अस्सी हजार की रिश्वत में किस किस का हिस्सा था?
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़, 15 जून 2016.
नगरपालिका सूरतगढ़ के लिपिक राजकुमार छाबड़ा के रिश्वत में पकड़े जाने के बाद से अध्यक्ष और ईओ दोनों के होंठ चिपक गए हैं जैसे मिर्गी में दांत भिंच जाते हैं। अस्सी हजार रूपए की रकम रिश्वत में लिया जाना ही अध्यक्ष व ईओ पर सवाल खड़े करता है।
पालिकाध्यक्ष काजल छाबड़ा और ईओ प्रियंका बुडानिया पर आरोप और सवाल इस लिए उठ रहे हैं कि जो कार्य किया जाने के लिए रिश्वत ली गई वह दोनों के हस्ताक्षर के बिना नहीं होता।
राजकुमार छाबड़ा व 1 ठेकेदार राकेश को 13 जून को गिरफ्तार किया गया था और तीसरे दिन बीतने तक दोनों ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की।
सीधा सवाल है कि अध्यक्ष और ईओ का हिस्सा था या नहीं था? दोनों ने अभी तक क्यों नहीं कहा कि उनका कोई लेना देना नहीं है।
प्रेस के माध्यम से जनता के सामने अपना दामन पाक साफ बतलाने में चुपी क्यों है? लोगों के सवाल तब तक उठते रहेंगे जब तक दोनों अपनी स्थिति साफ नहीं करती हैं।
नगरपालिका में खुले भ्रष्टाचार के आरोप लगभग रोजाना ही लगते रहे हैं और कभी भी खंडन नहीं किया गया। यह भी नहीं कहा गया कि रिश्वत रोकेंगे।
नगरपालिका की बैठक में खुले रूप में 25 प्रतिशत कमीशन की बात कही गई और हर अखबार में छपी लेकिन उसका खंडन नहीं किया। इसलिए आज यह सवाल और मजबूत हो गया कि पालिका में भ्रष्टाचार है।
पालिकाध्यक्ष काजल छाबड़ा |
ईओ प्रियंका बुडानिया |
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