शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022

ओमप्रकाश कालवा के राज में नगरपालिका में अशांति क्यों है?काम नहीं होने से उठते तूफान.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

 ओमप्रकाश कालवा के कार्यकाल में रह रह कर महीने 2 महीने में कोई ना कोई तूफान क्यों उठता रहता है?कभी धरना कभी प्रदर्शन। कभी कर्मचारियों की काम रोको पेन डाउन स्ट्राइक। नगरपालिका के अंदर वाद विवाद और मारपीट। यह सब क्या है? 

ओमप्रकाश कालवा के कार्यकाल में अनेक घटनाएं हो चुकी है? इन पर मनन और चिंतन किया जाना चाहिए। 

* रावण का पुतला जला दिया गया। ओमप्रकाश कालवा समारोह में थे। नगरपालिका भवन के आगे रामलीला में राम का राजतिलक किया। नगरपालिका में रामराज आना था लेकिन यहां तो  दो दिन बाद ही तूफान उठ खड़ा हुआ।

नगर पालिका में ठेकेदार बाबूसिंह खीची और अधिकारी भिड़ गए।बाबू सिंह खींची नगरपालिका के ठेकेदार भाजपा के कार्यकर्ता और सामने अधिशासी अधिकारी के कक्ष में ही लेखापाल से भिड़ंत हो गई कि उसके बिल नहीं बनाए जा रहे न पास किए जा रहे। वर्षा पानी की निकासी का ठेका बाबू सिंह का है। खीची का कहना है कि लाखों रुपए के बिल बाकी है अन्य लोगों के बिल पारित किए जा रहे हैं लेकिन उसको भुगतान करने में देरी की जा रही है। ठेकेदार का उत्तेजित होना जायज भी है क्योंकि नगर पालिका द्वारा भुगतान में देरी करना ठेकेदार को मारना ही होता है। 

नगर पालिका बिल बनाने में और पास करके रख देने में क्या अड़चन है। कहीं से भी रकम आते ही भुगतान करें लेकिन बिल तो बनाया हुआ होना चाहिए। यह मामूली सी घटना ईओ के सामने हुई। बाबूसिंह तो ईओ को ही कह रहा था। वहां उपस्थित एकाऊंटेंट से तू तू मैं मैं के कारण इस स्टेज पर पहुंच गई कि कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। 

अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा और अधिशासी अधिकारी दोनों ही कार्यालय में उपस्थित रहे हैं और ओमप्रकाश कालवा की समझाइश से कर्मचारियों को शांति रखनी चाहिए थी।

* नगर पालिका में माननीय अध्यक्ष महोदय के कार्यकाल में भाजपा की तरफ से तो अशांति कम हुई है लेकिन उन्हीं की पार्टी कांग्रेस की तरफ से तूफान ज्यादा लाए गए हैं।इसका कारण क्या है घूम फिर कर बड़ा कारण यही सामने आता है कि नगरपालिका में काम कराने के लिए चक्कर कटवाए जाते हैं।

इस पर अध्यक्ष को विचार करना चाहिए कि यह स्वायत्तशासी संस्था है। नगर पालिका को पूरा बोर्ड चलाता है जिसमें कांग्रेस का बहुमत है। बोर्ड के अध्यक्ष की ही जिम्मेदारी है की वह बिगड़ी व्यवस्था को सुधारे।

* नगर पालिका में काम नहीं होने और चक्कर कटवाने के मामले में कांग्रेस पार्टी के ही नेता गुरदर्शन सिंह सोढ़ी ने धरना लगाया तब जाकर उनका काम हुआ। मामूली से काम के लिए उनको नगर पालिका में बार बार चक्कर कटवाए जा रहे थे। केवल भू संपत्ति का नामांतरण करना था। सोढी ने धरना लगाया तब वह काम कुछ घंटों में ही संपन्न हो गया। उस समय सोचा जाना चाहिए था कि एक कांग्रेसी को धरना लगाने की आवश्यकता क्यों हुई थी? लेकिन लगता है कि कालवा जी के पास में समय नहीं है नगर पालिका को सही ढंग से शांति से चलाने का।

