शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

सौ करोड़ से अधिक की जमीन खसरे बदल हड़प ली:


धूर्त नेताओं धनपतियों व अधिकारियों की मिली भगत:
सूरतगढ़ में कपड़े के नक्शे पर सीमाएं मिटा कर नए खसरा नम्बर लिखे जाने शंका:
स्पेशल रिपोर्ट - करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़। राष्ट्रीय उच्च मार्ग के चिपते हुए नगरपालिका सीमा में सन सिटी के पीछे से लेकर वर्तमान में रिलायंस पंप के पास से और आगे तक जहां पर कुछ साल पहले जमीन के कब्जे को लेकर गोली चलने तक की घटना वाला समूचा रकबा आवंटन में बहुत बड़ा घोटाला होने का आरोप चर्चा में है। सूरतगढ़ में चल रहे भावों के हिसाब से जमीन की कीमत 100 करोड़ से अधिक ही हो सकती है। इतनी कीमती जमीन बिना प्रभाव और सत्ता वालों के कोई भी हड़प नहीं सकता और जो तरीका अपनाया गया है उससे यही लग रहा है। राजस्व विभाग में कपड़े के नक्शे का महत्वपूर्ण प्रमाण होता है लेकिन यहां पर जो कपड़े का नक्शा है उसमें धूर्तता से खसरों की सीमाओं में लिखे नम्बर मिटा कर नए लिख दिए गए या कहीं सीमा बदल दी जाने की शंकाएं हैं। इतना बड़ा घोटाला सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत  बिना नहीं हो सकता। 

इस कीमती जमीन पर नेताओं के कब्जे रहे हैं चाहे वे सत्ता में रहे हों चाहे सत्ता से बाहर हों। अब जो हालात चर्चाओं में हैं उनमें पुराने सत्ताधारी नेता और एक नए सत्ताधारी नेता और एक प्रभावशाली दारू विक्रेता और अधिकारियों कर्मचारियों पर निगाहें लगाई जा रही है। धूर्त नेताओं ने जमीन के टुकड़े कर हड़पी और अपने नजदीकी खास लोगों के नाम सरकारी रिकार्ड में दर्ज करवा दिए।
यह जमीन कभी समतल ताल के रूप में थी और बाद में नेंताओं की नजरों में आने के बाद नेताओं के नाम से कब्जे बताए जाते रहे।
हेराफेरी होने व सरकारी जमीन हड़पी जाने का आरोप चर्चाओं में यों ही नहीं है।
मंडी समिति ने कई साल पहले जो जमीन योना में अपने अधिकार में ले ली थी। जमीन अधिग्रहण का गजट नोटिस भी प्रकाशित हुआ और वह जमीन नगरपालिका क्षेत्र में आने के बाद मंडी समिति ने नगरपालिका को सौंप दी। वह जमीन दुबारा कभी योजना से बाहर किए जाने की सूचना का नोटिस गजट में प्रकाशित नहीं हुआ तब वह जमीन राजस्व विभाग ने किसी को भी आवंटित कैसे कर डाली? यहां पर गहरा पेच डाला हुआ है। जमीन जिस खसरे में है उसका नम्बर बदल दिया जाने का आरोप है। जो खसरा बताया जा रहा है,असल में वह कहीं और स्थान पर है। जो खसरे नम्बर बदलने का आरोप है वह बहुत ही गंभीर है।
आरोप है कि सूरतगढ़ में यह कपट पूर्ण कार्य पहली बार नहीं हुआ है। यह कपट पिछले कई सालों से चल रही है। राष्ट्रीय उच्च मार्ग से दूर की जमीनों को धूर्तता के पहिए लगा कर उच्च मार्ग से सटा दिया गया है।
अभी मामला सूरतगढ़ सिटी का सामने आया है जिसमें सनसिटी के पीछे एक विशाल भूखंड के हिस्से पर बालू रेत से भरती होने लगी। अचानक हुई कार्यवाही से लोग चौंके और एडीएम हरविन्द्रकुमार शर्मा को सूचना दी गई। उन्होंने नगरपालिका को सूचित किया। एक बार मिट्टी भराई रूकवा दी गई है। भरती कराने वाले का कथन सामने आया है कि उसको जमीन का आवंटन हो गया है। अब जाँच से ही असली बात सामने आ पाएगी कि जमीन का आवंटन कैसे हुआ?
अभी भी काफी जमीन पर पुराने कब्जों की इँटें बिखरी हुई। कई जगह कब्जे हैं। आकड़े व कीकर झाडिय़ां ऊगी हुई है। नगरपालिका प्रभावशाली लोगों के कब्जे तोड़ती रही है मगर उनकी सामग्री को उठा कर लेजाने की कार्यवाही नहीं की। सनसिटी के पीछे दूर दूर तक अतिक्रमण किए जाने व तोड़े जाने के प्रमाण मौजूद हैं।
नेताओं व अधिकारियों ने मिल कर जो कुछ किया है वह जाँच में खुलासा हो जाएगा। सूरतगढ़ के रिकार्ड में मौजूद कपड़े के नक्शे पर सीमाएं मिटा कर नए खसरा नम्बर लिखे जाने शंका का समाधान भी होगा क्योंकि कपड़े का मूल नक्शा बीकानेर में है। जमीनें हड़पने के इस खेल में नेताओं व उनके परिवार वाले हैं सो पावरफुल जाँच से खुलासा हो पाएगा। यह खेल सूरतगढ़ नगरपालिका आबादी सीमा से बाहर भी हुआ है।
यह पहली खबर छन छन कर आ रही सूचनाओं से है और जाँच होगी तो सूरतगढ़ में भूचाल सा आएगा। 








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