शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

राजस्थान में बिजली मंहगी करके मोदी की आँखों का तारा बनना चाहती है वसुंधरा:



अपने विरूद्ध उठ रहे तूफान में केन्द्रीय नेताओं के दिमाग पर असर डालने की चाल:
भाजपा नेताओं के व्यावसायिक मित्रों से बिजली की खरीद वसुंधराराजे,मंत्री,विधायक,राजनेता ही जला पाऐंगे बिजली:
बिजली की दरों में बेतहाशा बढोतरी करके तंग हुई जनता को नंग करने में भाजपा को क्या मिल पाएगा?
- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान में बिजली की दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी करने का रास्ता विद्युत नियामक आयोग ने खोल दिया है। राजस्थान सरकार कितनी सबसिडी देगी इसका खुलासा नहीं किया गया गया है।
राजस्थान में विद्युत परियोजनाओं में पैदा होने वाली बिजली में कोई कमी नहीं है,लेकिन किसी न किसी निर्देश पर इनको बंद करके जताया जाता रहा है कि बिजली की आपूर्ति में कमी आ गई। लेकिन सच्च यह नहीं है। बिजली उत्पादन में लगे कर्मचारियों के संगठन बार बार ज्ञापनों से बतला चुके हैं कि जानबूझ कर घाटा किया जा रहा है। अपने कारखानों को बंद कराके एग्रीमेंट के आधार पर बाहर से बिजली की खरीद की जाती रही है। अधिकारी इसका ब्यौरा देना नहीं चाहते। जिनसे बिजली खरीद की जाती है वे भाजपा के बड़े नेताओं के खास हैं। उनकी बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाना एक दायित्व बन गया है तथा जनता की परवाह नहीं है।
सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन में बुरा हाल है। पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने सूचना के अधिकार में पूरा ब्यौरा मांगा जो करीब 20 हजार रूपए में उपलब्ध कराया गया। सूचना के अधिकार में मिले 8 हजार से अधिक पेज हैं। इंजीनियर डरते हुए साफ नहीं लेते लेकिन जबानी ईशारा करते हैं कि बिजली भाजपा के बड़े नेता के गुजराती मित्र की खरीदी जाती है।
सूरतगढ़ की इकाईयां जबतब बंद करदी जाती है,गोपाल भोजक की खोज परक रिपोर्टें आए दिन राजस्थान पत्रिका में छपती रहती हैं।
जो हालात राजस्थान में पैदा हो रहे हैं। जनता भाजपा से नाराज है। पार्टी में भी भूचाल आया हुआ है। ऐसी हालत में वसुंधरा राजे अपने बचाव में केन्द्रीय नेताओं के सामने अपने पक्ष को मजबूत किए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
राजस्थान में वसुंधरा राजे के विरूद्ध घनश्याम तिवाड़ी ने जबरदस्त मोर्चा खोल रखा है तथा कदावर नेता देवीसिंह भाटी भी नाराज हैं। इनके अलावा कई अन्य नेता भी नाराज हैं। राजस्थान के बिगड़ते जा रहे हालात में परेशान हो रही जनता को बिजली की दरों की बढ़ोतरी से और अधिक परेशानी होगी। आखिर कौन जला पाएगा बिजली? विद्युत नियामक आयोग तो एक आड़ है जिसका निर्णय बतला कर सब किया जा रहा है।
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