रविवार, 14 अप्रैल 2024

झोला ढूंढ कर मोदी जी को थमाने का वक्त आ गया है.लोग ऐसा क्यों मानने लगे हैं?

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

अब वह समय आ गया है कि जनता उनके हाथों में झोला डंडा थमा कर रवाना करे,क्योंकि वे स्वयं अब जाने वाले नहीं है। इस साधु का मन राज में रम गया है। मन को ऐसा रमा लिया है कि किसी भी मंत्री को बोलने झंडी दिखाने लोकार्पण शिलान्यास करने का मौका नहीं देते। सभी मंत्रियों के काम अकेले करते हैं।सभी मंत्रियों के अधिकार अपने में समाहित कर लिए हैं और बोले तो पद भी छिन जाएगा इसलिए कहीं से चूं की आवाज भी नहीं आ रही। जब सारे काम अपने ही दिखाने हैं तो मंत्रियों की संख्या 8-10 तक सीमित करके खर्च कम करने का उदाहरण पेश किया जा सकता है। एक अनूठा प्रयोग किया जा सकता है लेकिन अभी यह सुझाव किसी ने दिया नहीं है।

मोदीजी जी ने भाषण जरूर दिया था राजपाट छोड़ने का लेकिन अपनी मर्जी से अब राज छोड़कर जाने वाले नहीं है। झोला ढूंढ कर मोदी जी को थमाने का वक्त आ गया है। लोग ऐसा  मानने लगे हैं?

मोदी जी ने यह भाषण दिया था" हमारा क्या है हम तो फकीर हैं, जब चाहेंगे झोला डंडा उठा कर चल देंगे।" आखिर जनता के विचारों में से मोदीजी दूर कैसे होते जा रहे हैं।

पीएम केयर फंड में कितना रूपया जमा किया कितना कहां खर्च किया? कोई हिसाब नहीं मांग सकता। सूचना अधिकार से भी नहीं मांग सकते।आखिर यह नियम क्यों बनाया? देशवासियों से क्यों छिपाया? प्रधानमंत्री यह क्यों छिपाना चाहते हैं? क्या धन का खर्च ऐसी जगह ऐसे कामों पर खर्च हुआ जो जनता में मान्य नहीं हो। देश का ही धन और उसके लिए देशवासी जान नहीं सकते।


नोटबंदी जिसमें लाखों लघु उद्योग बंद हुए करोड़ों लोगों की रोजी रोटी छिन गई और मोदी जी शाबासी लेते रहे। नई करैंसी छापी गई उसका खर्च कितना आया?

अनेक काम और योजनाएं हैं जो सवालों के घेरे में हैं।

इलेक्ट्रिकल बांड का भी भंडाफोड़ हो गया।

विदेशों से  कालाधन लाने का बड़ा वादा था। वह ला नहीं पाए। आश्चर्य जनक यह हुआ है कि मोदी राज में स्विस बैंकों में कालाधन बढ गया है। यह कैसे बढा?

* जो पूंजी पति धंधे बाज करोड़ों रूपये बैंकों का लेकर विदेश भाग गये उनको वापस नहीं ला पाए। कितना प्रयास किया। करोड़ों रूपये डकारने वाले विदेशों में ऐयाश जीवन जी रहे हैं और भारत में कानून का पालन करने वाले गरीबी जीवन। 

गाय को माता कहने की राजनीति में विपक्ष पर भाजपा के लोग आरोप लगाते रहे। मोदी सरकार ने कत्लकारखानों के आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों रूपये दिए ताकि वे अधिक मांस विदशों को भेज सकें। अब तो यह भी सामने आ गया है कि कत्लकारखाने वाले बड़े मालिक से करोड़ों का चंदा भी लिया है। 

गुजरात में अजब गजब शराब नीति है जहां शराबबंदी है और अवैध रूप से हर स्थान पर उपलब्ध है। कालाबाजरिये तस्कर हर दिन करोड़ों रूपये कमा रहे हैं तो अकूत संपत्ति भी बना चुके हैं, जहां पर ईडी सीबीआई आदि कोई छापे नहीं मारती लेकिन दिल्ली में छापेमारी करती है। और केवल बयान पर कार्यवाही करती है,मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की आप सरकार आंखों में खटक रही है सो केवल एक बयान पर केजरीवाल को जेल भेज दिया। बयान देने वाला भाजपा से संबंधित है। बयान पर पहले जांच होती यदि कुछ तथ्य मिलते तब गिरफ्तारी होती तो जनता सही मानती। जिस शराब नीति का हल्ला मचाया जा रहा है उसको उपराज्यपाल स्वीकृत कर चुके थे।ऐसा क्यों हुआ? करोड़ों रूपया खाने का आरोप है लेकिन कहीं बरामदगी नहीं हुई तो पैसा कहां गया? इससे भाजपा की बदनामी हुई है। जहां अभी तक कुछ मिला नहीं वहां केजरीवाल और उसके मंत्री को पकड़ना और करोडो़ं रूपये खाने वाले भ्रष्टाचारियों को जेल में नहीं भेजकर भाजपा में शामिल कर स्वागत करना आश्चर्यजनक है। ऐसे कामों से विपक्ष को कुचलने जेल में डालने की राजनीति को भाजपा अच्छा बताए,चाहे मोदी जी का प्रचार करे लेकिन जनता अच्छा नहीं समझ रही है। 

*झोला डंडा ढूंढ कर मोदी जी को थमाने का वक्त आ गया है।लोग ऐसा क्यों मानने लगे हैं?लोकतंत्र में किसी को सत्ता में लाना या हटाना है तो वह चुनाव और वोट है। लोकसभा के आमचुनाव 2024 के परिणाम के बाद ही जनता के भीतर की सही सोच उजागर हो पाएगी। 

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बाबा भीमराव अम्बेडकर जयंती

14 अप्रैल 2024.

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करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार, सूरतगढ़. राजस्थान.

94143 81356

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