मंगलवार, 3 नवंबर 2015

गुरूशरण छाबड़ा का मरणव्रत:तीर्थ दर्शन:



हरद्वार गंगा स्नान:अमृतसर में हरमंदिर में मत्था टेका:
- करणीदानसिंह राजपूत -
गुरूशरण छाबड़ा ने राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर 2 अक्टूबर को जयपुर में आमरण अनशन शुरू करने से पहले यह पक्का सोच लिया था कि आगे जीवन नहीं है।
उन्होंने आमरण अनशन शुरू करने से कुछ दिन पहले प्रमुख समाजों के धार्मिक तीर्थ स्थलों के दर्शन पूजन किए थे।
मुझसे आठ दस दिनों में एक बार बात हो जाया करती थी।
एक बार गंगा स्नान के लिए पहुंचे हुए थे। वहां फोन संपर्क हुआ तो उन्होंने कहा कि हरद्वार आया हुआ हूं। स्नान कर जयपुर लौटूंगा।
एक बार अमृतसर का कहा। स्वर्ण मंदिर हर मंदिर साहिब में जाना बताया। गुरू ग्रंथ साहिब के आगे सिर नवाना बताया। उस समय मैंने उनकी मनसा को काफी समझ लिया था। घर पर वार्ता हुई तब कहा कि भाभी जी विनीता से बात करूंगा। बात हुई और हमें आने वाले परिणाम का आभास हो गया।
सूरतगढ़ में पुलिस स्टेशन के आगे धरना और प्रदर्शन में श्याम मोदी ने आमरण अनशन शुरू करने की घोषणा की तब मोदी को आमरण अनशन पर बिठाने के लिए जयपुर से आए। श्याम मोदी को आमरण अनशन पर बिठाते वक्त उन्होंने अपने भाषण में आगे की सभी स्थितियां स्पष्ट रूप में प्रगट करदी।
उन्होंने कहा कि सूरतगढ़ इलाके के लोगों ने मेरे हर आँदोलन में और हर दुख दर्द में पूरे मन से साथ दिया है। जयपुर जाने के बाद वहां पर जीवन संगिनी आशा भारती की मृत्यु के बाद वहां से उनका पार्थिव शरीर लेकर सूरतगढ़ आया व अंतिम संस्कार यहां पर किया। उसके बाद माँ के देहावसान पर उनका पार्थिव शरीर लेकर सूरतगढ़ आया व अंतिम संस्कार यहां पर किया। अब 2 अक्टूबर को आमरण अनशन पर बैठूंगा और अब मैं सूरतगढ़ नहीं आऊंगा न मेरा शरीर यहां आएगा। मैंने देहदान की घोषणा कर रखी है और वह राजस्थान चिकित्सा विभाग को सौंप दी जाएगी ताकि मेडिकल के विद्यार्थी अध्ययन कर सकें। यह सच्च निकला।
उन्हें अपने प्राणों की परवाह तो नहीं थी मगर साथियों के जीवन पर ध्यान था। मुझे जयपुर से फोन करके विशेष रूप से कहा कि अबकी बार श्याम मोदी को आमरण अनशन पर मत बैठने देना। उसको हृदयघात हो चुके हैं तथा बाईपास सर्जरी करवाई हुई है।
मैंने उनसे यह वादा किया।
उनकी यादें ना जाने कितनी हैं जो मन में आती रहेंगी।

यह ब्लॉग खोजें