गुरु भरोसा सेवा संस्थान का अध्यक्ष कौन है? आरोपों पर सामने क्यों नहीं आ रहा
** करणी दान सिंह राजपूत**
सूरतगढ़ में संचालित गुरु भरोसा सेवा संस्थान की भीतर औरतों लड़कियों से बदसलूकी नशे की दवाएं के आरोप लगने से मचे हड़कंप के बावजूद संस्था के अध्यक्ष सामने क्यों नहीं आए?
अभी तक इस संस्था के अध्यक्ष का चेहरा किसी पत्रकार जो मौके पर गए, वहां वार्तालाप किया जानकारियां ली केवल एक सेवादार उपस्थित रहा और जानकारियां देता रहा है।असल में संस्था किस उद्देश्य को लेकर स्थापित हुई और इसका अध्यक्ष कौन है? यह अभी सामने नहीं आया है जो भी लोग जा रहे हैं उनको जानकारियां केवल सिकंदर सिंह सेवादार ही बताने को आगे रहता है।
यह बहुत बड़ा मुद्दा है कि संस्था को संचालित करने वाली समिति का अध्यक्ष इतने बड़े हंगामे के बावजूद सामने नहीं है। संस्था अध्यक्ष औरत है या पुरूष है तो वह सामने आने से बच क्यों रहा है? क्या यह संस्था अध्यक्ष इतने सालों में कभी महिलाओं के सामने आया उसने महिलाओं की सार संभाल के लिए कोई महिलाओं से बातचीत की? इस हंगामे के बाद भी उसने महिलाओं के साथ आकर के कोई बात की। यह कहीं सामने नहीं आने से आशंका होती है कि कुछ गड़बड़ जरूर है। जितने लोग वहां पहुंचे और जानकारियां ली थी उनको संविधान नहीं बताया गया संस्था के संविधान में ही सारा उद्देश्य लिखा हुआ है कि संस्था किस उद्देश्य से बनाई गई है और इसकी संचालन समिति में अध्यक्ष कौन हैं सचिव कौन है सदस्य कौन है? यह सारी बातें जो की महत्वपूर्ण है लेकिन अभी तक आम जनता से और जानकारियां लेने वालों से छुपाई जाती रही है पत्रकारों को भी अध्यक्ष का ज्ञान नहीं है कि इस संस्था का अध्यक्ष कौन है? सच्चाई यह है कि अध्यक्ष ही सामने आकर बताएं कि संस्था के ऊपर लगे हुए आरोपों का एक एक बात का जवाब दे।
अभी तक सेवादार सिकंदर सिंह ने भी यह नहीं बताया कि नसे की गोलियां जबरन देने आदि के बारे में जो आरोप लग रहे हैं। उसके बारे में सेवादार सिकंदर सिंह चुप है,जो लोग ठीक थे उनको भी जबरन क्यों रखा गया?
आगे जो भी स्थिति बने।
संस्था की जांच हो सबसे बड़ा सवाल यह है कि संस्था में जो भी औरत पुरुष लाए जाए वह वह केवल पुलिस के मार्फत लाए जाएं।
पुलिस पहले सारा वेरीफिकेशन करे। उसके बाद पुलिस चाहे जिस संस्था को संबंधित औरत और पुरुष को सौंपे।
संस्था के किसी भी व्यक्ति को किसी भी औरत पुरुष को सीधा सेवा संस्थान में ले जाने का अधिकार नहीं है अगर वह ऐसा करता है तो अपहरण और जबरन बंदी बनाने के आरोप के अंदर घेरे में आता है।
संस्था के अध्यक्ष, सचिव आदि कार्यकारिणी सदस्य के नाम और संविधान सामने नहीं आने तक शंकाएं कायम रहेंगी।
सेवा दार सिकंदर सिंह सरकारी कर्मचारी है। वह कितना समय देता है और इसका स्थानांतरण हो जाता है तो फिर कौन पीछे रहेगा,इसलिए अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी के नाम सामने आने जरूरी है।