अन्नाराम 'सुदामा' जन्मशती:साहित्यकारों के वक्तव्य और बेहतरीन काव्य:संपूर्ण रिपोर्ट.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़, 19 दिसंबर 2022.
💐 राजस्थान साहित्य अकादमी और आंचल प्रन्यास सूरतगढ़ ने सुदामा की जन्मशती पर 18 दिसंबर 2022 को एक दिवसीय साहित्य संवाद किया। बीकानेर संभाग के लेखकों और कवियों ने एक एक कर बोलते बोलते सुबह से शाम कर दी।
* 'सुदामा का साहित्य-संसार भारतीय ग्रामीण जीवन और सनातनी संस्कृति का जीवंत दस्तावेज है जो पाठकों के अंतस में गहरे उतर जाता है। सही मायने में सुदामा राजस्थानी साहित्य के प्रेमचंद हैं।'' रविवार को राजस्थान साहित्य अकादमी और आंचल प्रन्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय साहित्य संवाद के अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. मंगत बादल ने ये उद्गार व्यक्त किए।
* विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ पत्रकार करणीदान सिंह राजपूत ने सुदामा को राजस्थानी साहित्य का अनूठा शब्द साधक बताया। उन्होंने सुदामा की पढी रचनाओं के बारे में अपने विचार रोचक ढंग से प्रस्तुत किए। 50 वर्ष पहले पढी थी पुस्तकें। उनका वर्णन किया।
* हनुमानगढ़ के साहित्यकार नरेश मेहन ने सुदामा की कृतियों को राजस्थान के साहित्य की धरोहर बताया। मेहन ने कहा कि युवा रचनाकारों को उनसे सीखने की जरूरत है।
* बीकानेर से उपस्थित सुदामा के ज्येष्ठ पुत्र और शिक्षाविद् डॉ. मेघराज शर्मा ने उनके जीवन के अनछुए पहलुओं से रूबरू करवाया।
* आंचल प्रन्यास की अध्यक्ष आशा शर्मा ने अपने उद्बोधन में कार्यक्रम में उपस्थित रचनाकारों और सुधिजनों का स्वागत किया।
* आयोजन के प्रथम सत्र में सुदामा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर लूणकरणसर के कवि और गीतकार राजूराम बिजारणिया ने प्रकाश डाला।
* सुदामा के हिंदी उपन्यास 'अजहूं दूरी अधूरी' पर डॉ. मदन गोपाल लढ़ा ने शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनकी विशिष्ट भाषा शैली और नया मुहावरा गढ़़ने की क्षमता उन्हें समकालीन रचनाकारों से अलग मुकाम देती है। * श्री डूंगरगढ़ से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन सैनी ने सुदामा के संघर्षमय जीवन और साहित्य सृजन की चर्चा की।
* वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार डॉ कृष्ण आशु श्री गंगानगर ने सुदामा जन्मशती पर आयोजित हो रहे कार्यक्रमों के लिए साहित्य अकादमी के प्रयासों की सराहना की ।
* सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर के डॉ. प्रशांत बिस्सा ने सुदामा जी की पुस्तकों से सीख लेने की बात की।
* व्यापार मंडल सूरतगढ़ के अध्यक्ष दर्शन भगत परनामी ने ऐसे आयोजनों की निरंतरता पर बल दिया।
💐 दूसरे सत्र में रोहिताश शर्मा द्वारा सुदामा के उपन्यास 'बाघ बिल्लियां' के अंश का प्रभावशाली वाचन किया गया। इसी कड़ी में सुदामा स्मृति काव्य गोष्ठी में संभाग भर से पधारे साहित्यकारों ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया।
*वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा की अध्यक्षता में काव्यगोष्ठी हुई।
* गोष्ठी में डॉ.हरिमोहन सारस्वत, निशांत, पवन शर्मा,नरेश मेहन, डॉ. कीर्ति जांगिड़, ममता आहुजा, मीनाक्षी आहूजा, डॉ. संदेश त्यागी, परमजीतकौर 'रीत', डॉ. अरुण सहरिया सुरेंद्र सुंदरम, राजूराम बिजारणिया, डॉ. मदन लढ़ा, रमेश चंद्र छाबड़ा, हर्ष नागपाल, महेश गहलोत, रामेश्वर दयाल तिवारी, परमानंद दर्द एवं करणीदानसिंह राजपूत,श्रीमती जयश्री ने एक से बढ कर एक करतल ध्वनियों के बीच में रचनाएं प्रस्तुत की। गोष्ठी का बेहतरीन संयोजन राजेश चड्ढा ने अपनी एक कविता सहित किया।
*आंचल प्रन्यास के सचिव डॉ हरिमोहन सारस्वत ने उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया।०0०