सोमवार, 28 मार्च 2022

सूरतगढ़ में ठोकरों झटकों में मुस्कुराते रहें। * करणीदानसिंह राजपूत *

 


सूरतगढ़ में रहते हैं तो मुस्कुराते रहें। यदि मेहमान बनकर आए हैं तो सभ्यता के नाते मुस्कुराते रहें। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।

इसको सुंदर बनाने मे विकसित करने में इन नेताओं ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण पांच पांच साल लगा दिए।

* नागपाल जी सन 2003 से 2008.
* मील साहब   सन 2008 से 2013.
* भादु जी        सन 2013 से 2018.
* कासनिया जी सन 2018 से 2023.
   ( कासनिया जी का राज अभी चल रहा है)
* कांग्रेस मील सा.5 साल*
* भाजपा नागपाल जी  भादूजी और कासनिया जी का राज कुल 15 साल।

विनम्र अनुरोध है।
* घरों में रहें। अनावश्यक बाहर नहीं निकलें।
* बाहर निकलें तब सड़कों पर ध्यान से निकलें। चाहे पैदल चाहे वाहन हो!
० यहां की सड़कें विशेष डिजाइन से तैयार है। ऊंची नीची गड्ढे वाली। टूटी फूटी। प्यार से चलें। नहीं तो ये ठोकर लगाती है और धीरे से जोर का झटका लगा देती है। फिर मेरुदंड में लगा झटका लंबे विश्राम भी करा देता है। मेरुदंड मतलब रीढ की हड्डी!
* एक खास बात हम सूरतगढ़ के रहने वाले सभ्य हैं इसलिए विकसित करने वालों के सम्मान में चुप रहते हैं। यदि आप बाहर से दो चार दिन के लिए सूरतगढ़ आएं हैं और ठोकर झटका थबाईचांस लग जाए तो गुड फील करें। ईलाज उपचार अपने शहर में जाकर करवालें। बस मुस्कुराते हुए लौटें ताकि स्वस्थ रहें।
एक बात रह गई।
सड़कें टूटी फूटी हैं वह तो लिख ही दिया। सीवरेज के चैम्बर गोल ढकने। कहीं ऊंचे हैं तो कहीं सड़क में घुसे हुए। इनकी ठोकर और झटका। बड़ा प्यार करता है।
आप यह कतई न सोचें कि मैं हंसी उडा रहा हूं। असल में फोटोग्राफर स्माइल प्लीज कहता तब भी मुझे कभी हंसी नहीं आई। तो अब हंसी उड़़ाने जैसी भी बात नहीं करता।
आपका स्वास्थ्य बना रहे और बदन में कहीं मोच न आए।  आपकी काया सुंदर बनी रहे।
इसलिए कहता हूं।
मुस्कुराते रहें।
बात सड़कों की हुई तो नाले नालियां आवाज करने लगे। दो चार लाइनों की कृपा हम पर भी करदो।
सूरतगढ़ कमाल का शहर है जहां नाले नालियां भी बोलते हैं।
"हम बंद हैं । ऊपर से आरसीसी सीमेंट कंक्रीट के पक्के निर्माण से सांस नहीं ले सकते। बदबू से दम घुट रहा है। हमें भी खुली हवा में सांस लेने का अधिकार है।"
बस,इनकी आवाज नहीं सुननी है। ये तो चिल्लाते ही रहते हैं। इनके पास भी मत जाइये। ये बदबू से परेशान हैं और आपने गंध ले ली तो नाहक परेशानी होगी।
इसलिए मुस्कुराते रहें।
मंदिरों के पास पुराने जोहड़ को भूल कर भी देखने न जाएं। उसमें गंद मलबा भर रहे हैं।  आस्था जाग उठेगी तो परेशानी होगी। जोहड़ की ओर चले भी जाएं तो देखें नहीं। देखलें निगाहें पड़ भी जाएं तो घुमा लें। वैसे भी अपन लोग निगाहें घुमाने में माहिर हैं।
बस,मुस्कुराते रहें।
* असल में सड़कें नाले जोहड़ आदि नगरपालिका  के काम हैं। बोर्ड तो शहरवासी ही चुनते हैं।
* बड़े नेताओं का नाम इसलिए कि शहर में जो कुछ हो रहा है उस पर सभी सीधे रूप में न देखते हैं न बोलते हैं न सुनते हैं।
बड़े नेताओं ने गांधी जी के तीन बंदरों को देख लिया और कुछ ज्यादा ही ध्यान कर लिया।
गांधी जी के तीन बंदरों की मूर्तियों को या चित्रों को तो आपने भी देखा होगा।
नहीं देखा तो मुसकुराते हुए पढ लें।
एक के आंखों पर हाथ मतलब बुरा न देखो।
दूसरे के मुंह पर हाथ मतलब बुरा न बोलो।
तीसरे के कानों पर हाथ मतलब बुरा न सुनो।
बड़े नेता सीधे लड़ाई झगड़ा नहीं करते। वह सब जनता करे और करती रहे। इसलिए ही मैं कहता हूं कि मुस्कुराते रहें।
तो फिर बड़े नेताओं का काम क्या होता है?
बड़े नेताओं का काम होता है चुनाव लड़ना और पार्टी से टिकट लेने की कोशिश करना।
बड़े नेताओं का यही काम चल रहा है।
हम चुनाव लड़ें या हमारा बेटा लड़े। परिवार का सदस्य चुनाव लड़े। टिकट के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। सभी बड़े नेता इस मेहनत में लगे हैं। बड़े से भी बड़ा और बड़ा आ जाए तो उसके स्वागत सत्कार का काम। टिकट के लिए बहुत कुछ करना होता है। बड़े नेताओं को फुर्सत ही नहीं है। सब देखभाल करने की फुर्सत के लिए लोग हैं।
बड़े नेता चाहते हैं कि जनता गांधी जी के बंदरों को देखने पर ध्यान लगाए। गांधी जी के तीन बंदरों को देखने में जीवन के सभी सुख हैं। बंदरों को देखते रहें तो ठोकरें झटके बदबू कुछ भी महसूस नहीं होगा।
इसलिए बाकी सभी मुस्कुराते रहें।
सूरतगढ़ में मुस्कुराते रहें।
दि. 28 मार्च 2022.


करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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