रविवार, 9 अगस्त 2020

राजस्थान में भ्रष्टाचार की चुप्पी पर बढती रिश्वतखोरी * सरकार और विपक्ष दोनों ही सख्त नहीं-


** जरूरत मंद पर दबाव डाल कर ली जाती है रिश्वत**

* करणीदानसिंह राजपूत *
राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाईयां बड़े बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारियां होने के समाचार आए दिन समाचार पत्रों में और टीवी चैनलों में सचित्र प्रकाशित प्रसारित हो रहे हैं।
आश्चर्य यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद कोई रोक-टोक नहीं। कोई जागृति नहीं। रिश्वत का लेना और देना निरंतर जारी है।
बड़े बड़े अधिकारी जिनका वेतन प्रतिमाह लाखों रुपए में है वे भी रिश्वत लेने में अपनी मान मर्यादा का ध्यान नहीं रख रहे।
राजस्थान में रोजाना ही कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई होती है, गिरफ्तारियां होती है लेकिन मुख्यमंत्री अन्य मंत्री गण बड़े अधिकारी और जिले के अंदर जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक के मुंह से भ्रष्टाचार करने वालों के विरुद्ध एक शब्द भी सुनने को नहीं मिलता।
यह भी आश्चर्य है कि जब जब गिरफ्तारियां होती है तब तब मंत्रियों अधिकारियों की छोड़ें अन्य राजनीतिक दलों के पदाधिकारी गण बुद्धिजीवियों की तरफ से भी कोई वक्तव्य देखने को पढ़ने को नहीं मिलता।
भ्रष्टाचार में रिश्वत लेना और देना सामान्य भोजन जैसा मान लिया गया है।यह शिथिलता जरूरतमंद लोगों के लिए अभिशाप बनी हुई है। अधिकारीगण काम नहीं करते इसलिए जरूरतमंद व्यक्ति को मजबूरी में और दबाव में रिश्वत के पैसे जुटाने और देने पड़ रहे हैं।
चाहे सामान्य प्रशासन हो शिक्षा विभाग हो पुलिस विभाग हो और अन्य विभागों में भी मॉनिटरिंग होती है अधिकारी होते हैं लेकिन इन अधिकारियों की नजरों में फाईलें नहीं आती। फाईलें पूर्ण होने के बाद भी हस्तक्षरों के लिए पड़ी रहती हैं।
यह भी होता है कि संबंधित बाबू काम पूरा कर लेता है लेकिन इसके बावजूद अधिकारी फाइल पेश करने के लिए आदेश नहीं देता। अधिकारी रिश्वत का दबाव देता है। यदि बाबू फाइल पेश कर देता है तो भी अधिकारी कहता है कि कागजात मांगे जाने पर ही पेश करें और अपनी मनमर्जी से फाइल पेश कैसे कर दी। इस तरीके से यह फाइल संबंधित बाबुओं के ही पास पड़ी रहती है।
एक सुझाव काफी समय से चलता रहा है कि हर संबंधित बाबू और अधिकारी इंजीनियर का
हस्ताक्षर पूरा हो उसके नीचे उसकी मोहर हो और तारीख और समय हो। ऐसी हालत में फाइल जहां रुकेगी वह जिम्मेदार होगा लेकिन भ्रष्टाचार के चकाचौंध में यह सुझाव सिरे नहीं चढ़ पाय। इस सुझाव में हस्ताक्षर की घुग्गी मार कर बचने वाले भी जांच आदि में बच नहीं सकते।
इस सुझाव में कोई कमी नहीं है लेकिन इस पर सरकार के दिग्गज मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी भी जानबूझकर कार्य करना नहीं चाहते। सरकार ऐसे निर्देश के सर्कुलर जारी नहीं करना चाहती।
अधिकारियों के निरीक्षण के समय सभी प्रकार के निर्देश समाचार पत्रों में छपते हैं लेकिन किसी भी अधिकारी का यह निर्देश नहीं छपता कि उसने रिश्वत नहीं लेने का निर्देश दिया है।
उसने कठोरता से कहा है कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
*राजस्थान के हर जिले के लिए प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव  है। ये भी जिलों में एक दो दिन के लिए साल भर में पांच छह बार पहुंचते हैं,मगर इनके मुख और कार्वाई से भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी पर रोक लगाने जैसा समाचार नहीं मिलता।*

मंत्रियों,अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं और अन्य बुद्धिमानों की यह शिथिलता भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।००
9 अगस्त 2020.
लेख- 


करणीदानसिंह राजपूत
स्वतंत्र पत्रकार( सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़
94143 81356.
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