डूंगरराम गेदर को कांग्रेस के जहरीले सांप ने डस ही लिया:- करणीदानसिंह राजपूत.शीघ्रातिशीघ्र टिप्पणी
डूंगरराम गेदर बहुजन समाज के नेता, बहुजन समाज की टिकट पर सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले, अपनी रैलियों में खुद और मंचों पर अन्य नेता कहा करते थे के भाजपा और कांग्रेस हरियाले नाग हैं जो छुपे हुए रहते हैं और मौका पाकर डस लेते हैं। यह भी कहा जाता था कि भाजपा और कांग्रेस एक सांप नाथ है तो दूसरा नागनाथ है। जनता को सचेत करने के लिए आवाहन किया करते थे। बचाव के लिए नारे लगाया करते थे,लेकिन आश्चर्य है कि डूंगरराम गेदर कांग्रेस की बांबी में खुद चले गए और कहना चाहिए कि अपनी राजनैतिक मौत खुद ने बुलाई। इसे आत्महत्या भी कह सकते हैं।
डूंगरराम गेदर बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता कहे जाते रहे हैं। बसपा की हर मासिक बैठक में कार्यकर्ताओं को आवान किया करते थे के ब स पा पा ही उनकी मां है और वह आजीवन कुंवारे रहते हुए बसपा की सेवा ही करते रहेंगे, पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए सदा आगे रहेंगे। यह आश्चर्य है कि वे हजारों लोगों को नारों के भरोसे छोड़ कर अचानक कांग्रेस की बांबी में चले गए।
चर्चाएं काफी समय से थी कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाले हैं लेकिन हमेशा वे इस बात का सवाल का खंडन करते रहे और इस प्रकार की सूचनाओं को अफवाह बताते रहे।
आज 26 मार्च 2019 को जब वे कांग्रेस की बांबी में गए तब तक बहुजन समाज के बड़े-बड़े कार्यकर्ताओं को सूरतगढ़ के बसपि पदाधिकारियों तक को भुलावे में रखा गया। उनको मालूम नहीं था कि डूंगरराम गेदर उनका साथ छोड़ कर कांग्रेस में जाने का इरादा कर चुके हैं। इनमें से अनेक वे कार्यकर्ता हैं जो अपना कामकाज छोड़ कर डूगर राम को कंधों पर ढोते रहे थे। इन कार्यकर्ताओं के बल पर ही वे ऊंचे पहुंचे और पहचान बनी।
बहन मायावती शून्य हो गई और राहुल हिमालय समान दिखाई देने लगे।
आज तक डूंगरराम गेदर अपने लिए बहुजन समाज पार्टी के लिए डंके की चोट पर वोट मांगा करते थे इलाके में मसीहा के नाम पर लोग उन्हें एक प्रकार से पूजा करते थे,लेकिन अब स्थिति बदली हुई रहेगी।अब बसपा के इस नेता को कांग्रेस के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए वोट मांगने होंगे। चाहे डूंगरराम गेदर कुछ भी सोचे अपने भविष्य की उज्जवल बनाने के लिए उन्होंने जो कदम उठाया है वह खुद चाहे सोचते रहे लेकिन उनकी स्थिति कांग्रेस में नंबर वन नहीं रहेगी। वह कांग्रेस के नेताओं के समक्ष इलाके के नेताओं के समक्ष अब दूसरे तीसरे नंबर के नेता के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर पाएंगे। आगे क्या स्थिति रहती है लेकिन वर्तमान में वे पीछे रहेंगे। आज कांग्रेस जरूर खुश होगी कि आगामी चुनाव के लिए एक फाचर खत्म हुई, मगर यह सोच सही नहीं हो सकती,अगले विधानसभा चुनाव में भी बसपा का प्रत्याशी कोई तो खड़ा होगा ही।( इस सारे घटनाक्रम को दिलासे के लिए यह मान लिया जाएगा कि राजनीति मेंं स्थाई रूप मेंं कोई किसी का दोस्त या दुश्मन नहीं होता)