तुरन्या का नृत्य
झिलमिलाते पंखों
में से आती
ध्वनि तरंगे
जो सुन पाया
मैं
मुझे प्यार करो
मुझे प्यार करो
तितिली सी कोमल
तुरन्या
और मोहक नृत्य
कितने भाव
बदन में
कितने चंचल नयनों में।
वह तो उड़ती
पलक झपक
क्या मैं उसे
पकड़ पाऊंगा?
मैं सोच रहा था
देख रहा था
उसका नृत्य
खोया था उसमें
ना जाने कैसे हाथ खुला
वह आ बैठी
हथेली में
नृत्य करती
इठलाती
और सुरीली आवाज
आई
मुझे प्यार करो
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करणीदानसिंह राजपूत
पत्रकार,
सूरतगढ़
94143 81356