की रहमत का।
हर सामाजिक बुराई को
जड़ से मिटाएं हम
आओ फिर हम दीप जलाएं
घर घर रोशन कर जाएगा।
घर घर हम प्रेम कीअलख जगाएं
भटके हुओं को राह दिखाऐं
बैर भाव के भेदभाव को दूर हटाएं
इन्सानियत को जग में फैलाएं।
* दीप्ती कौर
गाज़ियाबाद ( भारत)
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