विशेष- करणीदानसिंह राजपूत -
नगर निकाय संस्थाओं की सीमा में इन नियमों से आवंटित भूखंड सही आवंटन में आते हैं।
इन नियमों को छुपा कर,अनदेखी कर आवंटित किए गए और लिए गए, गलत झूठी,फर्जी दस्तावेजों से प्राप्त भूखंड भ्रष्टाचार की श्रेणी में आते हैं।
इन नियमों को छुपा कर,अनदेखी कर आवंटित किए गए और लिए गए, गलत झूठी,फर्जी दस्तावेजों से प्राप्त भूखंड भ्रष्टाचार की श्रेणी में आते हैं।
निकाय के अध्यक्ष,सदस्य,आवंटन कमेटी के सदस्य पत्रकारों को भूखंड आवंटन में नियमों की अनदेखी कर कार्य करते हैं ताकि पत्रकार खुश रहें,लेकिन इसमें लेने और देने वाले दोनों ही कानून की नजर में दोषी और दंड के पात्र होते हैं।
आजकल कई स्थानों पर पत्रकारों को आवंटित भूखंडों पर आरोप लगे हैं तथा कई स्थानों पर मुकद्दमें भी हो चुके हैं।
यहां पर एक महत्वपूर्ण सवाल पैदा होता है कि भूखंड प्राप्ति के लिए कोई पत्रकार बन कर आवंटन का आवेदन करता है या करती है,या नियमों को पूर्ण नहीं करता अथवा नहीं करती है तब उनको नियम विरूद्ध आवंटन कर अधिकारी क्यों कानून के दायरे में आ कर मुकद्दमों में फंसते हैं और अपनी लाखों रूपए की नौकरी को दांव पर लगाते हैं? कुछ लोगों का घर बसाने के चक्कर में अपना बसा बसाया घर उजाडऩा और अपने परिवार की जिंदगी को खराब करना मूर्खता ही कही जाएगी।
निकाय बोर्डों के अध्यक्ष व सदस्य स्थानीय होते हैं वे लिहाज से अथवा किसी लाभ के लिए गलत कार्य करने को तत्पर हो सकते हैं,लेकिन अधिकारियों को जो साल दो साल के लिए एक स्थान पर आते हैं,उनको फर्जीवाड़ा करने की जरूरत क्यों रहती है?
up date on 29-12-2015.
up date on 3-5-2016.
Up date on 22-1-2017.
Up date on 28-6-2017.