( मीडिया रिपोर्ट्स.3 जनवरी 2025.)
उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी 2018 को दर्जनों मोटरसाइकिल सवार तिरंगा यात्रा पर निकले जब वे बद्दुनगर मुस्लिम बहुल इलाके में पहुँचे तब यात्रा के दौरान विवाद हुआ। पत्थरबाज़ी हुई और फिर हालात नियंत्रण से बाहर हो गए। गोलियां भी चलीं और यात्रा में शामिल चंदन गुप्ता को एक गोली लगी। इसके बाद चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी।चंदन की मौत के बाद इलाक़े में तनाव फ़ैल गया था और दुकानों के साथ गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था. तब 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया था और तीन दिन तक इंटरनेट बंद था।
घटना के लगभग सात साल बाद इस मामले में अदालत का फ़ैसला आया है. लखनऊ में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने गुरुवार 2 जनवरी 2025 को 28 अभियुक्तों को दोषी ठहराया।
अगले दिन शुक्रवार 3 जनवरी 2025 को अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सभी दोषियों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई।
एनआईए के अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने 28 अभियुक्तों को आईपीसी की कई धाराओं के तहत दोषी पाया, जिनमें 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), और 147 (दंगा), 149 (ग़ैर-क़ानूनी सभा में शामिल होने) शामिल हैं। इसके अलावा अभियुक्तों पर आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) लगाई गई थी और मामला एनआईए की अदालत में चला गया था।
एसआईटी ने 31 अभियुक्तों के विरूद्ध जुलाई 2018 में आरोपपत्र दाखिल किया था लेकिन एक अभियुक्त की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।
28 जनवरी 2018 को घटना को लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट के मुताबिक़, जहां हिंसा हुई वहां दोनों ही पक्षों के पास तिरंगा था और झगड़ा रास्ते को लेकर हुआ था।
घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चंदन गुप्ता के परिवार को मुआवज़े के तौर पर 20 लाख रुपये देने की घोषणा की थी।
कासगंज पहले एटा ज़िले में आता था लेकिन 2008 में बीएसपी की सरकार में इसे अलग ज़िला बना दिया गया। उस वक़्त इसका नाम कांशीराम नगर कर दिया गया था, लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने इस शहर का पुराना नाम वापस लौटा दिया।
इस दौरान जब ये लोग शहर के बद्दू नगर इलाक़े में पहुंचे थे तो यहां स्थानीय लोगों से झड़प हो गई थी.
इस दौरान फायरिंग हुई और इसमें शहर के नदरई गेट निवासी एक युवक अभिषेक गुप्ता उर्फ़ चंदन को गोली लग गई थी. घटना के बाद घायल चंदन को ज़िला अस्पताल ले जाया गया और यहां उनकी मौत हो गई.
चंदन की मौत के बाद इलाक़े में तनाव फ़ैल गया था और दुकानों के साथ गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था. तब 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया था और तीन दिन तक इंटरनेट बंद था.
28 जनवरी 2018 को घटना को लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी. रिपोर्ट के मुताबिक़, जहां हिंसा हुई वहां दोनों ही पक्षों के पास तिरंगा था और झगड़ा रास्ते को लेकर हुआ था.
रिपोर्ट की माने तो बद्दू नगर के स्थानीय मुसलमानों ने गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा फहराने की तैयारियां की थीं और कुर्सियां रखी थीं.
वहीं बाइकों पर निकल रही तिरंगा रैली में शामिल युवाओं ने कुर्सियां हटाकर रैली वहीं से निकालने के लिए कहा था.
घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चंदन गुप्ता के परिवार को मुआवज़े के तौर पर 20 लाख रुपये देने की घोषणा की थी.
कासगंज पहले एटा ज़िले में आता था लेकिन 2008 में बीएसपी की सरकार में इसे अलग ज़िला बना दिया गया। उस वक़्त इसका नाम कांशीराम नगर कर दिया गया था, लेकिन 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने इस शहर का पुराना नाम वापस लौटा दिया।
*राज्य सरकार के वकील एमके सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया, "सभी दोषियों को धारा 302 की सज़ा मिली है। इसमें दो ही सज़ा हैं, या तो मौत की सज़ा है या आजीवन कारावास. आजीवन कारावास की सज़ा दी गई है।"
एनआईए कोर्ट ने कुल 28 अभियुक्तों को दोषी ठहराया।
इनके नाम हैं- सलीम, वसीम, नसीम, जाहिद, आशिक क़ुरैशी, असलम क़ुरैशी, अकरम, तौफ़ीक, खिल्लन, शादाब, राहत, सलमान, मोहसिन, आसिफ, शाकिब, बबलू, निशू, वासिफ, इमरान, शमशाद, जफ़र, साकिर, खालिद परवेज़, फैज़ान, इमरान क़य्यूम, शाकिर सिद्दीकी, मुनाज़िर और आमिर।
सलीम, वसीम, नसीम, मोहसिन, राहत, बबलू और सलमान को शस्त्र अधिनियम के तहत भी दोषी करार दिया गया है क्योंकि चार्ज़शीट के मुताबिक़, घटना के दौरान ये लोग हथियार लेकर गए थे।
दो अभियुक्तों नसीरुद्दीन और असीम क़ुरैशी को बरी कर दिया गया है. दोनों को सबूतों के अभाव में बरी किया गया है। इनके अलावा अजीजुद्दीन नामक अभियुक्त की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। एमके सिंह का कहना है कि बरी हुए लोगों पर हम लोग जजमेंट की कॉपी मिलने के बाद फ़ैसला करेंगे।