* करणीदानसिंह राजपूत *
नगरपालिका सूरतगढ के 60 दिन या नया आदेश हो तो इससे पहले तक के लिए नियुक्त अध्यक्ष परसराम भाटिया के तीव्रतम गति से कार्य करने के लिए सराहना हो रही है। मीडिया ने भी शानदार हैडिंग लगाकर समाचार छापे हैं।
लेकिन जल्दबाजी और अधिक तेज गति दुर्घटना का गलती का कारण बनती है। शीर्षक कुछ ऐसा है कि यह सलाह क्यों दी जा रही है? कामों के जानकार हैं इसलिए नियम विरुद्ध कुछ भी गलत नहीं करेंगे।
* परसराम भाटिया के हर कार्य पर विधायक रामप्रताप कासनिया और भाजपा की कितनी नजर रहती है या नहीं रहती है लेकिन ओमप्रकाश कालवा की नजर और पकड़ रहेगी। ओमप्रकाश कालवा की शिकायतें मुकदमें कर निलंबन कराने में परसराम भाटिया और पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल रहे हैं। इसलिए
यह पक्का मानना चाहिए कि ओमप्रकाश कालवा भी परसराम भाटिया की गलतियों नियमविरुद्ध कार्यों पर हर कानूनी कार्यवाही करेगा।
* परसराम भाटिया के द्वारा 16 दिन में प्रमुख रूप से तीन चार कार्य हुए हैं। इनकी समीक्षा करली जानी चाहिए। समीक्षा करना कभी हानिकारक नहीं होता और कमी रही हो तो आगे के लिए सावधान करता है। जब सामने राजनीतिक दुश्मन हो विरोधी हो तब तो समीक्षा करना और हर कार्य का कानूनी पहलू देखना चाहिए।
तीन कार्य 5 साल पहले नीलाम किए भूखंडों का कब्जा देना, अरूट महाराज के नाम पार्क का शिलान्यास और नगरपालिका बोर्ड की 10 अगस्त को आयोजित साधारण सभा।
भूखंडों का कब्जा दिए जाने का मामले को कौशिक बंधुओं ने अदालत में चुनौती दे दी। मौके पर भी विरोध किया। कौशिक बंधुओं के मामले को एक बार अलग रखने के बाद समीक्षा की जाए कि खरीदारों को निशान सही दिए गये या जल्दबाजी में गलत दिए गये? सही है तो सभी खरीदारों में से कुछ वंचित कैसे रह गये? उनकी जमीन कहां चली गई? जिन्होंने निशान ले लिए वे तो संतुष्ट हैं क्या या वे भी आगे उलझने से बचने के लिए कहने लगे हैं कि उनको सही जगह पर कर दो ताकि निर्माण करवा सके।
अरूट महाराज पार्क एक करोड़ का नहीं था तब समारोह में बार बार एक करोड़ का क्यों बोला गया? नगरपालिका बोर्ड की साधारण सभा के लिए 7 दिन की सूचना जरूरी है तो इसका पालन क्यों नहीं किया गया? यह बैठक पूरी तरह से नियमविरुद्ध हुई है। भाजपा पार्षदों ने उपखंड अधिकारी को लिखित में विरोध पत्र भी दिया और सभा का बहिष्कार भी किया। भाटिया जी को इसकी जल्दबाजी क्यों रही? सभा नियम विरूद्ध थी तब अधिशासी अधिकारी ने इसकी सूचना जारी कर और सभा करवा कर नियम विरुद्ध कार्य में साथ देने की गलती क्यों की? सभा से पहले अधिशासी अधिकारी के बयाना स्थानांतरण के आदेश वायरल हो चुके थे। यह सभा चुनौती के बाद निश्चित ही निरस्त हो जाएगी। डीएलबी इसे स्वीकार ही नहीं कर सकती। इसमें लिए पारित प्रस्ताव भी निरस्त हो जाएंगे। बड़ा प्रश्न यही है कि सभा के लिए जल्दबाजी क्यों की गई?यह सात दिन बाद भी हो जाती। क्या यह भय रहा है कि ओमप्रकाश कालवा आ सकता है? तो यह भय तो रहेगा लेकिन इस भय के रहते तो हर कार्य में अधिक सावधानी की जरूरत है जल्दबाजी की नहीं।
👍 भ्रष्टाचार के आरोप में नगरपालिका के अध्यक्ष पद और सदस्यता से ओमप्रकाश कालवा को निलंबित किए जाने के बाद 28 जुलाई 2023 को परसराम भाटिया को 60 दिन के लिए अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। परसराम भाटिया ने 29 जुलाई 2023 को कार्यभार ग्रहण किया। अब तक 16 दिन बीत गए हैं।
* परसराम भाटिया को जल्दबाजी और नियमविरुद्ध कार्यों से अपने को बचाना चाहिए। किसी को खुश करने या दबाव में आकर नियमविरुद्ध और गलत किए कार्य परेशानी ही पैदा करेंगे। वर्तमान में जो परेशानी कालवा भोग रहा है वैसी या और प्रकार की अदालती शिकायती परेशानियों से परसराम भाटिया को बचना चाहिए। यह भी समझना और मानना चाहिए कि कालवा सिर पर खड़ा है।
* मीडिया और प्रशंसक तो समय के साथ तुरंत बदल जाते हैं।०0०
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