* करणीदानसिंह राजपूत *
मास्टर जी ने अपने से बड़े नेता से डेढ लाख लिए। सत्ता वालों को ही नहीं बक्सा तो सत्ता से बाहर फिर कितना भी बड़ा हो। क्यों छोड़ा जाए जब काम बड़ा हो। फाईल को पास करना कोई खेल थोड़े है। पहली खेप 90 हजार और दूसरी 60 हजार। बाबू ने तो कहा तब ही लिए होंगे।
मास्टर जी ने पास वाले सिगनेचर नहीं किए। फाईल पास नहीं की मगर डेढ लाख भी नहीं लौटाए।
फाईल पास नहीं की और रुपये की वापसी भी नहीं की। देने वाले नेता ने वापस मांगे नहीं। लेकिन अपना दुख दिन में तारे दिखाने वाले मीडिया मास्टर के आगे रख दिया। बात तो सामान्य बातचीत में ही हुई मगर मीडिया मास्टर ने बिना देरी किए सवाल कर सारा भेद जान लिया।
👍 बेईमानी में इतनी ईमानदारी तो होती ही है कि काम नहीं हो तो लेनदेन चुकता होता है। मास्टर जी ने सोचा होगा नेता है किसी के आगे बताएगा नहीं। मास्टर जी की कार्यप्रणाली की सराहना की जानी चाहिए कि दूसरी पार्टी के बड़े नेता को भी बख्सा नहीं। वैसे भी पावर कुर्सी की होती है और कुर्सी नेता के पास नहीं मगर मास्टर जी के पास है।
👍 अब हो सकता है मीडिया मास्टर की रिपोर्ट से चुपचाप भेंट वापस हो जाए। भेंट पर ब्याज नहीं होता।०0०
*23 जनवरी 2023.
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