विवाह बाद अन्य से संबंध,कहीं टीवी सीरियलों से तो नहीं बन रहे? हाईकोर्ट ने पूछा
* हाईकोर्ट ने सरकारों से कहा- पता कीजिए, कहीं टीवी सीरियल देखने से तो नहीं बढ़ रहे विवाहेत्तर संबंध*
* कोर्ट ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि पिछले कुछ समय में हत्या, हमले और अपहरण जैसी आपराधिक घटनाओं में तेजी आई है*
मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वो पता लगाएं कि विवाहेतर संबंध के लिए कहीं ‘मेगा टीवी सीरियल्स’ या अन्य चीजें तो जिम्मेदार नहीं है। कोर्ट ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि पिछले कुछ समय में हत्या, हमले और अपहरण जैसी आपराधिक घटनाओं में तेजी आई है। कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या दोनों पति-पत्नी की आर्थिक स्वतंत्रता, इंटरनेट, यौन रोग, सोशल मीडिया, पश्चिमीकरण, परिवार को समय ना देने का अभाव तो विवाहेतर संबंधों में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार नहीं। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि सामाजिक खतरे का विश्लेषण करने के लिए रिटायर्ड जजों और एक्सपर्ट की एक समिति बनाई जाए और हर जिले में परिवार परामर्श केंद्र स्थापित किए जाएं।
मामले में सुनवाई कर रही जस्टिस एन किरुबाकरन और जस्टिस अब्दुल कुद्धोस की खंडपीठ ने कहा, ‘विवाहेतर संबंध आजकल एक खतरनाक सामाजिक सामाजिक बुराई बन गया है। बहुत से जघन्य अपराध जिनमें घिनौनी हत्याएं, हमले, अपहरण आदि शामिल हैं, गुप्त रिश्ते की वजह से की गईं। ये दिन ब दिन खतरनाक रूप से बढ़ती जा रही हैं। अधिकांश हत्याएं पति या पत्नियों द्वारा अपने धोखेबाज साथी को खत्म करने के लिए की जाती हैं। यह पवित्र होना चाहिए, क्योंकि विवाहेत्तर संबंधों के कारण परिवार तेजी से डरावना हो रहा है, परिवार बिखर रहे हैं। विवाहेतर संबंधों के कारण हत्याओं में तेजी के मद्देनजर, इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए इस अदालत का बाध्य कर्तव्य था।’
खंडपीठ ने आगे कहा कि भारत में विवाह प्रेम, विश्वास आधारित था। वैवाहिक संबंध पवित्र माना जाता था। हालांकि, जो पवित्र होना चाहिए वह तेजी से डरावना हो रहा है, विवाहेतर संबंधों के कारण परिवार बिखर रहे हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि अपराधों को रोकने या कम करने के कारणों और तरीकों का पता लगाने के प्रयास में, इस अदालत द्वारा कुछ प्रश्न उठाए जा रहे हैं। प्रश्न ना तो राय थे और ना ही इस अदालत के निष्कर्ष थे।
जनसत्ता ऑनलाइन,
7 मार्च 2019.