* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ विधानसभा क्षेत्र में कांंग्रेस और भाजपा दोनों बड़ी पार्टियों में बदलाव की मांग शहर और गांवों से उठी जिसको कांंग्रेस ने समझा और नया चेहरा उतारा मूल ओबीसी कुम्हार डुंगराम गेदर को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
राजनीतिक कोई बड़ा घटनाक्रम नहीं हुआ तो डुंगराम गेदर जनता की सोच में बड़ा वजनदार उम्मीदवार माना जा रहा है।
डुंगरराम गेदर की जीत से लगातार दो बार हारी (2013 और सन् 2018 में हारी) हुई कांग्रेस भारी बहुमत से जीत जाएगी। लोगों का मानना है कि डुंगराम गेदर की जीत से बड़े नेताओं की राजनीति पर असर होगा और उनकी राजनीति खत्म सी हो जाएगी। बीसियों सालों से राजनीति के दिग्गज कहलाने वाले और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं भाजपा के रामप्रताप कासनिया,राजेंद्र सिंह भादु,कांंग्रेस के गंगाजल मील,हनुमानमील,बसपा के महेंद्र भादू,जननायक जनता पार्टी के पृथ्वीराज मील पर डुंगराम गेदर की जीत से असर पड़ेगा। इनकी राजनीति खत्म हो जाएगी लोग डुंगर के दरवाजे पर जाएंगे जब भी कोई काम पड़ेगा।
चूंकि डुंगराम गेदर कांंग्रेस का उम्मीदवार है इसलिए उसकी जीत को रोकने के लिए भाजपा, बसपा और जननायक जनता पार्टी कितना जोर लगा पाएगी वह फिलहाल नजरों में नहीं आ रहा है। सभी मिलकर एक होकर डुंगराम को रोक सकते हैं मगर सभी राजनेताओं के विचार और पार्टियां भिन्न हैं। सभी एक हो जाएं तो डुंगर को रोक कर अपने अस्तित्व को बचाने में कामयाब हो सकते हैं। लेकिन यह आसान नहीं लगता।
भाजपा में भी बदलाव और नये चेहरे की मांग उठी थी लेकिन भाजपा ने जनबल को ठुकरा कर विधायक रामप्रताप कासनिया को ही पुनः उम्मीदवार घोषित कर दिया। लोगों का मानना है कि भाजपा की इस घोषणा से डुंगराम गेदर की स्थिति और मजबूत हो गई है। ०0० 2 नवंबर 2023.
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