केंद्रीय सरकार की सख्ती की सख्ती से 2,69,556 पत्र पत्रिकाओं के टाइटल निरस्त कर दिए गए हैं। इनमें से पत्र-पत्रिकाएं शामिल है जो टाइटल मंजूर करवाने के बाद प्रकाशित नहीं हुई या कुछ समय प्रकाशित होने के बाद काफी समय से बंद हैं।
उन हजारों लोगों की अकल ठिकाने आ गई है जो अखबारों पत्रिकाओं की आड़ में सिर्फ और सिर्फ सरकारी विज्ञापन हासिल करने की जुगत में लगे रहते थे और उनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था।
केवल 50-100 फाइल कोपियां छापें और सरकारी विज्ञापन मिले तब केवल विभाग में बिल भेज कर भुगतान लेले। पत्र पत्रिका का कोई कार्यालय तक नहीं और मालिक किसी अन्य काम में लगा हुआ।
एक बार टाइटल मंजूर करवा लेते और फिर हमेशा के लिए मालिक बन जाते। यहां तक कि टाइटल आगे बेचने का धंधा करते।
अनेक अखबार पत्रिका के जरिए ब्लैकमेलिंग और उगाही के धंधे में भी लिप्त।
सरकार द्वारा सख्ती के इशारे के बाद आरएनआई यानि समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय और डीएवीपी यानि विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय काफी सख्त हो चुके हैं।
समाचार पत्र के संचालन में जरा भी नियमों को नजरअंदाज किया गया तो आरएनआई समाचार पत्र के टाईटल पर रोक लगाने को तत्पर होता जा रहा है और डीएवीपी विज्ञापन देने पर प्रतिबंध लगा रहा है।
देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब लगभग 2,69,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए गए और 804 अखबारों को डीएवीपी ने अपनी विज्ञापन सूची से बाहर निकाल दिया है। इस कदम से समाचार पत्रों के संचालकों में हड़कम्प मच गया है.
पिछले काफी समय से सरकार ने समाचार पत्रों की धांधलियों को रोकने के लिए सख्ती की है।आरएनआई ने समाचार पत्रों के टाइटल की समीक्षा शुरू कर दी है। समीक्षा में समाचार पत्रों की विसंगतियां सामने आने पर प्रथम चरण में आरएनआई ने प्रिवेंशन ऑफ प्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत देश के 2,69,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए।
इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के अखबार-मैग्जीन (संख्या 59703) और फिर उत्तर प्रदेश के अखबार-मैग्जीन (संख्या 36822) हैं.
इन के अलावा कितने टाइटिल निरस्त हुए हैं।
सूची देखें।
बिहार 4796,उत्तराखंड 1860,गुजरात 11970,
हरियाणा 5613,हिमाचल प्रदेश 1055,
छत्तीसगढ़ 2249,झारखंड 478,कर्नाटक 23931,
केरल 15754,गोआ 655,मध्य प्रदेश 21371,
मणिपुर 790,मेघालय 173,मिजोरम 872,
नागालैंड 49,उड़ीसा 7649,पंजाब 7457,चंडीगढ़ 1560,
राजस्थान 12591, सिक्किम 108,तमिलनाडु 16001,
त्रिपुरा 230, पश्चिम बंगाल 16579, अरुणाचल प्रदेश 52,
असम 1854,लक्षद्वीप 6,
दिल्ली 3170 पुडुचेरी 523.
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उन हजारों लोगों की अकल ठिकाने आ गई है जो अखबारों पत्रिकाओं की आड़ में सिर्फ और सिर्फ सरकारी विज्ञापन हासिल करने की जुगत में लगे रहते थे और उनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था।
केवल 50-100 फाइल कोपियां छापें और सरकारी विज्ञापन मिले तब केवल विभाग में बिल भेज कर भुगतान लेले। पत्र पत्रिका का कोई कार्यालय तक नहीं और मालिक किसी अन्य काम में लगा हुआ।
एक बार टाइटल मंजूर करवा लेते और फिर हमेशा के लिए मालिक बन जाते। यहां तक कि टाइटल आगे बेचने का धंधा करते।
अनेक अखबार पत्रिका के जरिए ब्लैकमेलिंग और उगाही के धंधे में भी लिप्त।
सरकार द्वारा सख्ती के इशारे के बाद आरएनआई यानि समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय और डीएवीपी यानि विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय काफी सख्त हो चुके हैं।
समाचार पत्र के संचालन में जरा भी नियमों को नजरअंदाज किया गया तो आरएनआई समाचार पत्र के टाईटल पर रोक लगाने को तत्पर होता जा रहा है और डीएवीपी विज्ञापन देने पर प्रतिबंध लगा रहा है।
देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब लगभग 2,69,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए गए और 804 अखबारों को डीएवीपी ने अपनी विज्ञापन सूची से बाहर निकाल दिया है। इस कदम से समाचार पत्रों के संचालकों में हड़कम्प मच गया है.
पिछले काफी समय से सरकार ने समाचार पत्रों की धांधलियों को रोकने के लिए सख्ती की है।आरएनआई ने समाचार पत्रों के टाइटल की समीक्षा शुरू कर दी है। समीक्षा में समाचार पत्रों की विसंगतियां सामने आने पर प्रथम चरण में आरएनआई ने प्रिवेंशन ऑफ प्रापर यूज एक्ट 1950 के तहत देश के 2,69,556 समाचार पत्रों के टाइटल निरस्त कर दिए।
इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के अखबार-मैग्जीन (संख्या 59703) और फिर उत्तर प्रदेश के अखबार-मैग्जीन (संख्या 36822) हैं.
इन के अलावा कितने टाइटिल निरस्त हुए हैं।
सूची देखें।
बिहार 4796,उत्तराखंड 1860,गुजरात 11970,
हरियाणा 5613,हिमाचल प्रदेश 1055,
छत्तीसगढ़ 2249,झारखंड 478,कर्नाटक 23931,
केरल 15754,गोआ 655,मध्य प्रदेश 21371,
मणिपुर 790,मेघालय 173,मिजोरम 872,
नागालैंड 49,उड़ीसा 7649,पंजाब 7457,चंडीगढ़ 1560,
राजस्थान 12591, सिक्किम 108,तमिलनाडु 16001,
त्रिपुरा 230, पश्चिम बंगाल 16579, अरुणाचल प्रदेश 52,
असम 1854,लक्षद्वीप 6,
दिल्ली 3170 पुडुचेरी 523.
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