रविवार, 8 अक्टूबर 2017

सूरतगढ़ में छात्रों के हाथों में क्यों है लाठी बंदूक और क्यों बहे छात्रों का खून?



-करणीदानसिंह  राजपूत - 

सूरतगढ़ में छात्र संघ के चुनाव के बाद सभी को अपने अपने अध्ययन में लगना चाहिए था मगर सूरतगढ़ का घटनाक्रम बदल रहा है जिसमें सवाल पैदा हुआ है कि  चुनाव के बाद छात्रों के हाथों में लाठियां और बंदूकें क्यों हैं? छात्र अन्य छात्रों के खून के प्यासे क्यों बन बैठे हैं?

सूरतगढ़ में छात्रों से संबंधित कितनी ही घटनाओं के बाद भी कोई समझदारी के लिए रास्ता बड़े नेताओं के पास क्यों नहीं है?

सूरतगढ़ में 7 अक्टूबर 2017 को वार्ड नंबर छह में किराए के घर में रहने वाले छात्रों पर हमला हुआ। छात्रों का खून बहा और मुकदमे में छात्रों के नाम ही आरोप में इन्दराज हुए।

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष नितिन मोट्यार का नाम  आना मामूली नहीं है।


 पुलिस में जेपीन्द्र पुत्र विष्णु बिश्नोई निवासी राजा वाली( पंजाब) के बयान पर मुकदमा दर्ज हुआ है जो दो घायल हुए छात्रों में से एक है।


मुकदमें के अनुसार वार्ड नं 6 में मोहन लाल सारस्वा के घर में जेपीन्द्र,अरविंद व सहदेव एक कमरे में किराये पर रह रहे हैं। 

भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष  नितिन मोट्यार, संदीप स्वामी, दिनेश सहारण,सतीया,दिनेश थापन व दो तीन अन्य Bolero गाड़ी में आए और कमरे में घुसकर  हमला कर दिया। नितिन मोट्यार, दिनेश सहारण व सतिया के पास पिस्तौल थे वे अन्य के हाथों में लाठियां थी। वे जेपीन्द्र व अरविंद से मारपीट करने लगे।

सहदेव ने बीच बचाव किया मगर पार नहीं पड़ी। 

शोर सुनकर मकान मालकिन गीता देवी कमरे में आई तब नितिन ने उसे धक्का दिया व उसके गले का सोने का चैन ले गए। 

 इस मारपीट में जिपेंद्र व अरविंद के चोटें आई। मकान मालकिन व अन्य ने घायलों को ट्रॉमा सेंटर ले करके पहुंचे जहां इलाज हुआ।

 पुलिस को सूचना मिलने पर घटनास्थल पर पुलिस पहुंची। जहां फर्श पर खून के छींटे काफी दूरी तक पड़े थे। वहां पर लाठी मिली एक मोबाइल मिला और तीन जीवित कारतूस मिले। यह अनुसंधान हरफूल सिंह ए एस आई को सौंपा गया है।





यह ब्लॉग खोजें