बेचारे येदुरप्पा:तीसरी बार भी 5 साल पूरे नहीं कर पाए-
*तीसरी बार का कार्यकाल बहुत कम तीसरे दिन ही खत्म हो गया*
- करणीदानसिंह राजपूत -
हाई-वोल्टेज राजनीतिक नाटक के बीच आखिरकार गुरुवार 17-5-2018 को सुबह बीएस येदुरप्पा ने तीसरी बार कर्नाटक के सीएम पद की शपथ ले ली।
मगर 19-5-2018 को विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
*येदुरप्पा पहली बार 2007 में, दूसरी बार 2008 में और अब तीसरी बार 2018 में सीएम बने।
येदुरप्पा कर्नाटक के कितने बड़े नेता हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने दम पर दो बार बीजेपी को लगभग बहुमत के करीब लेकर आए, लेकिन किस्मत ने उनके साथ हर बार खेल किया।
1. येदुरप्पा पहले 2007 में जनता दल-सेक्युलर के समर्थन से पहली बार कर्नाटक के सीएम बने थे, लेकिन तब उनके हाथ सत्ता केवल 7 दिन तक रह सकी थी। येदुरप्पा ने 12 नवंबर 2007 को सीएम पद की शपथ और 19 नवंबर 2007 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।
-7 दिन सीएम रहने के बाद येदुरप्पा को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।
2. 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। इसके बाद येदुरप्पा ने दूसरी बार कर्नाटक के सीएम पद की शपथ ली और 3 साल 62 दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे।
-येदुरप्पा ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ 2008 में ली। वह जब दूसरी बार सीएम बने तब बीजेपी 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बहुमत से 3 सीटें उस वक्त भी कम ही रह गईं।
-30 मई 2008 को दूसरी बार सीएम बनने के बाद येदुरप्पा 3 और 62 दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
-येदुरप्पा के दूसरे कार्यकाल में अवैध खनन के मामले ने तूल पकड़ा और आरोपों की आंच येदुरप्पा तक जा पहुंची। लोकायुक्त ने जुलाई 2011 में रिपोर्ट सबमिट कराई, जिसमें येदुरप्पा की भूमिका की बात कही गई।
-भ्रष्टाचार के आरोपों के दायरे में येदुरप्पा के परिवार के सदस्यों का भी नाम आया। आरोप लगे कि परिवार के सदस्यों ने भी डोनेशन के नाम पर खनन कंपनियों से पैसा लिया।
-भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद येदुरप्पा को कर्नाटक के सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। 2011 में पद छोड़ने के बाद येदुरप्पा को बीजेपी से वैसा सपोर्ट नहीं मिला, जिसकी उन्हें उम्मीद थी और येदुरप्पा ने पार्टी के खिलाफ ही बगावत का बिगुल बजा दिया। उन्होंने कर्नाटक जनता पक्ष नाम से नई पार्टी तक बना डाली।
-मई 2013 में वह शिकारीपुरा सीट से येदुरप्पा एक बार फिर विधानसभा पहुंचे।
-नई पार्टी बनाने के बाद भी येदुरप्पा बीजेपी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में रहे और 2 जनवरी 2014 मतलब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करा दिया। यही वही समय जब बीजेपी में मोदीयुग की शुरुआत हो रही थी। अमित शाह की रणनीति में येदुरप्पा काफी अहम थे। लोकसभा चुनाव में येदुरप्पा शिमोगा से चुनाव लड़े और विपक्षी उम्मीदवार को करीब साढ़े तीन लाख वोटों से मात दी।
-2014 लोकसभा चुनाव में येदुरप्पा की वापसी से बीजेपी को काफी फायदा हुआ।
-2018 में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, लेकिन इस बार भी बहुमत से 8 सीट कम हैं। हैरानी की बात यह रही कि येदुरप्पा ने 2018 चुनाव के नतीजे आने से पहले ही कह दिया था कि वह 17 मई को सीएम पद की शपथ ले लेंगे। हुआ भी ऐसा ही राज्यपाल ने उन्हें 17 मई को शपथ का न्योता भेजा और येदुरप्पा ने गुरुवार सुबह तीसरी बार सीएम पद की शपथ ले ली। लेकिन यह तीसरा कार्यकाल बहुत कम रहा। इस बार राज गया और भाजपा की बदनामी ज्यादा कर गया।
इसका राजनैतिक परिणाम राजस्थान के चुनाव पर भी असर डालेगा। वैसे भी राजस्थान की भाजपा सरकार से जनता बेहद नाराज है और केवल मतदान दिवस का इंतजार कर रही है।
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