शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

कालवा भाजपा में शामिल हुए: कासनिया मील में कौन जीता कौन हारा.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 24 फरवरी 2023.

नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा भ्रष्टाचार के आरोपों और सीवरेज घोटाले के मुकदमे से घिरे हुए,अविश्वास प्रस्ताव के आने की आहट और भाजपा पार्षदों के धरने और मील की नाराजगी से परेशान होकर भाजपा में घुस गए। भ्रष्टाचार के आरोपों में बाहर रहेंगे या अंदर जाऐंगे जैसी जीवन मृत्यु के बीच झूल रहे कालवा को एक बार तो अस्थायी जीवन मिल गया है। राजनीति की इस उलट पलट होने की शंकाएं तीन दिन से चल रही थी लेकिन इस पर गंभीरता  से किसी ने गौर नहीं किया। 

पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तब पूर्व विधायक गंगाजल मील ने कहा था कि नगरपालिका में हमने कांग्रेस का बोर्ड बनाया और कालवा को अध्यक्ष बनाया।लेकिन गलत कामों के हम जिम्मेदार नहीं, जिसने गलत किया है वह जिम्मेदार है,वही भोगेगा। 

कांग्रेस के पार्षदों परसराम भाटिया, बसंत कुमार बोहरा ने आरोप लगाए। पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने सीवरेज घोटाले में 1 करोड़ 60 लाख रूपये गलत भुगतान करने के आरोप में ओमप्रकाश कालवा पर अदालत के माध्यम से मुकदमा कराया जो सिटी पुलिस थाने में विचाराधीन है। मील के निर्देश पर नगरपालिका भूमि पर से करीब 60 से अधिक अतिक्रमण हटाए जाने से कालवा और मील के बीच दूरियां बढने लगी। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने और उसमें मील की भूमिका से दूरियां और बढी।

यहां बढ़ती दूरियों का राजनीतिक लाभ भाजपा ने उठाया। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करने कराने में भाजपा नेता माहिर माने जाते हैं। 

* भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने श्री गंगानगर में ओमप्रकाश कालवा और चार पार्षदों को  24 फरवरी 2023 को भाजपा में प्रवेश कराया। इस कार्यक्रम में भाजपा के सूरतगढ़ से विधायक रामप्रताप कासनिया,सांसद निहालचंद मेघवाल, व अन्य नेता भी मौजूद थे।

* क्या रामप्रताप कासनिया ने गंगाजल मील को दूसरी बार पटखनी दी है। भाजपा टिकट से गंगाजल मील ने 2003 में पीलीबंगा से चुनाव लड़ा था जहां रामप्रताप कासनिया ने निर्दली ने मील को हराया।  गंगाजल मील ने 2008 में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर भाजपा छोड़ कांग्रेस से सूरतगढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के ओमप्रकाश कालवा भाजपा में जाने की भनक तक मील को नहीं लगी। ओमप्रकाश कालवा चाहे मुकदमें में जेल से और अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए भाजपा में गए हों लेकिन इससे राजनीतिक पावर की चर्चाओं का गर्म होना तो गलत नहीं। इसे रामप्रताप कासनिया की और मील के बीच किसकी जीत किसकी हार मानी जाए? कालवा के इस कदम से मील को तिलमिलाहट होगी जिसके परिणाम शीघ्र ही सामने आएंगे। शनिवार रविवार यानि 25 -26 फरवरी का सरकारी अवकाश है और सोमवार 27 फरवरी को परिणाम सामने आने शुरू होंगे, ऐसा माना जा सकता है। मील तिलमिलाहट में देरी करेंगे ऐसा लगता नहीं है। सोमवार पर नजर है। नगरपालिका में जमीनों के ही मामले हैं। क्या कासनिया को इस उलट पलट में कुछ हासिल होगा। क्या चर्चा और अखबार में आई कालोनी बच पाएगी? चुनाव में भाजपा के किस नेता को लाभ मिलेगा? फिलहाल तो भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे कालवा को भाजपा में शामिल करने के मामले में भाजपा ही जनता के निशाने पर रहेगी और नेता सवालों के घेरे में रहेंगे। ऐसा लगता है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को संपूर्ण हालात बताए नहीं गए, केवल कांग्रेस के पालिकाध्यक्ष को भाजपा में लिए जाने की ही महता बताई हो।

राज्य में सरकार कांग्रेस की है इसलिए कालवा अध्यक्षता करते रहेंगे और बिना परेशानी के करते रहेंगे, यह संभव नहीं होगा। किसी भी तरीके से कालवा को हटाने और सस्पेंड कराने के बाद फिर से बहुमत के आधार पर कांग्रेस का ही अध्यक्ष आएगा।

***** नगरपालिका में बड़ी कार्यवाहियां चलेगी और नित नये समाचार मिलेंगे। ०0०

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