शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

घग्घर का पानी डिप्रेशनों में डाला जाए.रंगमहल एस्केप से बहाव क्षेत्र में डालना पूरा गलत.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़,11 अक्टूबर 2025.

घग्घर बाढ के अधिक पानी की किसानों को जरूरत नहीं लेकिन विरोध के बावजूद अभी रंगमहल एस्केप से बहाव क्षेत्र में   सिंचाई विभाग के अधिकारी जबर्दस्ती मनमानी पानी छोड़ रहे हैं जिससे करोड़ों की फसल को नुकसान होने वाला है। किसानों की मांग को सही ढंग से सुना नहीं जा रहा। प्रशासनिक अधिकारी सूरतगढ़ के एसडीएम, एडीएम,जिलाकलेक्टर श्रीगंगानगर, संभागीय आयुक्त बीकानेर के समक्ष किसानों ने अवगत करा दिया और रंगमहल एस्केप से पानी छोड़ना बंद करने की मांग भी रखी लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारियों की धौंस और मनमर्जी सारे प्रशासन पर भारी पड़ रही है। घग्घर में पानी अधिक है और मांग नहीं है तो पानी केवल और केवल घग्घर डिप्रेशनों में ही डाला जाए जो वर्षों पहले की बनी हुई और स्वीकृत योजना है।

घग्गर डिप्रेशन अभी पूरे भरे नहीं है और काफी खाली पड़े हैं।

घग्घर डिप्रेशनों की योजना संग्रहित लाखों घनफुट पानी भविष्य में सिंचाई के लिए दिए जाने की है।  डिप्रेशनों में सूरतगढ़ में क्षेत्र करीब 7000 बीघा और रावतसर तहसील क्षेत्र में 1000 के करीब सरकार द्वारा अधिकृत क्षेत्र है।


* घग्गर में अत्यधिक पानी आने और बाढ़ से गांव और खेतों में भारी नुकसान हुआ करता था तब सन 19 64 में घग्घर बाढ नियंत्रण की योजना बनी थी। सन 1967 में सूरतगढ़ तहसील और रावतसर तहसील के क्षेत्र के गहराई वाले टिब्बा क्षेत्रों को सरकार ने अधिग्रहित किया। अधिग्रहित खेतों के मालिक किसानों को यहां से अन्यत्र स्थानांतरण मिला। श्रीबिजयनगर अनूपगढ़ घड़साना आदि तहसीलों में स्थानांतरित जमीनों पर जाकर के किसान बस गए और खेती करने लगे। सरकार ने जो डिप्रेशन अधिग्रहण किये थे वे सभी  पूर्ण रूप से समुद्र की ऊंचाई के तल एक लेवल पर  निर्धारित किये गये थे, कि उक्त ऊंचाई तक कोई फसलें नहीं बोई जाएगी और वह क्षेत्र ही अधिकृत किया गया था। अधिकरण के बाद में जब बहुत अधिक वर्षा हुई तब घग्घर क्षेत्र में पानी अधिक नहीं छोड़ा गया और डिप्रेशनों में यानी कृत्रिम झीलों में छोड़ा गया। सूरतगढ़ के पास में कट नंबर 15 जो रेल मार्ग और सड़क मार्ग पर बने हुए पुल है वहां पर रेगुलेशन सिस्टम है वहां से सूरतगढ़ के नजदीक तक डिप्रेशनों में भरा भी गया। सभी झीलें भरी गई थी। इसके बाद में अनेक बार पानी कम आया तब इन झीलों में पानी नहीं डाला गया या कम डाला गया था।

 झीलों के बनाने का एक बड़ा उद्देश्य यह  था कि इनको भरने के बाद में जो पानी है उसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा किसानों को जब जरूरत होगी तब सूरतगढ़ के पास से बने हुए चैनल से और रंग महल एस्केप से पानी घग्घर बहाव क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। अनेक बार घग्घर नदी में पानी नहीं आया  कम आया तब  बहाव क्षेत्र और करणी जी नहर क्षेत्र में चावल की फसल को बचाने और पकाने के लिए पानी छोड़ा गया। घग्गर बहाव क्षेत्र में इंदिरा गांधी नहर से भी पानी छोड़ा गया था। यह प्रक्रिया समुचित ढंग से किसानों की फसल बचाने राष्ट्र का नुकसान होने से बचाने के लिए चल रही थी। सूरतगढ़ के पास मानकसर सड़क पुल के पास में लिंक बनाए गए जो पीएनबी लिंक नहर और आगे करणी जी नहर लिंक को जोड़ने वाले हैं। ताकि आगे के क्षेत्र को पानी घग्घर बहाव क्षेत्र से दिया जा सके और कृत्रिम झीलों से दिया जा सके।

