मंगलवार, 16 जनवरी 2024

डुंगर गेदर और रुपिन्दर कुन्नर की शूलें चुभती रहेंगी: इनको फेल करने में भी हारेंगे

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

डुंगरराम गेदर सूरतगढ़  और रुपिन्दर कुन्नर श्रीकरणपुर  को हराने में हर संभव कोशिश के बावजूद दोनों की जीत से राजनीतिक ईज्जत दांव पर लग गई। अब इनको फेल करने की नीयत और प्रयासों में भी सफलता नहीं मिलेगी तब एक बार फिर राजनीति धूल में मिल जाएगी। इनकी जीत पच नहीं रही। इनको फेल करने के लिए काम काज को लेकर बदनाम करने को अड़गें लगाएंगे लगवाएंगे जो जनता को स्वीकार नहीं होंगे।अब जो भी हो ये पांच साल छाती पर बैठे रहेंगे और यही हालत सहन नहीं हो रही।


*सूरतगढ़ में भाजपा के  पूर्वराज्यमंत्री रामप्रताप कासनिया कांग्रेसी पूर्व विधायक गंगाजल मील व ग्रुप का समर्थन लेकर भी 50 हजार से अधिक वोटों से हारे। *श्रीकरणपुर में  सुरेन्द्र पाल सिंह को चुनाव होने से पहले राज्य मंत्री बनाया मगर फिर भी  जीता नहीं पाए। सुरेंद्रपालसिंह 2013 में जीते तब राज्यामंत्री बना दिए गये थे।



* आखिर इन प्रयासों के बावजूद रामप्रताप कासनिया और सुरेंद्रपालसिंह क्यों हार गये? इस बड़े सवाल का साधारण सा जवाब मिलता है कि इन्होंने जनता से संपर्क नहीं रखा। सुरेंद्रपालसिंह 2013 में जीतने और राज्यमंत्री होने पर जनता के काम नहीं आए। सन् 2023 तक जनता से दूरियां बढती गई। यही हाल कासनिया का रहा। कासनिया 2018 से 2023 तक विधायक रहने के बावजूद भी लोगों के काम नहीं आए जिसके कारण जनता से दूरियां बढती गई। दोनों ही स्थानों सूरतगढ़ एवं श्रीकरणपुर में लोगों की मांग थी कि नये चेहरों को टिकटें दी जाए लेकिन भाजपा ने इस मांग को ठुकरा दिया। भाजपा के उच्च नेताओं को सब मालुम था। 

** रामप्रताप कासनिया और सुरेंद्रपालसिंह को टिकटें दिलवाने में कौन कौन नेता शामिल थे और वे किन कारणों से शामिल थे? इसकी जिस दिन समीक्षा होगी तब सारी पोल खुल जाएगी। श्रीगंगानगर जिले से भाजपा संगठन और जिला अध्यक्ष सरदार शरणपालसिंह मान का क्या रोल रहा था मालुम होगा तब शायद पदों पर ही नहीं रह पाएं।

* सूरतगढ़ में तो कांग्रेस के हनुमान मील और भाजपा के रामप्रताप कासनिया का जबरदस्त विरोध था। कांग्रेस ने तो बदलाव कर डुंगरराम गेदर मूल ओबीसी कुम्हार को टिकट दे दी लेकिन भाजपा ने झूठी सिफारिशों को माना और बदलाव नहीं किया। भाजपा भी यहां बदलाव करती और मूल ओबीसी को टिकट दे देती तो नये चेहरों में बराबर की टक्कर होती तो भाजपा के जीतने के चांस हो जाते। डुंगरराम गेदर को हराने के लिए गंगाजल मील ने और मील के ग्रुप ने तो मर्यादाओं की सभी हदें पार कर दी और राजनीतिक दुश्मन कासनिया से मिल गये। लेकिन फिर भी गेदर को हरा नहीं पाए।

* गेदर को हराने की कोशिशें करने पर राजनीतिक बेईज्ज़ती करवाई। अब जीत जाने के बाद अनेक डुंगरराम गेदर को फेल करना चाहते हैं। इस प्रयास में मौखिक अभियान तो शुरू भी है कि डुंगरराम फेल होगा। अभी तो किसी भी सीट पर काम शुरू भी नहीं हुए हैं लेकिन इससे पहले ही दुर्भावनाएं फैलाई जा रही है। 

* अनेक प्रयासों के बाद भी डुंगरराम गेदर सूरतगढ़  और रुपिन्दर कुन्नर को हराया नहीं जा सका और हराने के प्रयासों में लगे लोगों के लिए ये बबूल ऊग गये जिनकी शूलें दिलों दिमागों में हर समय चुभती रहेंगी।




👍 भाजपा को मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाना है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में श्रीगंगानगर सीट पर सांसद के लिए नया चेहरा खोज लेना चाहिए क्योंकि निहालचंद जनता की पहली पसंद नहीं रहे हैं।इनको फेल करने के लिए काम काज को लेकर बदनाम करने को अड़गें लगाएंगे लगवाएंगे जो जनता को स्वीकार नहीं होंगे। बदलाव की आवाजें आकाश गूंजाने लगी हैं और गलती की गई तो यह संसदीय सीट भाजपा खो देगी।०0०

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करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ़.

94143 81356

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