भाजपा:सूरतगढ़ से चुनाव लड़ना चाहते हैं। मगर सूरतगढ़ में काम नहीं करना चाहते।
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 6 नवंबर 2024.
सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सन् 2028 का चुनाव लड़ना चाहते हैं मगर सूरतगढ़ में कोई काम नहीं करना चाहते। सूरतगढ़ क्षेत्र की जनता से बात नहीं करना चाहते। जनता की समस्याओं को सुनना नहीं चाहते। किसी का काम किसी सरकारी दफ्तर में हो तो उसके साथ नहीं जाते न फोन करते हैं।
👍 एक वरिष्ठ नागरिक से एक नेता का नाम बता कर पूछा कि आजकल क्या करते हैं? वरिष्ठ नागरिक ने बताया वे नेताजी कुछ नहीं करते। उनकी आगे की उत्तर पंक्ति गजब ढाने वाली रही। उनकी कोई चर्चा ही नहीं है। कोई कालोनी वासी उनकी चर्चा भी नहीं करता। जिस कालोनी में रहें वहां चर्चा न हो तो स्थिति तो साफ हो जाती है। बातचीत को अधिक विस्तार दिया तो उत्तर मिला। वे अपना व्यवसाय संभाल रहे हैं। जनता के लिए वक्त नहीं।
👍 सूरतगढ़ से 2023 चुनाव के लिए टिकट चाहने वाले अब न जाने कहां चले गये। वे भी अपने कामधंधों में लग गये।
* एक सज्जन से यह उत्तर भी मिला। अभी समय और पैसा भी क्यों लगाया जाए। चुनाव आएगा तब टिकट भी मांग लेंगे और जनता में आकर संपर्क भी कर लेंगे।
👍 सन् 2028 का चुनाव लड़ने के लिए एकदम से अवतार भी आ सकते हैं। अभी तो सूरतगढ़ की सीमा में ही दम घुटता है। टिकट तो ऊपर से मिलनी है सो सूरतगढ़ के बजाय ऊपर ही संपर्क साधने में लगे हुए नेता भी हैं। मोदीजी के नाम पर उस समय तक शायद भाजपा की गाड़ी चलती रहे। भाजपा की टिकट तो ले आएंगे यह मान लेते हैं लेकिन भाजपा की टिकट जीत की गारंटी हो यह तो जरूरी नहीं। भाजपा की टिकट 2023 में जिनके पास थी क्या उनको कार्यकर्ताओं ने साथ दिया? सूरतगढ़ में जब काम ही नहीं करते तब सूरतगढ़ की टिकट कैसे मिल जाएगी? 2028 के चुनाव की चर्चा अभी से क्यों? यह प्रश्न हो सकता है। लेकिन सोचें कि पिछला चुनाव हुए एक साल बीत गया है और समय बीतते देर नहीं लगती। अभी सूरतगढ़ क्षेत्र में काम कौन कर रहा है या कर रही है? सूरतगढ़ क्षेत्र में काम कौन करवा रहा है या करवा रही है?
नगरपालिका तहसील पुलिस सिंचाई आदि विभाग जहां आम जनता का काम अधिक पड़ता है। लेकिन चुनाव लड़ने के ईच्छुक अपने घरों में हैं या फिर सूरतगढ़ से बहुत दूर हैं। विभिन्न राजनैतिक दलों से भाजपा में घुसे नेताओं का भी कोई अतापता नहीं है।उनमें से भी चुनाव तो लड़ना चाहते हैं लेकिन अभी जनता से संपर्क भी नहीं रखना चाहते। जनता के काम कराने के लिए साथ जाना आना तो दूर की बात है।०0०
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