क्या एडीएम एसडीएम मौका देख कर सड़कों से खतरा हटवाऐंगे?
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 3 फरवरी 2016.
मुख्य बाजार में भोर में दुकान के गिरने से कोई जानलेवा कहर नहीं हो पाया लेकिन गलत तरीके के निर्माणों को प्रशासन ने खुली छूट दे रखी है और जनता सच्च में भगवान के भरोसे पर ही सड़कों पर चल रही है। इस हादसे से पहले एक हादसा नई सब्जी मंडी के पीछे हो चुका था जिसमें दो छतें गिर गई थी और उसमें एक व्यक्ति तो बुरी तरह से घायल हाल में कई घंटों बाद निकाला गया था। उसका मामला पुलिस में भी दर्ज हुआ था। लेकिन हादसों के बाद भी नगरपालिका प्रशासन को होश नहीं आया। पालिका प्रशासन गलत निर्माण को शह देता रहा है और लाभ लेता रहा है।
जब फुटपाथ पर निमार्ण नहीं किया जा सकता और छज्जे कमरों के रूप में बंद नहीं किए जा सकते तो फिर यह अवैध कार्य सूरतगढ़ में दिन रात कैसे चल रहा है? मुख्य बाजारों में इस प्रकार के निर्माण होना और खबरें छपने के बाद भी रोका नहीं जाने का एक ही अर्थ निकलता है कि पालिका भ्रष्टाचार में शामिल है और जिनी ड्यूटी है वे अपनी देखरेख में सब करवा रहे हैं।
जब दुकानों के आगे से सामान उठवाने में कार्यवाही होती है तो क्या पालिका कर्मचारियों को ये अवैध निर्माण दिखाई नहीं देते? पालिका दस्ता कच्ची बस्तियों में हो रहे निर्माणों पर अवैध बतलाते हुए कार्यवाही करता है और जेसीबी भेज कर तुड़वा देता हे तो फिर बाजारों में किए जा रहे गैर कानूनी निर्माणों को तोडऩे में पीछे क्यों रहता है? पालिका के अतिक्रमण हटाओ दस्ते से ही रिपोर्ट लेकर तत्काल ही कार्यवाही हो तो वह नजर आए।
नगरपालिका के अध्यक्ष काजल छाबड़ा,उपाध्यक्ष पवन औझा और समस्त सदस्यों की यह सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि वे जनता की सुरक्षा का ध्यान रखें और अवैध निर्माणों पर तत्काल ही कार्यवाही करते हुए पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाएं। अध्यक्ष उपाध्यक्ष व ईओ बड़े अखबारों के द्वारा कमेंट्स लिए जाने पर हमेशा रटा रटाया कहते हैं कि मालूम करेंगे अगर ऐसा हुआ है तो कार्यवाही करेंगे। लेकिन उसके बाद कभी न तो वहां पर कोई जाता है और न कोई कार्यवाही होती है। इसी का नतीजा है कि बीकानेर रोड आधी चौड़ी रह गई है। कभी इस पर से निकली हैं अध्यक्ष व ईओ?
जिस दिन जनता इतनी जागरूक हो गई और हादसे का मुकद्दमा पालिका बोर्ड पर व पालिका प्रशासन पर करना शुरू कर दिया तब शायद जाग जाऐं।