* करणीदानसिंह राजपूत *
राजस्थान में जो आपराधिक हालात हैं जो प्रशासनिक लापरवाही है,हर ओर जो शून्यता है उस पर बोलकर राज्य में हलचल मचा देने हिम्मत नहीं है क्योंकि यहां कोई लीडर नहीं और न लीडरशिप है। विधायक चुना जाना,मंत्री बनना, मुख्यमंत्री बनना,पार्टी में ऊंचे ओहदे पर नियुक्त होना एक प्रक्रिया है और उससे नाम होना लीडरशिप नहीं। लीडर को दिल्ली की ओर देखते रहने वहां के ईशारे की आवश्यकता नहीं होती,दिल्ली जयपुर की ओर देखे और देख कर निर्णय करे तब लीडर है और लीडरशिप है। यहां जो हालात है प्रदेश की जो दुर्दशा हो रही है वह जनमानस की चर्चा में बातचीत में झलक जाती है कि अब राजस्थान में कोई लीडर नहीं कोई लीडरशिप नहीं। लीडर निर्भिक होता है और वही दबंग रूप चर्चा में हर जगह बोला लिखा जाता है। लेकिन वर्तमान में राजस्थान में किसी की भी चर्चा नहीं कि वह दिल्ली को आंखें दिखा सके और दिल्ली उसकी आंख झपकने से पहले डर जाए। दिल्ली जो थोप दे वह सभी चुपचाप मान ले तो लीडरशिप कहाँ है? लीडर का निर्णय तो स्वयं का होता है। वह हर काम शुरू करने से पहले दिल्ली के आदेश निर्देश की परवाह में शिथिल सा नहीं रहता।
भजनलाल शर्मा का मुख्यमंत्री बनना लीडरशिप नहीं है। वे लीडर नहीं है और लीडरशिप से चुने हुए भी नहीं है। इस ऊंचे ओहदे पर पहुंचना लीडरशिप नहीं है। उनको लीडरशिप के कारण इस ऊंचे ओहदे पर बिठाया भी नहीं है। राजस्थान में उनका लीडरशिप वाला कोई कार्य भी नहीं है। कार्य को छोड़ें कोई घोषणा तक नहीं है। दिल्ली को भी यह नाम चुनना पड़ा जो उनके अनुसार उठता बैठता रहे। लीडर होता तो पर्ची से नाम नहीं निकलता। वसुंधरा राजे में लीडरशिप होती तो वह भी कह देती कि विधायक निर्णय करेंगे। वह पर्ची को खोलती नहीं। जो भी निर्णय होता वह विधायक करते। वसुंधरा राजे की गलती ने सभी विधायकों का अधिकार भी खत्म करा दिया। प्रदेश का मुखिया बदला जाने की बातें फैलते महीनों बीत गये। लीडरशिप होती तो वह लीडर ही बोल उठता कि यह क्या तमाशा बनाया हुआ है। स्वयं वसुंधरा राजे भी डरी हुई है और चुनौती रूप में बोल नहीं सकती। दिल्ली के विरुद्ध बोलना दिल्ली को कुछ कहना खतरनाक हो सकता है। दिल्ली भजनलाल को बदले तब किसी दूसरे का नाम न निकालदे। वसुंधरा को अधर में लटका के रख दिया। मुख्यमंत्री पद की आशा में त्रिशंकु बना दिया। धरती आकाश के बीच में बस अब बनी बस कुछ दिन और बस कुछ दिन और। यह इंतजार जो खत्म नहीं हो रहा। दिल्ली दबा रही है। लीडर और लीडरशिप को दिल्ली भी नहीं दबा पाती। कमजोरी देखी और दबा दिया और अभी उसी पर चल रही है,धौंस पर। बस,इसलिए राजस्थान के वर्तमान हालात हैं।०0०
23 नवंबर 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान.
94143 81356.
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