* करणीदानसिंह राजपूत *
कांंग्रेस ने हनुमान मील और भाजपा ने राजेंद्र भादू की टिकट पर उस्तरा चला दिया। इलाके के दिग्गज माने जाने वाले नेताओं के सीने पर घाव सहन तो नहीं होता लेकिन इनको सोचना है कि पार्टी के नाम पर कुछ नेताओं के थोपे गये निर्णय को जहर का घूंट पीकर अपनी राजनीति की हत्या करलें या फिर जहर का प्याला कठोर संदेश के साथ जयपुर दिल्ली लौटा दें।
* मील और भादू चुनाव रण में अपने लाव लशकर साजो सामान के साथ उतरेंगे या युद्ध में हार जाने की आशंका से डर जाएंगे। युद्ध में लड़ते हुए हार जाना भी बहादुराना मर्दानगी कहलाती है लेकिन डर कर भाग जाना कायरता। युद्ध में हार जाने वाला दूसरे होने युद्ध में जीत भी सकता है लेकिन मैदान छ़ोड़ने वाला तो फिर लौट नहीं पाता।
मील ने 5 नवंबर 2023 को और भादू ने 6 नवंबर 2023 को अपने सेनानियों को बुलाया है।
युद्ध करेंगे। युद्ध से डरेंगे मैदान छोड़ देंगे।किसी अन्य दल के आगे सरेंडर करके सदा के लिए नंंबर दो का बनना स्वीकार करेंगे, यह निर्णय करना है। युद्ध करना चाहिए। आखिर सारे साजो सामान युद्ध सामग्री अकूत संपदा फिर किस काम की। मील के लिए यह पहला निर्णय हो सकता है लेकिन भादू तो ऐसे युद्ध लड़ने का अनुभवी योद्धा रहा है.०0०
5 नवंबर 2023.
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