नगरपालिका सूरतगढ़ के औद्योगिक भूखंड नं 174 और 175 मुकद्दमा नं 78/15
तत्कालीन अध्यक्ष बनवारीलाल ने जवाब में कहा ईओ की सारी जिम्मेदारी
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
नगरपालिका सूरतगढ़ के औद्योगिक भूखंड नं 174 और 175 की खरीद में घोटाला और उसके बाद गैर कानूनी रूप में टुकड़े कर बेचने में भी घोटाला हुआ जिसमें नगरपालिका के तत्कालीन अध्यक्ष,ईओ,खरीदार व आगे टुकड़े कर खरीदने वाले,हलफनामें देने वाले आरोपित हैं। एसीबी में जयपुर थाने में एफआइआर नं 78/15. दर्ज होकर जांच श्रीगंगानगर चौकी के सुपुर्द की गई । जांच अधिकारी आनन्द स्वामी ने शिकायत कर्ता पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु के बयान लेने के बाद 29-7-2015 को आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
आरोपियों को नोटिस मिलने के बाद खलबली मची हुई है तथा नोटिसों का जवाब देने और ना देने के बाद एसीबी द्वारा किसी भी समय गिरफ्तारी की संभावना का भय है। आरोपी कानूनी राय लेने के लिए भागदौड़ में लगे हुए हैं। सूचना है कि कुछ आरोपी इस प्रकरण में जैसे तैसे बचाव का रास्ता खोजने के लिए जोधपुर भी गए हैं।
इस घोटाले में पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने नगरपालिका से सूचना के अधिकार में अधिकृत दस्तावेज प्राप्त करने के बाद भ्रष्आचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज करवाई थी। ब्यूरो के द्वारा पहले पी दर्ज हुई व उसकी जाँच में आरोप प्राथमिक दृष्टि से अपराध होना पाए गए। जिस पर मुकद्दमा नं 78/15 दर्ज हुआ।
नगरपालिका में औद्योगिक भूखंड नं 174 व 175 की नीलामी और उनके रिकार्ड में गलत इन्द्राज व बाद में उनके नियम विरूद्ध टुकड़े कर बेचने आदि में भ्रष्टाचार व सरकार को करोड़ों रूपयों का नुकसान पहुंचाने वाले प्रकरण में पूर्व विधायक वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की श्रीगंगानगर चौकी में बयान हुए और पालिका के कुछ कर्मचारियों को भी ब्यूरो चौकी में बुला कर पूछताछ की गई थी।
वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु ने पहले यह प्रकरण मार्च 2013 में भ्रष्टाचार निवारण अदालत श्रीगंगानगर में दायर किया था। सर्वाच्च न्यायालय के निर्देश पर अदालत में सीधे इस्तगासे पर प्रकरण की सुनवाई होने पर रोक लग जाने के कारण बाद में यह प्रकरण ब्यूरो के जयपुर मुख्यालय में दर्ज कराया गया।
नगरपालिका सूरतगढ़ की मास्टर प्लान के तहत वर्कशॉप टांसपोर्ट योजना वार्ड नं 6 में भूखंड नं 174 और 175 की खरीद और उसके नियम विरूद्ध टुकड़े कर आगे बेचान करने तथा लीज को भी नियम विरूद्ध संशोधित किए जाने से राजकोष को 2 करोड़ रूपए की हानि पहुंचाने का आरोप लगाते हुए महेन्द्र मील पुत्र गंगाजल मील, पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल,अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता,अधिशाषी अधिकारी पृथ्वीराज जाखड़,संजय धुआ पुत्र फतेहचंद के विरूद्ध पूर्व विधायक वरिष्ठ वकील स.हरचंदसिंह सिद्धु ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7-3 ए, बी, सी, डी,भारतीय दंड संहिता की धाराओं 167,218,219,467,468,471,474 व 120 बी के तहत यह वाद दायर किया । इसमें सब रजिस्ट्रार पर भी मिली भगत का आरोप लगाया गया था।
