क्या महिला आयोग मोदी की निन्दा करेगा और जवाब मांगेगा?
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी मोदी के शर्मनाक भाषण पर इस्तीफे की मांग कर पाएगी?
भाजपा के मंत्री सांसद अन्य पार्टियों के नेताओं की महिलाओं पर की गई शर्मनाक टिप्पणियों पर निन्दा करती रहे हैं और इस्तीफा मांगते रहे हैं।
मुद्रा कोष उदघाटन का यह भाषण टीवी चैनलों पर लाइव प्रसारित हो रहा था। तोड़ मरोड़ कर प्रसारित करने का भी नहीं कह सकते।
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
भारत के प्रधानमंत्री संघ के संस्कारित नारी का सम्मान करने का दावा करते रहने वाली राजनैतिक पार्टी के नेता अपने भाषण से बुरी तरह से फंस गए हैं। नरेन्द्र मोदी की जबान भी फिसल गई। उनके कहने का लहजा नारी का सम्मान करने वाला नहीं रहा बल्कि नारी को सजावट की सामान जैसी वस्तु मान लेने वाला रहा। प्रधानमंत्री से इस प्रकार के भाषण की कोई भी उम्मीद नहीं कर सकता जब देश में नारी पर दिए जा रहे भाषणों से आए दिन बवाल मचता रहा हो तथा संसद तक में भाजपा के मंत्री ही आग बबूला होते रहे हों।
भारतीय जनता पार्टी के नेता खासकर महिला नेता अन्यों को सावधानी का पाठ पढ़ाते रहे और उन्हीं के प्रधानमंत्री ही सावधान नहीं रह पाए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 अप्रेल को मुद्रा कोष का उदघाटन भाषण में जो कहा उस पर बहस छिड़ी है तथा पूरे देश में बवाल मचा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसान की फसल की बिक्री बाबत भाषण कर रहे थे।
उनका कहना था कि बाजार में किसान को कीमत कम मिलती है वह खुद बेचे तो लाभ अधिक मिलता है।
मोदी ने कहा कि किसान खुद कच्चा आम केरी बेचे तो आमदनी अच्छी होगी।
उसका आचार बना कर बेचे तो अधिक कीमत मिलेगी।
उसी आचार को बोतल में पैक कर बेचे तो कीमत और अधिक मिलेगी।
उसी बोतल को लड़की लेकर खड़ी हो जाए तो बिक्री और अधिक बढ़ जाएगी।
आचार की बोतल लड़की बेचे तो बिक्री और ज्यादा बढऩे के शब्दों पर कोहराम मच गया है।
इस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल अन्य दलों के नेता करें तो आपत्ति और प्रधानमंत्री करें तो?
देश को नारी सम्मान की सीख देते रहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं नारी का सम्मान कैसा करते हैं?
हरियाणा में महिलाओं ने एक आंदोलन छेड़ रखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी पत्नी को साथ रखें जो एकाकी जीवन बीता रही हैं।