नई दिल्ली, 20 नवम्बर 2017., देश की राजधानी में आज रामलीला मैदान से संसद की ओर अन्नदाताओं ने कदम बढ़ाए जिससे दिल्ली की सड़कों पर लोगों के कदम थम गए।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 19 राज्यों के दस हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा पूरी करने के बाद आज दिल्ली में किसान मुक्ति संसद शुरू हुई और इसमें काफी संख्या में किसान पहुंचे।
हजारों की संख्या में किसान रामलीला ग्राउंड, अम्बेडकर भवन, गुरूद्वारा रकाबगंज, विभिन्न रेलवे स्टेशनों से लाल-हरे-पीले-नीले झंडे लेकरे नारेबाजी करते हुए दिल्ली की सड़कों पर होते हुए किसान मुक्ति संसद में सुबह से ही पहुंचने लगे थे।
यह पैदल मार्च सप्ताह के पहले दिन सोमवार को दिल्ली वासियों पर कुछ भारी पड़ा। इससे यातायात जाम हो गया।
किसान प्रदर्शन से पहले विभिन्न पुलिस गोली चलाने में शहीद हुए किसानों, आत्महत्या करने वाले किसानों, यवतमाल में कीटनाशक के कारण 32 शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के बाद आगे बढ़े।
सबको गुस्सा इस बात पर था कि प्रधानमंत्री ने किसानों के वायदे कि खेती का कर्ज माफी,फसल की लागत का डेढ़़ गुना मूल्य दिलाने का वादा किया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ।
आत्हत्या करने वाले किसान परिवारों की 545 महिलाओं एवं महिला किसानों की महिला संसद की अध्यक्षता नर्मदा बचाओ आंदोलन-जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की सुश्री मेधा पाटकर कर रही थी और उन्हें सुनने वालों में भी सड़क पर जोश दिख रहा था।
किसानों, खेतिहर मजदूरों, आदिवासियों, भूमिहीनों, बटाईदारों, मछुआरों के सड़क पर उतरने से कनाट प्लेस, आसफ अली रोड, राजेंद्र नगर, पहाड़गंज,आईटीओ, पटेल नगर से झंडेवालान होते हुए कई रास्तों पर जाम लग गया।
किसानों की कदमताल रंजीत सिंह फ्लाइओवर पर हुई तो पूरा यातायात ठप हो गया।
बाराखंबा रोड, टॉलस्टाय मार्ग, बाबा खडग सिंह मार्ग, शिवाजी स्टेडियम को जाने वाले रास्ते भी थमे हुए थे। जहां देखों वहीं तालियों की गडग़डाहट के बीच अन्नदाता सिर पर रखे पोटली, हाथों में रंग-बिरंगे झंडों के साथ दिख रहे थे।