अब तो जागो, कब तक सोते रहोगे?
उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहां जो सोवत है?
जो सोवत है वो खोवत है,
जो जागत है सो पावत है।
यह भजन गीत या जागृति संदेश 50 से अधिक सालों से गूंज रहा है। चाहे देवालय हो चाहे, निवास स्थान, चाहे कोई आयोजन यह समय पर जागने का संदेश सुनाया जा रहा है।
यह भजन,गीत किसने लिखा और कब लिखा?
यह तो मालूम नहीं मगर लिखने वाले को भी यह अनुमान नहीं हुआ होगा कि आने वाले सालों में यह जगाने का संदेश गूंजता रहेगा।
समय पर जागने वाले ही सब कुछ पा लेते हैं और दिन में भी सोने वाले सब कुछ खो देते हैं। कितना सटीक संदेश है कि दिन निकलने से कुछ पहले भोर में ही जाग लेना चाहिए।
20-4-2018.
अपडेट 18-9-2019.
करणीदानसिंह राजपूत,
सूरतगढ़