डुंगरराम गेदर की पावर चुनाव में डबल हुई:मील बाहर,लखटकिया बनेंगे गेदर
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र की चुनावी राजनीति में जनता की पहली पसंद बने डुंगरराम गेदर डबल पावर वाले बन गये। पूर्व विधायक गंगाजल मील सहित चार दिग्गज मील नेताओं को पार्टी से बाहर निकाले जाने के बाद गेदर एक लाख़ से अधिक वाले हीरे बन गये हैं। मील डुंगरराम को हराने के लिए भाजपा के रामप्रताप कासनिया का खुला समर्थन कर रहे धे। हालांकि इससे कासनिया को प्रचार के अलावा वोटों का कोई अधिक लाभ नहीं मिल रहा था।
* मील से परेशान रहे लोग *
👍 सूरतगढ़ में सन् 2008 से 2013 तक गंगाजल मील विधायक रहे। उनके कामों से लोग बेहद नाराज रहे और 2013 में गंगाजल मील को बुरी तरह से हरा दिया। मील तीसरे क्रम पर धकेल दिए गये। उस समय जनता ने राजेन्द्र भादू (भाजपा) को जिताया।
गंगाजल मील हारे फिर भी 2018 में हनुमान मील को टिकट दिला लाए। जनता ने फिर पटखनी दे दी और हनुमान मील को भी हरा दिया।
लगातार हार के बावजूद मील सर्वे सर्वा रहे। अपनी मर्जी से काम किए या जो नजदीकी सलाहकारों ने करवाए। इनके कामों से लोग लगातार नाराज थे नाराजगी बढती रही। लोग नये चेहरे की मांग कर रहे थे।
* मीडिया के वरिष्ठ पत्रकारों ने व्यवस्था सुधारने की रवैया बदलने की सलाह सुझाव दिऐ मगर नजदीकी सलाहकारों ने झूठ पकड़ाए रखा।
*नगरपालिका कार्यालय और क्षेत्र में जमीनों मामलों में मील बदनाम और जनता इनसे दूर होती गई। मील का जनता में विरोध था। कांग्रेस ने इसलिए हनुमान मील को पिछला 2018 का चुनाव हारे होने के कारण इस बार दुबारा टिकट नहीं दी।
मील ने इस निर्णय से नाराज होकर भाजपा को समर्थन दिया। मील ने 2018 के चुनाव के बाद लड़ाई के कितने ही फ्रंट खोल लिए। सरपंच श्रीमती पपली के खिलाफ फ्रंट खोला तब फिर वरिष्ठ मीडिया ने समझाया कि चुनाव के दो महीने हैं ये फ्रंट खोलने बंद करो नुकसान होगा।
* हनुमान को टिकट नहीं मिला तो धैर्य रखना था। डुंगरराम गेदर का साथ देना था लेकिन डुंगरराम गेदर को हराने के लिए फिर सीधा फ्रंट खोल लिया। यहां और अधिक बड़ी गलती की। दुश्मन भाजपा से जा मिले। यह गलती जयपुर से सूरतगढ़ तक घमंड से हुई। अशोक गहलोत कुछ नहीं। कांग्रेस भी कुछ नहीं। डुंगरराम को हराकर कांग्रेस और गहलोत को सबक सिखलाना नीचा दिखलाना चाहते थे। यह पासा उल्टा पड़ गया। कांग्रेस ने चुनाव मतदान से करीब 36 घंटें पहले 4 मीलों को पार्टी से निकाल बाहर किया। पूर्व विधायक गंगाजल मील,पंचायत समिति के प्रधान हजारीराम मील, पंचायत समिति के डायरेक्टर हेतराम मील और हनुमान मील चारों को निकाल दिया। अब कहां जाएंगे फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन कासनिया और भाजपा के साथ अधिक दिनों तक नहीं रह सकते।
* डुंगरराम डबल पावर बन गया*
👍 डुंगरराम गेदर इन मीलों से राजनैतिक रूप से मरा नहीं। मीलों की गलती और भाजपा में गलत टिकट वितरण से लोगों की नाराजगी से मूल ओबीसी का डुंगरराम डबल पावर वाला लाखों का हीरा बन गया। जनता की पहली पसंद और पक्की हो गई।
* भाजपा ने मजबूत नये चेहरे मौजूद होते हुए बड़ी गलती कर दी *
* भाजपा की भी बाहरी और अंदरूनी हालत पतली है। जन विरोध के बावजूद 72 साला रामप्रताप कासनिया को पुनः टिकट दिया गया जबकि लोग बदलाव की नये चेहरे की मांग कर रहे थे। मजबूत नये चेहरे टिकटार्थी जयपुर दिल्ली नेताओं के चक्कर लगाते रहे और अपने कामों का इतिहास बताते रहे। कासनिया को जनता पसंद नहीं करती। कासनिया 5 साल जनता के बीच नहीं थे। जनता भ्रष्टाचार में मील की बपोती में पिसती रही। उन मील को साथ मिलाया।
भाजपा कार्यकर्ता भी खुश नहीं। टिकटार्थी खुश नहीं। टिकटार्थी अपनी शक्ल दिखाने जाते है।
भारी विरोध के बावजूद कासनिया को टिकट देना गलती है जो पार्टी नेता चुनाव परिणाम के बाद मानेंगे। हालांकि हालात तो अभी सामने आते जा रहे हैं। कासनिया की 23 की रैली में करीब ढाई हजार आदमी थे। टिकटार्थी भी आदमी लाते तो 10 हजार से अधिक होते। टिकटार्थी अकेले अकेले आए।
कासनिया और नगर मंडल में बहुत अकड़ है। लोग देखते रहे हैं। इस कारण भी असर होगा।
* मील और कालवा को साथ लेना भारी नुकसान पहुंचाने वाला- लोग अंदर खार आए बैठे हैं.
* अनेक पुराने कार्यकर्ताओं से बात तक नहीं की लेकिन जनता में राजनैतिक रूप से बेहद बदनाम गंगाजल मील को साथ ले लिया। इससे पहले नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा को लिया जो भ्रष्टाचार में बदनाम और बाद में सस्पेंड हुए। इसके बाद मीलों का समर्थन लेना। लोग अंदर ही अंदर खार खाए बैठे हैं कि कासनिया मील कालवा सभी को एक साथ ही फाईनली घर बैठा देने की तैयारी में हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं में कासनिया से नाराजगी थी कि पांच साल जनता की परेशानियों में साथ नहीं रहे ऊपर से मील और कालवा के आने से कोई खुशी नहीं है।
* सोशल मीडिया पर लोग डुंगरराम गेदर और समर्थकों को उकसाने की कोशिश करते रहे हैं ताकि उनके मुंह से कुछ गलत निकले लेकिन उन्होंने साफ कह दिया की वे धर्म और जाति की राजनीति नहीं करते। आम लोगों के लिए काम करते रहे हैं और करेंगे।
** लोगों का मानस डुंगर पर चढने का है। आवाज यही आ रही है। हर बूथ पर गेदर होगा।
👍 कांग्रेस के डुंगरराम गेदर,भाजपा के रामप्रताप कासनिया और भाजपा के बागी राजेंद्र सिंह भादू के बीच तिकोनी टक्कर मान रहे है।
जेजेपी के पृथ्वी मील आम आदमी पार्टी के लीलाधर स्वामी सहित अन्य उम्मीदवार भी है। लेकिन यह माना जा रहा है कि यह चुनाव सूरतगढ़ की राजनीति में बदलाव लाने वाला होगा। पुराने सभी को घर बैठाएगा और नये नेता पैदा होंगे।
24 नवंबर 2023.
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