पूजा छाबड़ा और उमेश मुद्गल का जीवन बचाने का निर्णय हां ना में करें.बहाने बहुत हो गए.
* करणीदानसिंह राजपूत *
पूजा छाबड़ा और उमेश मुद्गल ने सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान में आमरण अनशन का हलाहल पी लिया।
दोनों ने यह मरण व्रत सूरतगढ़ की जनता के लिए इलाके की जनता के लिए किया। इन दोनों के प्राण जीवन बचाने के लिए सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान समिति को हां और ना में ही फैसला करना है।
बहुत हो गई बातें। बहुत हो गई मीटिंगें। कोई फैसला नहीं हो पाया या फैसला करना नहीं चाहते। निर्णय लेना नहीं चाहते।
👍 यह अध्यक्ष की भी कमजोरी है और संचालन समिति की भी कमजोरी है।
अब सीधी सी बात है कोई बहाना नहीं कोई गली निकालने की कोशिश भी नहीं।
एकदम हां और ना में उत्तर दिया जाए। संचालन समिति इनके जीवन के लिए फैसला करे।
👍 यदि किसी की बच्चे को खांसी जुकाम हो जाए तो डॉक्टर के पास तुरंत भागते हैं कि उसका रोग ठीक हो जाए।
👍👍 बच्चे ने गलती से कीटनाशक पी लिया हो जहर पी लिया हो जहरीली दवा पी ली हो तो उसकी प्राण रक्षा के लिए जीवन रक्षा के लिए सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार रहते हैं। क्योंकि वह अपना बेटा है अपनी संतान है।
पूजा छाबड़ा और उमेश मुद्गल कौन हैं किसके बच्चे किसकी संतान हैं?
👍पूजा छाबड़ा ने और उमेश मुद्गल ने यह आमरण अनशन का हलाहल सूरतगढ़ के लोगों के लिए पिया। चाहे उन्होंने जोश में पीया है लेकिन आज वे नाजुक स्थिति के अंदर हैं तब हमारा क्या फर्ज बनता है?
* संचालन समिति के अध्यक्ष संचालन समिति के सदस्य अपना निर्णय तुरंत करें और लागू करें। इनकी जीवन रक्षा के लिए वे नया कदम कड़ा निर्णय क्यों नहीं दे रहे। हर निर्णय को टाल रहे हैं।
👍अब मौका टालने का नहीं है जनता को बताएं निर्णय लागू करें हां और ना में निर्णय करें कि उनकी जीवन रक्षा तुम्हें करनी है या बहाने बनाने गलियां निकालनी है?
एक बात याद रखें कि समय समिति के अध्यक्ष और सदस्यों को माफ नहीं करेगा।
1 अप्रैल 2023.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ.