बिजली पानी संकट में सुलगता सूरतगढ़- बेकाबू हालात * करणीदानसिंह राजपूत*
सूरतगढ़ कोरोना लॉकडाउन की समस्या से भी अधिक बिजली,पेयजल में सीवरेज की गंदगी से लग रहा है कि हालात बेकाबू से है।
सूरतगढ़ शहर और इलाका सुपर ताप विद्युत परियोजना के होते हुए भी बार-बार के अघोषित कट और पूरे वोल्टेज नहीं मिलने से गर्मी के दिनों में भयानक परेशानी से जूझ रहा है।
विद्युत वितरण निगम के अधिकारी लापरवाही और अनदेखी में भारी भरकम वेतन उठा रहे हैं। उनकी लापरवाही से सूरतगढ़ में भारी रोष पैदा होने पर सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नगर के प्रथम व्यक्ति ओमप्रकाश कालवा नगर पालिका अध्यक्ष को बिजली विभाग पर धरना देते हुए अधिकारियों को बहुत कुछ सुनाना पड़ा। ब्लॉक कांग्रेस पार्टी के आह्वान पर 1 दिन का सांकेतिक धरना देते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी गई जिसमें गंगाजल मील पूर्व विधायक ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया उपाध्यक्ष सलीम कुरेशी धर्मदास सिंधिया आदि अनेक पदाधिकारियों ने विद्युत वितरण निगम को व्यवहार और कार्य में सुधार कर लेने की बातें गरमा गरम शब्दों से कही।
बिजली की कमी से कांग्रेस जनों की बेहद नाराजगी से स्पष्ट है कि अधिकारियों की लापरवाही से ही व्यवस्था बिगड़ी हुई है। शहर के नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पूर्व विधायक गंगाजल मील को धरना प्रदर्शन करना पड़े यह बहुत बड़ा प्रमाण है।
ओमप्रकाश कालवा ने तो कहा है कि ऐसे अधिकारियों को यहां से चले जाना चाहिए।अधिकारी खुद तो नहीं जाएंगे सत्ताधारी पार्टी है इसलिए इनका रिपोर्ट कार्ड उच्चाधिकारियों को पेश हो कि वह लापरवाही करने वाले अधिकारियों को यहां से कहीं स्थानांतरित करें।
सूरतगढ़ में शुद्ध पेयजल के नाम पर अभी भी मिट्टी मिला हुआ पानी वितरित किया जा रहा है जिससे अनेक प्रकार की बीमारियां और पथरी की शिकायत आम हो गई है।
गंदे पानी से अनेक लोग पीलिया की बीमारी का शिकार भी हो रहे हैं।
आश्चर्यजनक है कि अशुद्ध जल में कई वार्डों में सीवरेज का मल मूत्र वाला पानी शामिल हो रहा है और यह वितरित हो रहा है। नागरिक चिल्ला रहे हैं लेकिन इसका कोई सही इलाज अभी तक नहीं हो पाया है।
नगर पालिका में सीवरेज की गड़बड़ी को लेकर पहली बैठक प्रशिक्षु जुनैद मोहम्मद आईएएस अधिकारी ने की थी। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि सरकारी धन को अव्यवस्थित तरीके से लगाया जाना तो दुरूपयोग है जो सहन नहीं किया जा सकता। उन्होंने सीवरेज के सारे त्रुटिपूर्ण निर्माणों को ठीक किया जाने का सख्त निर्देश दिया था। उस बैठक के अंदर शहर के नागरिक नगर पालिका अध्यक्ष पार्षद जलदाय विभाग के अभियंता सीवरेज सिस्टम से जुड़े हुए अभियंता व स्टाफ शामिल था। इस महत्वपूर्ण मीटिंग के बाद भी पूरा ध्यान नहीं दिया गया।
इसके बाद सिवरेज और मल मिले पेयजल को लेकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार मीणा की अध्यक्षता में एक बैठक उन्हीं के कार्यालय में हुई।जिसमें नगर पालिका अध्यक्ष नगर पालिका के इंजीनियर जलदाय विभाग के इंजीनियर और सीवरेज सिस्टम के इंजीनियर स्टाफ शामिल हुआ।
अशोक कुमार मीणा ने स्पष्ट कहा था कि सीवरेज निर्माण कंपनी सही निर्माण नहीं कर रही सुधार नहीं कर रही तो इसको नोटिस दिया जाए ब्लैक लिस्ट की कार्रवाई में डाला जाए।
एडीएम की अध्यक्षता में इसके बाद एक और बैठक हो चुकी है। लोग सीवरेज की शिकायतें लगातार कर रहे हैं।