आरोप लगाया गया है कि वार्ड नं 6 में वर्कशॉप ट्रक ट्रांसपोर्ट योजना के प्लॉट नं 174 व 175 की नीलामी निकाली गई। इनके साईज 120 गुणा 150 फुट थे।
प्लॉट नं 174 की नीलामी में बोलीदाता रिंकलकुमार पुत्र देसराज,राजेन्द्रकुमार पुत्र गिरधारीलाल,नवलकिशोर पुत्र ओमप्रकाश,ओमप्रकाश पुत्र भूरा राम,इन्द्रादेवी पत्नी कृष्णदेव व महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील ने अलग दो बोलियां लगाई। जिसमें अंतिम बोली 40 लाख 50 हजार रूपऐ राजेन्द्रकुमार की थी। अपराधिक षडय़ंत्र के तहत अध्यक्ष बनवारीलाल अधिशाषी अधिकारी राकेश मेंहदीरत्ता,सहायक अभियंता व प्रतिनिधि जिला कलक्टर ने उक्त बोली को संयुक्तरूप से राजेन्द,रिंकलकुमार,महेन्द्रकुमार,नवलकिशोर,ओमप्रकाश व इन्द्रादेवी की मान कर दर्ज की जो कानून विरूद्ध है।
इसी प्रकार प्लॉट नं 175 की नीलामी में बोलीदाता जगदीश पुत्र सुरजाराम,संजयकुमार पुत्र फतेहचंद,राधेश्याम पुत्र गुरादित्ता,सुरेन्द्रकुमार पुत्र रामकिशन व महेन्द्रकुमार पुत्र गंगाजल मील ने बोली दी। इसमें संजयकुमार व महेन्द्रकुमार मील को एक पक्ष व सुरेन्द्रकुमार को दूसरा पक्ष मानकर बोली लगाई गई। यह अंतिम बोली संजयकुमार की 52 लाख 50 हजार की स्वीकृत हुई।
प्लॉट नं 174 की लीज तैयार करते समय सफल बोली दाता नवलकिशोर व भूराराम का नाम वापिस ले लिया गया और अवैध रूप से भ्रष्टाचार करके 6 व्यक्तियों की एवजी में 4 की मानकर लीज तैयार की गई। और उक्त प्लॉट नं 174 को उपविभाजित करके 20 दुकानों का साइज बताकर लीज तस्दीक करवाई। जो कानून विरूद्ध थी।
इसी प्रकार प्लॉट नं 175 को अवैध रूप से उपविभाजित कर 20 दुकानों की लीज तस्दीक करवाई। सब रजिस्ट्रार सूरतगढ़ इस भ्रष्टाचार में लिप्त रहा।
इसके बाद दोनों मूल लीज को संशोधित करवाकर 4 भागों में उप विभाजित करवाकर उन 4 हिस्सों का अग्रेतर उपविभाजन कर लीज संशोधित करवाई गई। यही प्रक्रिया प्लॉट नं 175 में अपनाई गई।
उक्त प्लॉटों के उपविभाजन से बनी दुकानों को स्वीकृति देकर आरोपी ईओ जोने नामांतरण खरीदारान के नाम से किया तथा राजकोष को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। आरोप है कि इसमें राजकोष को करीब 12 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया।
इसमें विधायक गंगाजल मील पर भी आरोप लगाया गया है कि विधायक गंगाजल मील ने बनवारीलाल मेघवाल को अपना उम्मीदवार बताया जिसने पालिकाध्यक्ष सूरतगढ़ का चुनाव जीता। राकेश मेंहदीरत्ता जो नगरपालिका सूरतगढ़ में लेखाधिकारी पद पर कार्यरत था को विधायक गंगाजल मील और पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने सूरतगढ़ नगरपालिका में अधिशाषी अधिकारी पद पर नियुक्त करवाया।
तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने नोटिस का जवाब 8 अगस्त 2015 को दिया है जिसमें कार्य किए जाने की समस्त जिम्मेदारियां ईओ व अधीनस्थ कर्मचारियों की बताई है।