शनिवार, 3 अगस्त 2019

सूरतगढ़ सिवरेज में फिर नया घोटाला-अब पार्षद भी फंसेंगे।

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ के सीवरेज निर्माण कार्य में करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप अखबारों चैनलों पर छाए रहने के बाद विधानसभा में भी गूंज उठा लेकिन घोटालों पर रोक की बजाए नए रूप में फिर घोटाला करने का खुला तरीका एक और सामने आने वाला है जिसका खाका बन चुका है।

नगर पालिका प्रशासन पर आरोप है कि उसने बिना काम किए ही सिवरेज कंपनी को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया। उसका ब्योरा भी खबरों में आया व विधानसभा में भी विधायक राम प्रताप कासनिया ने बताया जिसमें रकम तक का उल्लेख किया गया था। आरोप था कि संबंधित फर्म को करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया जो कार्य उसने किया ही नहीं। 

अब आश्चर्य यह है कि नगर पालिका की बैठक का प्रस्ताव है कि सीवरेज का कार्य निर्धारित से अधिक हो गया उसके भुगतान के बाबत विचार किया जाना है। मतलब कि लाखों रुपए कंपनी को और देने वाले हैं और यह बोर्ड की बैठक की स्वीकृति से देने का प्रस्ताव रखा गया है। पार्षदों की सहमति से यह भुगतान होगा। नगर पालिका की बैठक 6 अगस्त को होने वाली है। बैठक की तिथि पूर्व में थी,मगर विधानसभा सत्र चलने के कारण यह अब 6 अगस्त को होगी।  बैठक में सीवरेज कंपनी संबंधित यह प्रस्ताव 20 वें क्रम पर दिया हुआ है।  इस बैठक की सूचना सभी पार्षदों को और विधायक को भी दी जा चुकी है। जब पूरे शहर में सीवरेज कंपनी को बिना काम किए भुगतान करने का आरोप लगा हुआ है ऐसी हालत में यह कहना कि निर्धारित कार्य से अधिक कार्य हो गया जिसका निर्णय करना है। आश्चर्य यह है कि जो कार्य निर्धारित था उससे अधिक कार्य बिना किसी सर्वे बिना आकलन तगमीना और स्वीकृति के कैसे किया गया और करवाया गया। यह कार्य हुआ या नहीं हुआ? इसकी भी क्या गारंटी है? पालिका बोर्ड बैठक का एजेंडा यानि प्रस्ताव अध्यक्ष की स्वीकृति से ही होते हैं। नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा और उपाध्यक्ष पवन ओझा भारतीय जनता पार्टी से हैं।  यह बोर्ड भारतीय जनता पार्टी का है। भारतीय जनता पार्टी स्वच्छ छवि का प्रचार और प्रदर्शन करती है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के विधायक रामप्रताप कासनिया विधानसभा में नगर पालिका में भयानक घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं। अब फिर प्रस्ताव नंबर 20 से यह सामने आ रहा है कि अभी और रुपया लुटाया जाना है और इसमें पार्षदों की भी सहमति होगी। भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए है। सरकार को शिकायतें हो चुकी है उसके बावजूद पार्षद गण इस प्रस्ताव की सहमति देते हैं तो वे भी भ्रष्टाचार के दोषी माने ही जाएंगे. पार्षदों को यह हक नहीं है कि वे बैठक में चाहे जिस प्रकार के प्रस्ताव पारित करके राज्य सरकार के कोष  को नुकसान पहुंचाएं। ऐसा कोई अधिकार उन्हें कानून नियमों में मिला हुआ नहीं है।  अगर वे जानते हुए प्रस्ताव पारित तो करते हैं तो भ्रष्टाचार की मिलीभगत में दोषी होंगे। अब यह पार्षदों को सोचना है कि वे जानते बुझते यह अपराध करेंगे या नहीं करेंगे?पार्षदों को भ्रष्टाचार में लिप्त होना है या नहीं होना है इतनी बुद्धि तो उनमें जरूर होनी ही चाहिए। अब नगर पालिका बोर्ड का कार्यकाल कुछ महीनों का ही बाकी है और जाते-जाते इस अपराध में पार्षद शामिल होते हैं तो वे कहीं ना कहीं मुकदमों में निश्चित रूप से फंसने वाली स्थिति में होंगे और हो सकता है कि खुद जेल में जाने का रास्ता बनाएं। पालिका में महिला पार्षद भी हैं उनको अपना भविष्य सोचना चाहिए।


नगर पालिका की इस प्रस्तावित बैठक में एक और प्रस्ताव भी है। यह भी सीवरेज से संबंधित है जिस में लिखा गया है कि जो सड़के आदि सीवरेज कंपनी ने तोड़ दी और निर्माण नहीं करवाया वह निर्माण नगर पालिका करवाएगी और संबंधित सिवरेज मद में से पैसा लेगी। यह भी एक आश्चर्य है कि सीवरेज कंपनी ने तोड़कर पुनर्निर्माण क्यों नहीं करवाया और नगर पालिका ने उस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? 

सीवरेज कंपनी को पहले भी भुगतान किया गया है उस पर आरोप लग रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस प्रकार के प्रस्ताव रखना सूरतगढ़ की जनता के साथ खुले रूप से धोखाधड़ी है। आश्चर्य यह है कि प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बने हुए 8 महीने बीत चुके हैं और यहाँ के सभी नेता, संगठन पदाधिकारी, पूर्व विधायक आदि सभी चुप हैं।

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