गुरुवार, 30 मई 2024

मोदी है तो मुमकिन है! न बिजली है न पानी है.फिर भी मुमकिन का नारा है.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

भारत सरकार के प्रधानमंत्री पद पर 10 साल  तक सभी मंत्रियों की झंडी अकेले दिखाते रहे नरेंद्र मोदी ने जीवन की रोजाना की 2 आवश्यकताओं बिजली और पानी के मामले में देश को कोई मजबूती नहीं दी। गर्मियों में बिजली पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। शहरों की आवाज तो फिर भी उठ जाती है लेकिन गांवों की बुरी हालत को दबा दिया जाता है। 

मोदी है तो मुमकिन है! न बिजली है न पानी है,फिर भी मुमकिन का नारा है। इस बेशर्मी वाली हालत पर भी सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के नेता इतराते हैं। मोदी है तो मुमकिन है का नारा लगाते हैं। अनेक का जवाब होता है कि इतने बड़े देश में एकदम से कैसे व्यवस्था सुधर जाए या निर्माण हो जाए? देश बड़ा विशाल है तो संसाधन भी तो अधिक हैं। 

* दस साल कम भी नहीं होते। वैसे 10 सालों में मित्र कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बीएसएनएल की जो हालत की गई है वह संपूर्ण देश देख रहा है और मजबूरी में प्राईवेट कं की सिम ले रहा है। बीएसएनएल को न संसाधन न स्टाफ। अरबों रूपयों की संपत्ति उपकरण हर शहर व कस्बों में नष्ट हो रहे हैं। कहना उचित होगा की जानबूझकर मोदी सरकार नष्ट करवा रही है। अनेक सार्वजनिक संस्थानों को बंद करवा दिया गया है। फिर भी मोदी है तो मुमकिन है। प्रजातंत्र है जब राज जाएगा तब लोग जवाब मांगेंगे। अभी तो ईडी सीबीआई से डरा रखा है। ०0०

30 मई 2024. हिंदी पत्रकारिता दिवस.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता 60 वर्ष,

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356

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