नगरपालिका के अंदर केवल कागजों की नकल मांगने के लिए कांग्रेस पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष नगर पालिका के पार्षद परसराम भाटिया को धरना देना पड़ा था। पूर्व पालिका अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल को भी नकलों के लेने के लिए कसरत करनी पड़ी थी।

 पट्टों के मामले में कांग्रेसी पार्षद बसंत कुमार बोहरा को शिविर के अंदर पूर्व विधायक गंगाजल मील और अध्यक्ष के सामने खाली कनस्तर बजाना पड़ा था ताकि ये लोग आवाज सुन सकें।  पटों के मामले में मुख्यमंत्री बहुत विनम्र और अनेक नियम बदले ताकि लोगों का भला हो जाए लेकिन नगरपालिका के अंदर पट्टा वितरण के अंदर एकदम ढील रही लोग चक्कर काटते रहे। अभी भी अनेक लोगों के आवेदन पत्र पड़े हैं। कार्यवाही की कोई उम्मीद नजर नहीं आती।

नगरपालिका के दो पूर्व अध्यक्षों सोहनलाल रांका और गौरीशंकर सोनगरा के साथ क्या व्यवहार रहा है? दोनों कांग्रेस के हैं। दोनों पालिका की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट हैं। गौरीशंकर के भाई रेंवतराम सोनगरा ने तो पट्टा मामले में जिला कलेक्टर को शिकायत की। कांग्रेस का ही पार्षद मोहम्मद फारुख ने आरोप क्यों लगाए? वह भी असंतुष्ट क्यों हुए?

यहां नंदी शाला का उल्लेख भी जरूरी है। उसे राजाराम गोदारा संचालित कर रहे थे। वे कांग्रेस के ही नेता और पूर्व पार्षद। उनका पुत्र महेंद्र गोदारा अभी पार्षद है। नंदी शाला में क्या हुआ और क्या किया गया। वहां अनिल धानुका को अध्यक्ष बनाया गया। क्या उनके पास समय है?

अनिल धानुका के अध्यक्ष बनाने के बाद सभी वार्डों में नंदी क्यों घूम रहे हैं? 

भारतीय जनता पार्टी ने नगर पालिका के निकम्मे पन के कारण व्यवस्था के विरोध में 24 अगस्त 2022 को प्रदर्शन किया था। उस समय जो वादा किया गया वह पूरा नहीं हुआ।

* कांग्रेस पार्टी के अन्य पदाधिकारी पार्षदों ने अध्यक्ष ओम प्रकाश कालवा पर और उपाध्यक्ष सलीम कुरेशी पर अतिक्रमण आदि के जो आरोप लगाए वह बहुत गंभीर हैं जिनका कोई विधिवत खंडन नहीं किया गया। उनकी उच्च स्तरीय जांच से ही सही स्थिति सामने आएगी।


नगरपालिका में आम जनता अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी से कैसे मिले कब मिले क्योंकि उनके पास तो हर समय कुछ महिला पार्षदों के पति भाई रिश्तेदार बेटे ही हर समय मौजूद रहते हैं। वहां जगह हो तो ही कोई आदमी अंदर प्रवेश कर सके। बड़ा सोचनीय विषय है कि यह इतने लोग वहां हर समय क्यों मौजूद रहते हैं? पार्षद महिला है तो वह खुद आए और अपना काम करवाएं! 

