* करणीदानसिंह राजपूत *
तेरह जुलाई को ओमप्रकाश कालवा का भविष्य तय होगा तो उसके साथ ही मील का भविष्य भी तय होगा जो तनातनी से लग रहा है। नगरपालिका की अध्यक्षता और सदस्यता खत्म होगी तो और किसी कूटनीति की बाजी से बच निकलने में सफल हो जाएगा तो ओमप्रकाश कालवा का क्रोध बदले में मील की विधायकी को निगल जाएगा। कालवा का मौन है तूफान से पहले की शांति जैसा। मील अध्यक्षता और सदस्यता छीनने में रोल अदा करें तो कालवा बदला तो लेगा। अजगर निगलेगा तो फिर बचेगा कुछ नहीं। सदा के लिए विधायकी अदृश्य हो जाएगी। अध्यक्षता और सदस्यता खत्म होगी तो कोई भी कमरे में बंद होकर तो जीवन नहीं काटेगा। कालवा और कासनिया को मालुम है कि तेरह जुलाई का दिन तय करेगा कि आगे मील की राजनीतिक मौत के लिए कितनी पावर से काम करना है। कालवा और कासनिया को हल्के में लेना भी खतरनाक होगा। मील के साथ जो आज मौजूद हैं वे अजगर से बचाने वाले नहीं है। एक भी नहीं। मील को तमाशा बाजों ने घेर रखा है जिनके पास मील को बचाने की कोई योजना नहीं है। मील 2013 और 2018 के चुनावों में पराजित होकर भी सही रास्ता नहीं चुन पाए। आज चप्पे चप्पे में गांव गुहाड़ शहर मोहल्ला में विरोध है। लोगों का मानना है कि टिकट ही नहीं मिलेगी और टिकट ले आए तो बदला लेने को कालवा कोई कसर नहीं छोड़ेगा। मील सस्पेंड करवा कर कालवा के बदले किसे अध्यक्ष बनाएंगे और वह कितना पावरफुल होगा कि हस्ताक्षर करता रहेगा। यह तो आगे देखा जाएगा।
मगर फिलहाल तो तेरह का खतरा तेरह की चोट और बिफरे हुए अजगर को कैसे करेंगे काबू कि विधायकी को निगल नहीं पाए। मील को अपनी मजबूती को जांच लेना चाहिए क्योंकि तीन चार महीने से तो मील की तरफ से कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा। मील के विरुद्ध हल्ला बढ रहा है मील तक पहुंच भी रहा होगा। ऐसे में एक और मील की वापसी और वह मील भी नाराज।
इलाके में जनता की बढती नाराजगी और ऐसे में अजगर का क्रोध। कालिया नाग हो चाहे कोई अजगर छेड़ने पर होते हैं खतरनाक।
तेरह का दिन सूरतगढ़ की राजनीति का महत्वपूर्ण निर्णायक दिन होगा। ०0०
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