* करणीदानसिंह राजपूत *
रामप्रताप कासनिया कूटनीतिज्ञ है और इलाके के बाकी नेता जातिनीतिज्ञ हैं। यह बहुत ही गंभीर टिप्पणी टिब्बा क्षेत्र से मिली है।
बहत्तर वर्षीय टिप्पणी करता को मैं बहुत महत्व देता हूं कि वे इलाके की राजनीति सहित राजस्थान और बहुत कुछ विश्व के बारे में भी अनेक अनूठी जानकारी देते रहते हैं। मेरे लेखों रिपोर्ट्स पर उनके विचार आते रहते हैं।
रामप्रताप कासनिया वर्तमान में सूरतगढ़ के विधायक हैं जो मूलरूप से जाखड़ांवाली तहसील पीलीबंगा के हैं और सूरतगढ़ में भी वास है। पीलीबंगा पहले सूरतगढ़ तहसील का ही हिस्सा था और यह तहसील बाद में बनी जब गंगानगर का विभाजन कर हनुमानगढ़ जिला बनाया गया।
रामप्रताप कासनिया पढे हुए कम हैं लेकिन पढेसरियों के कान कतरने में भी नामी हैं। विधानसभा के वक्तव्य और विषयवार जोड़ से लगता नहीं कि कम पढें हैं। इलाके में पचास सालों से राजनीति करने वाले व्यक्ति ने इतने पैंतरे सीख लिए कि राजनीति में कूटनीतिज्ञ कहलाने लगे। अनेक बार पीलीबंगा से चुनाव लड़ा विधायक बने और राज्यमंत्री भी बने।चुनाव में हारे भी।
एक मौका आया बीकानेर संसदीय सीट पर कोई प्रत्याशी बनने को तैयार नहीं था। सामने एकदम साफ हार नजर आ रही थी। तब इस दिग्गज ने चुनाव में रणभेरी बजाई। हार तो तय थी लेकिन अपने को ज्वालामुखी में उतारा।
सन् 2008 में जब पीलीबंगा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया तब दिग्गजों ने सूरतगढ़ को अखाड़ा बना लिया। सूरतगढ़ पहले तीन विधानसभा क्षेत्रों जितना बड़ा था जो 2008 में बहुत छोटा हो गया।
कासनिया की गांव गांव ढाणी ढाणी तक अच्छी पकड़ है इसलिए कूटनीतिज्ञ कहना मानना जंचता है। एक विशेषता भी है कि अनेक नेता कहलाने वाले अपने घर घर में ही टिकटें बांटते ताकि पद उन्हीं के घर में ही आ जाए। मेरे ख्याल से ताजा टिप्पणी कासनिया के लिए कूटनीतिज्ञ और अन्य के लिए जातिनीतिज्ञ
वर्त्तमान वातावरण और घटनाओं को लेकर हो।
हरेक माने यह जरूरी नहीं। मैंने तो 'ज्यों की त्यों धरदी चदरिया।'०0०
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