कानौर हैड का महापड़ाव:वसुंधरा मानेगी या ठोकर खाएगी:
महापड़ाव से पूर्व विशेष- करणीदान सिंह राजपूत-
जूझारू किसान नेताओं ने कानौर हैड और आसपास के मौके देखे।
किसान कानौर हैड पर महा पड़ाव 3 मार्च से:
सूरतगढ 2 मार्च 2017.
इंदिरा गांधी मुख्य नहर के पास चिपते होते हुए भी पानी को तरसती जमीन,इलाके के तड़पते लोग और पशुधन व जीव जंतु आखिर सारे साधनों और विकास के दावों के बीच मौत की ओर लगातार क्यों चले जाएं?
इलाके में आते जाते सत्ता भोगते और राज की सुख सुविधा का अपने लिए अपने परिवार के लिए लाभ उठाते जनप्रतिनिधि चुप क्यों हैं और कोई बात करते हैं, तो वह गोलमोल ढुलमुल क्यों होती है? इलाके का नेता पानी की समस्या को लेकर क्यों नहीं न्योछावर हुआ? किसी ने क्यों नहीं दिया बलिदान?
पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा ने राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी में आमरण अनशन करते हुए अपनी कुर्बानी दे दी यहां तक की मृतदेह भी चिकित्सालय को दान कर गए लेकिन इस इलाके से सत्ता भोगने वाले जनप्रतिनिधि विधायक और मंत्री कुर्बानी देना तो दूर रहा वसुंधरा के आगे प्यासे लोगों की बात रखने को भी सख्त रूप से तैयार नहीं होते।
आखिर ऐसे ढुलमुल सत्ताधारियों के पीछे जनता क्यों चले?क्यों पुकार करे?क्यों इनसे मांग करें? इससे तो अच्छा है की जनता अपनी शक्ति और अपने बल पर अपने अधिकार पानी की मांग को पूरा करवाए।
किसान जब जब संघर्ष के मोर्चे पर अपने स्तर पर डटा तब तब उसे सफलता मिली। इलाके की जमीन इलाके के खेत और खलिहान किसान के जुझारूपन की गवाही देते मिलेंगे।
किसानों ने सिंगरासर एटा माइनर की मांग के लिए संघर्ष किया और सरकार के भरोसे पर आंदोलन को कुछ महीनों के लिए स्थगित भी कर दिया। लेकिन जिन मंत्रियों नेताओं ने भरोसा दिया वे अपने भरोसे पर खरे नहीं उतरे। इलाके के होते हुए भी उन्होंने भरोसा तोड़ दिया।
अब मतलब साफ है की एक बार भरोसा टूट जाए तो फिर उस जनप्रतिनिधि पर दोबारा विश्वास नहीं किया जा सकता।
टीबा क्षेत्र का किसान और इसके साथ जुड़े हुए हैं जुझारू नेता संघर्षशील लोग जो अब पीछे हटने वाले पीछे देखने वाले नहीं है ।
कानौर हैड पर 3 मार्च से महापड़ाव शुरू होगा ।
यह महापड़ाव इतना शक्तिशाली होगा की वसुंधरा मानेगी या फिर वसुंधरा ठोकर खाएगी।
यहां मैं एक बात और स्पष्ट हो जाए कि साधारण गिरने वाला और ठोकर खाकर गिरने वाले में बहुत फर्क होता है। ठोकर खाकर गिरने वाला चोट खाकर गिरता है और फिर उसे कोई दूसरा ही उठाता है,वह खुद खड़ा होने की ताकत खो देता है। अगर वसुंधरा ने ठोकर खाई तो यह इतिहास ऐसा लिखा जाएगा कि राजस्थान ही नहीं देश की पुस्तकों में पढ़ा जाएगा।
चेतावनी के अनुसार तीन मार्च को इलाके के किसानों के साथ किसान नेता कानौर हैड पर महापड़ाव शुरू करेंगे।
इसके लिए पुलिस ने हैड के दोनो तरफ बेरीकेड्स (अवरोधक) व सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं वहीं किसान नेताओ ने कानौर हैड का मौका मुयायना किया है। किसान नेता
राकेश बिशनोई, श्योपत मेघवाल, श्रवण सिंगाठिया,
ओम पुरोहित ने मौका देख लिया है।
इन जुझारूओं के अनुसार कल के लिए भी तैयारियां पूरी कर ली है।
गावों से लोग भारी संख्या मे आऐंगे। कई दिनों से गांवों में चेतना संपर्क चल रहा है।