*अभी सन् 2025 के अंदर घग्घर बहाव क्षेत्र में पानी काफी अधिक आया और बरसात भी बहुत हुई है इसलिए घग्घर बहाव क्षेत्र में पानी की अभी आवश्यकता नहीं है।

बहुत अधिक मात्रा में छोड़े जाने से किसानों को निश्चित रूप से नुकसान होगा और वह राष्ट्र का नुकसान है।

घग्घर नदी में पानी अभी अधिक आ रहा है तो वह  इंदिरा लिंक साइफन बना हुआ है उससे इंदिरा गांधी नहर में डाला जा सकता है तथा  जीडीसी नहर से इन डिप्रेशनों में डाला जाए। डिप्रेशन अभी काफी दूरी तक खाली पड़े हैं। इनमें पानी भरा जाएगा तो वह भविष्य में काम आएगा।

 आश्चर्यजनक यह है कि कुछ दिन पहले रंग महल एस्केप से घग्घर बहाव क्षेत्र में पानी छोड़ा गया और वह बिना मांग के छोड़ा गया। अब घग्घर बहाव क्षेत्र के किसान निरंतर मांग कर रहे हैं कि रंग महल एस्केप से पानी बंद कर दिया जाए लेकिन राजस्थान सरकार के प्रशासनिक अधिकारी जिनको विधि वत ज्ञापनों के माध्यम से मांग पत्रों के माध्यम से किसानों ने अवगत कराया लेकिन उनकी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता अधीक्षण अभियंता अधिशासी अभियंता आदि सभी अधिकारियों को मालूम है कि रंग महल एस्केप से पानी बहाव क्षेत्र में छोड़ना गलत है और बनी हुई योजना के तहत पानी घग्गर की इन कृत्रिम झीलों यानि डिप्रेशन में छोड़ा जाना चाहिए लेकिन वह बहुत बड़े घोटाले के कारण षड्यंत्र के कारण पानी डिप्रेशनों में नहीं छोड़ रहे हैं। सरकार ने जो जमीन अधिगृहीत की थी वहां

बड़े रूप में भूमाफिया अवैध खेती कर रहे हैं।

अवैध रूप से खेती होती है उसकी करोड़ों रुपए की खेती में नेताओं शह होती है। अवैध खेती अवैध भूमि अतिक्रमण वालों की कोठियां हैं कारें हैं और करोड़ों की सम्पतियां हैं।

* डिप्रेशनों में पानी डाला जाता है तो अवैध खेत फसलें डूबती हैं। अवैध खेती करने वाले इन भूमाफिया किसानों को बचाना है और अवैध खेती बचानी है और इस गैरकानूनी कार्य के लिए  घग्घर बहाव क्षेत्र में जबर्दस्ती से पानी छोड़ा जा रहा है। किसानों की आवाज है कि 

रंगमहल एस्केप से घग्घर बहाव क्षेत्र में पानी डालना तुरंत बंद किया जाए लेकिन एक पखवाड़ा बीत रहा है यह पानी बंद नहीं किया जा रहा।

* इस क्षेत्र में राजनीति करने वाले हर नेता को सत्ता और विपक्ष को अवैध खेती का मालुम है।

सूरतगढ़ से विजयी कांग्रेस के विधायक बने डुंगरराम गेदर को यह सच्च मालुम है। भाजपा के हारे हुए पूर्व में राज्य मंत्री रहे रामप्रताप कासनिया को मालुम है। कासनिया ही यहां शासन चला रहे हैं। भाजपा के जिलाध्यक्ष शरणपालसिंह को भी यह सब मालुम है। यहां के हर सरपंच पंच जीते हारे सभी को मालुम है।

 यह वोट की खेती है। लेकिन इसमें सही और वैध किसानों पर मार है।

*विभागों में फैले भ्रष्टाचार के कारण आवाप्त भूमि सिंचाई विभाग के खाते में दर्ज नहीं हुई। राजस्व विभाग की मिलीभगत और सिंचाई विभाग की ढील है जिससे माफिया अवैध खेती कर रहे हैं। ( पूर्व विधायक स.हरचंद सिंह सिद्धू ने 22 दिसंबर 2023 को सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता अमरजीत सिंह मेहरड़ा से भेंट कर घग्घर डिप्रेशनों की अधिग्रहित भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में  सिंचाई विभाग के नाम से दर्ज करवाने की मांग की थी। अवैध खेती का भी बताया था। मैं पत्रकार भी उस बातचीत में उपस्थित था)

 *अधिकारिक रूप में जिला कलेक्टर को यह सच्ची रिपोर्ट सरकार को पहुंचानी चाहिए। वर्तमान में श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर डा.मंजू का यह दायित्व बनता है। सभी कामों से पहले रंगमहल एस्केप से पानी छोड़ना बंद करवाया जाए।

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करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 61 वर्ष का अनुभव,

(राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत लाईफ टाईम)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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