यह आश्चर्यजनक है कि सीवरेज से मल मूत्र वाला पानी शहर से बाहर संयंत्र में जाना था लेकिन वह पेयजल के साथ यत्र तत्र घरों में पहुंच रहा है। यह शर्मनाक है कि लोगों को मल मूत्र युक्त पानी मजबूर होकर के पीना पड़ रहा है।
अशुद्ध पानी वितरण में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध न तो कोई कार्रवाई हो रही है और न कोई मुकदमा हो रहा है।
पेयजल के स्रोत कुआ बावड़ी तालाब नहर में गंदगी डालने फैलाने पर मुकदमा हो जाता है। यहां किसी भी नागरिक की ओर से अभी तक शुद्ध पेयजल सप्लाई में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवाया गया है। सीवरेज सिस्टम के सही निर्माण में गड़बड़ी और शुद्ध पेयजल में गंदगी मिलाने का मुकदमा आईपीसी की धाराओं के अंदर भी करवाया जा सकता है,जब तक मुकदमा नहीं होता तब तक यह गड़बड़ी और अधिकारियों की मीटिंग को में लीपापोती आदि चलती रहेगी। सीवरेज सिस्टम ने शहर के अंदर जगह जगह गड्ढे बना दिए उनकी भराई में सही कार्य नहीं होने से वह गड्ढे अभी भी बने हुए हैं। मुख्य सड़कों पर मेन हॉल ऊंचे नीचे लगे हुए हैं जहां हर समय दुर्घटनाएं होती रहती हैं। समाचार भी छपते रहते हैं।फोटो छपते रहते हैं लेकिन कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई।
सीवरेज सिस्टम की इस गड़बड़ी में एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि नगर पालिका के अधिकारी इंजीनियर का ध्यान नहीं है और मौके पर कोई रहता नहीं है।
नगर पालिका की ओर से देखरेख के लिए करमचंद अरोड़ा सहायक अभियंता को लगाया हुआ है जो कार्यकारी अधिशासी अभियंता के रूप में यहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर बालोतरा में नियुक्त है। वे इतनी दूरी से क्या निरीक्षण करते हैं?
यह व्यवस्था आश्चर्यजनक ढंग से इसलिए की गई है कि करमचंद अरोड़ा बालोतरा से सूरतगढ़ अपने घर सीवरेज की सार संभाल में आते रहें। बालोतरा में सीवरेज की इसी कंपनी का कार्य चल रहा है जिसने सूरतगढ़ में निर्माण किया है। यह भी आश्चर्यजनक है कि सीवरेज सिस्टम में गड़बड़ी होने के बावजूद नगर पालिका की ओर से जनवरी 2020 में बहुत बड़ी रकम का भुगतान किया जाने की चर्चा है।
चर्चा है कि यह भुगतान करमचंद अरोड़ा के कारण हुआ। सीवरेज सिस्टम जब बिगड़ा हुआ है लोगों को मल मूत्र युक्त पानी पीना पड़ रहा है तो हरेक भुगतान किस आधार पर हुआ।
सूरतगढ़ के विधायक रामप्रताप कासनिया ने सीवरेज में गड़बड़ी का आरोप करोड़ों रुपए के गलत भुगतान आदि पर विधानसभा में प्रमाणों सहित वक्तव्य दिया था।
सीवरेज सिस्टम पर गड़बड़ी के समाचार रिपोर्ट समाचार पत्रों में लगातार आ रही है मगर सुधार की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही।
शहर के लोग सिस्टम से बुरी तरह से पीड़ित है और उनकी मजबूरी है कि पेयजल मल मूत्र युक्त पीना पड़ रहा है। शहर में जहां सिवरेज नहीं है वहां भी पेयजल रेतीला मटमैला वितरित होना आम बात है। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कभी मोहल्लों और गलियों में घूमे तो अशुद्ध पेयजल का मालूम हो।
बिजली पानी के कारण शहर में उबाल हो रहा है।
प्रशासनिक अधिकारियों को भी शहर में भ्रमण करके मालूम करना चाहिए कि यह आग सुलग रही है जो कभी भी भड़क कर आंदोलन का रूप ले सकती है। प्रशासनिक अधिकारी विभागों के लापरवाह अधिकारियों और अव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट जिला कलेक्टर को भेजें तो शायद कोई सुधार की उम्मीद हो या फिर नाकाम अधिकारियों का यहां से स्थानांतरण हो।०००ब्लास्ट की आवाज/कापी नहीं करें।