बुधवार, 15 मार्च 2023

दोनों तरफ पागल नेता हैं: काव्य- करणीदानसिंह राजपूत।

 

दोनों तरफ पागल नेता हैं

सलाहकार हैं बुद्धिहीन तब

लड़ाई लूट कपट झूठ से

मेरे शहर जैसा होता है बुरा हाल।


पागल की पागल को चुनौती

चुनौती पर होती खबर रपट

काम किसी का होता नहीं

नूरा कुश्ती समझे नहीं कोई।


पागल नेता हैं समझदार भी

मुख जबानी गोले दागते और

टाइम पास करते हैं सभी नेता

कोई किसी पर नहीं करता केस।


गरीब को बसाने की बात झूठी

झूठे साबित होते अभियान

आशियाने मत उजाड़ो उसके

वह अपने बूते बस जाएगा।


पागल की पागल से लड़ाई में

बट निकाल रहे किसी गरीब का

तुम तुड़ाओ एक दूजे के कब्जे

दिखाओ अपनी अपनी ताकत।


पागल पागल के झगड़े में 

काम सभी बंद आंखें बंद हैं

चौधर की तुम्हारी लड़ाई में

शहर का बहुत बुरा हाल है।


पागल से पागल की लड़ाई

दुर्दशा को देख रहे अधिकारी

सब बुद्धिमान बड़े लोग मौन हैं

अपना तो कुछ जाता नहीं है।


दोनों तरफ पागल नेता हैं

सलाहकार हैं बुद्धिहीन तब

अपना ही जाता है सब कुछ

मानो यही है कड़वा मीठा सच्च।

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15  मार्च 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ़। राजस्थान।

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