गुरुवार, 7 मार्च 2024

कालवा वापसी के 15 दिन का काम:गति की मांग: आचार संहिता का डर.




* करणीदानसिंह राजपूत *

नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा की सस्पेंशन से बहाली 20 फरवरी 2024 को हुई जिसके 15 दिन बीतने पर परिणाम की चींटी चाल पर हैरानी हो रही है। संघ और भाजपा के पार्षद ही काम की गति और अपने ही कामों फाईलों पर इंतजार में है।पट्टों की नोटिस जारी हुई पूर्ण हो चुकी फाईलों पर भी इंतजार है और लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगने का भय सता रहा है कि उनका काम अटक जाएगा।पट्टों की गति जिस पर भाजपा पार्षद ही हैरान हैं कि इस चींटी चाल से तो 100-150 पट्टे ही बड़ी मुश्किल से हस्ताक्षर होंगे और मिलेंगे या नहीं मिलेंगे का कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा।भाजपा पार्षद अपने वार्ड के पट्टों पर क्या बोलें,उनके नजदीकी वोटरों को देरी होना परेशान कर रहा है।

👌 राजस्थान की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की 100 दिन की कार्ययोजना बनी और उसके कार्यों की समीक्षा भी हो गई। यहां चुनाव आचार संहिता के लगने का लगभग समय मार्च दूसरा सप्ताह संभावित माना जा रहा तो फिर यहां भी कोई कार्ययोजना बनाई जाती। साफ सफाई बाजार के अतिक्रमण पर चैयरमेन ओमप्रकाश कालवा और अधिशासी अधिकारी पूजा शर्मा का ध्यान ही नहीं।एक भी निरीक्षण नहीं। बस,एक सफलता हुई है कि अनूपगढ़ से स्थानांतरित होकर पूजा शर्मा अपने घर सूरतगढ़ आ गई। 20 फरवरी को ही पूजा शर्मा ने यहां कार्यभार ग्रहण किया। कर्मचारियों की ड्युटी बाबत सरकार के निर्देश और आदेश का पालन नहीं कर रही। 

👍 चुभती हुई बातों में जो हालात बयान हो रहे हैं कि कार्यवाहक अध्यक्ष परसराम भाटिया ने पट्टे और अन्य कार्य युद्ध स्तर पर किये। यह बात जब भाजपा के कार्यकर्ता कहे तो विचारणीय हालात हैं।

👍 पट्टों की जो फाईलें पूर्ण होने के बाद अखबारों में सूचनाएं दी गई और कोई आपत्ति नहीं आई उनको शिविर के चक्कर में रोके रखना उचित नहीं। लोगों को आचार संहिता का भय लग रहा है तो वह निर्रथक नहीं है। कितने पट्टे दे दिए गए कि संख्या ही गिनती में आएगी, शिविर की गणना का बखान नहीं होता।





** 20 फरवरी को पूर्व विधायक रामप्रताप कासनिया और ओमप्रकाश कालवा के बयान थे कि बड़े लोगों के अतिक्रमण तोड़े जाएंगे।भूमाफिया को पनपने नहीं दिया जाएगा। झुग्गी झोंपडियों को उजाड़ा नहीं जाएगा। पट्टों का काम तेजी से होगा। 

👍 अतिक्रमण केवल 1 ही तोड़ा गया। एक पखवाड़े में अतिक्रमण ही नहीं मिले या इस पर कोई दबाव हो गया? पट्टे मामले में जब संघ के कार्यकर्ता और भाजपा पार्षद ही हैरान हो रहे हैं तो कामकाज का तरीका बदलकर तेजी लाई जानी चाहिए ताकि लोकसभा चुनाव आचार संहिता से पहले कुछ कह पाने की स्थिति तो बन जाए।०0०





















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