सच के साथ खड़े होने वाले
यहाँ नहीं मिलते!
जिस किसी की तारीफ कर दो; जिक्र कर दो, वो ये समझेगा कि पत्रकार ने कोई अहसान नहीं किया, ये उसका काम है। और फिर कभी आलोचना कर दी या किसी ख़बर/आलेख मेँ जिक्र ना किया तो फिर पत्रकार बिकाऊ है। पहले की गई तारीफ, जिक्र सब मिट्टी हो जाता है।
और अब नया ट्रेंड चला है। जो वश मेँ ना आये....उसे आमंत्रण देना बंद कर दो। उसे किसी भी आयोजन मेँ बुलाओ ही मत। ना वो आएंगे, ना देखेंगे और ना ही लिखेंगे। काम नक्की।
बस उनको बुलाओ, दिखाओ जो चापलूसी करते हैं....इस मेहनत के भी जो दाम वसूलते हैं। सच की तारीफ करने वाले तो बहुत मिलते हैं, लेकिन सच के साथ खड़े होने वाले नहीं मिलते।
-गोविंद गोयल,
साभार:-
श्री गोविंद गोयल वरिष्ठ पत्रकार हैं।
श्रीगंगानगर में निवास है। बहुत पैना तीखा अकाट्य शब्दों में लिखते हैं। आप के समक्ष प्रस्तुत किया है। करणीदानसिंह राजपूत.
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