तेरी बांसुरी बजाने को
मेरा जी करता रहता है
तूं बुलाले या मैं आऊं
यह तुझे ही सोचना है।
तेरी बांसुरी बजाने को
मेरा जी करता रहता है।
मैं आकर बांसुरी बजाऊं
इससे मुझे खुशी तो होगी
तूं मुझे बुलाकर बजवाए
उससे तुझे भी खुशी होगी।
तेरी बांसुरी बजाने को
मेरा जी करता रहता है।
मेरे बजाने से बांसुरी की
नयी गूंज नयी बहार होगी
समझ में आए तब बुलाना
वह समय मनोरम होगा।
तेरी बांसुरी बजाने को
मेरा जी करता रहता है।
यह मौसम बदलते रहना
कभी गरमी कभी बरखा
बांसुरी बजेगी तो और
खुशनुमा सुगंधित होगा।
तेरी बांसुरी बजाने को
मेरा जी करता रहता है।
०००००
काव्य शब्द:-
करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356.
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मेरा जी करता रहता है
तूं बुलाले या मैं आऊं
यह तुझे ही सोचना है।
मेरा जी करता रहता है।
इससे मुझे खुशी तो होगी
तूं मुझे बुलाकर बजवाए
उससे तुझे भी खुशी होगी।
मेरा जी करता रहता है।
नयी गूंज नयी बहार होगी
समझ में आए तब बुलाना
वह समय मनोरम होगा।
मेरा जी करता रहता है।
कभी गरमी कभी बरखा
बांसुरी बजेगी तो और
खुशनुमा सुगंधित होगा।
मेरा जी करता रहता है।
काव्य शब्द:-
करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356.
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