ये लोग जो बैठे रहते हैं अध्यक्ष के चारों और वे आम जनता के काम में फुर्सत ही नहीं होने देते कि व्यक्ति अपनी बात अपने अध्यक्ष से कह सके। इन सबके सामने कोई भी बात क्यों करें? अध्यक्ष की छूट के कारण ये कुर्सियों पर जमे रहते हैं। 


 * लोगों का काम नहीं होने से नगर पालिका भवन में किसी न किसी रूप में अशांति सी रहती है।  पुलिस केस हुए महिला कर्मचारियों की ओर से भी हुए। यह भी अशांति साबित करते हैं।


आखिर वातावरण अशांत होने के पीछे और कोई भी कारण है क्या? क्या ओमप्रकाश कालवा का अध्यक्ष बनाना ही यह अशांत वातावरण पैदा कर रहा है कि उनकी ढील  के कारण ही आम जनता के कार्य नहीं हो रहे या इसके पीछे कोई और कारण हो सकता है। नगर पालिका में प्रत्येक दिन हजारों लोग पहुंचते हैं यदि उनके कार्य समय पर हो चक्कर नहीं कटवाए जाए तो उनकी आशीष ही मिलती है। 

नगर पालिका के आसपास का वातावरण पूर्ण शांति वाला होना चाहिए लेकिन कुछ कार्य ऐसे हुए हैं जिनसे भौतिक रूप से वातावरण शांत नहीं हो रहा। नगर पालिका के पास में पहले कुआ था हजारों लोग पानी भरते थे जल का मतलब ठंडा लेकिन यह कुआ बरसों पहले बंद कर दिया गया। 



नगर पालिका से सटा हुआ दक्षिण की तरफ हरा भरा जेठमल मूंधड़ा पार्क था जिसके अंदर नगर पालिका ने कचरा पात्र बनाया और वाहन रखने का स्टोर बना दिया।पार्क से भी वातावरण को ठंडक मिलती थी। यह ठंडक भी नगर पालिका प्रशासन ने गायब कर दी। पार्क के लिए बहुत शिकायतें मुख्यमंत्री तक की गई।नगर पालिका प्रशासन पार्क खाली करने के लिए समय मांगता रहा। उपखंड अधिकारी के समक्ष एक परिवाद रेवंत राम सोनगरा बसंत बोहरा आदि की ओर से पेश किया गया कि पार्क को खाली करवाया जाए ताकि आम जनता उसकी ठंडक का लाभ ले सके। पार्क में घूम सके। उपखंड अधिकारी ने सुनवाई करने के बाद में 5 अगस्त 2022 को निर्णय सुनाया कि 4 महीने में नगर पालिका पार्क को खाली कर दें अन्यथा किसी अन्य एजेंसी से पार्क को खाली करवाया जाएगा। 5 अगस्त के बाद में अब तक 2 माह का समय बीत चुका है। अभी 2 माह बाकी है नगर पालिका इस जेठमल मूंदड़ा पार्क को खाली कर देगी तब शायद पार्क की ठंडक से नगरपालिका का वातावरण कुछ ठंडा हो जाए। 

अध्यक्ष को इस पर विचार करना चाहिए कि किन किन कारणों से नगर पालिका में वातावरण अशांत होता रहता है और हर महीने 2 महीने में कोई तूफान उठ जाता है। ओमप्रकाश कालवा की अध्यक्षता के काल के ढाई साल अशांति में बीते हैं। यदि काम करने में ढील चक्कर कटवाना आदि जैसे हालात रहते हैं जिनके कारण अशांति पैदा होती है तो आगे शांति की उम्मीद ही नहीं करनी चाहिए।

नगर पालिका में लोगों के काम समय पर होंं किसी को चक्कर नहीं काटने पड़े। इसके लिए अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा को ही समस्त नगर पालिका की शाखाओं में व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा। आज तक की जो आव्यवस्था की हालत रही है उसके लिए सीधे तौर पर नगर पालिका अध्यक्ष की ही जिम्मेदारी है। यदि काम कर नहीं पा रहे तो फिर ऐसे ही बाकी की ढाई साल की अवधि बिताएंगे लेकिन नागरिकों के लिए तो अच्छा नहीं होगा। कांग्रेस पार्टी के लिए भी अच्छा नहीं होगा। कांग्रेस को इसके परिणाम भोगने पड़ेंगे।

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