मंगलवार, 24 जनवरी 2017

क्या महात्मा गांधी को सचमुच सेक्स की बुरी लत थी?

राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की कथित सेक्स लाइफ़ पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है.

 
 लंदन के प्रतिष्ठित अख़बार “द टाइम्स” के मुताबिक गांधी को कभी भगवान की तरह पूजने वाली 82 वर्षीया गांधीवादी इतिहासकार कुसुम वदगामा ने कहा है कि गांधी को सेक्स की बुरी लत थी, वह आश्रम की कई महिलाओं के साथ निर्वस्त्र सोते थे, वह इतने ज़्यादा कामुक थे कि ब्रम्हचर्य के प्रयोग और संयम परखने के बहाने चाचा अमृतलाल तुलसीदास गांधी की पोती और जयसुखलाल की बेटी मनुबेन गांधी के साथ सोने लगे थे. ये आरोप बेहद सनसनीख़ेज़ हैं क्योंकि किशोरावस्था में कुसुम भी गांधी की अनुयायी रही हैं. कुसुम, दरअसल, लंदन में पार्लियामेंट स्क्वॉयर पर गांधी की प्रतिमा लगाने का विरोध कर रही हैं. बहरहाल, दुनिया भर में कुसुम के इंटरव्यू छप रहे हैं.


वैसे तो महात्मा गांधी की सेक्स लाइफ़ पर अब तक अनेक किताबें लिखी जा चुकी हैं. जो ख़ासी चर्चित भी हुई हैं. मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जेड ऐडम्स ने पंद्रह साल के गहन अध्ययन और शोध के बाद 2010 में “गांधी नैकेड ऐंबिशन” लिखकर सनसनी फैला दी थी. किताब में गांधी को असामान्य सेक्स बीहैवियर वाला अर्द्ध-दमित सेक्स-मैनियॉक कहा गया है. किताब राष्ट्रपिता के जीवन में आई लड़कियों के साथ उनके आत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डालती है. मसलन, गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते थे और नग्न स्नान भी करते थे.

देश के सबसे प्रतिष्ठित लाइब्रेरियन गिरिजा कुमार ने गहन अध्ययन और गांधी से जुड़े दस्तावेज़ों के रिसर्च के बाद 2006 में “ब्रम्हचर्य गांधी ऐंड हिज़ वीमेन असोसिएट्स” में डेढ़ दर्जन महिलाओं का ब्यौरा दिया है जो ब्रम्हचर्य में सहयोगी थीं और गांधी के साथ निर्वस्त्र सोती-नहाती और उन्हें मसाज़ करती थीं. इनमें मनु, आभा गांधी, आभा की बहन बीना पटेल, सुशीला नायर, प्रभावती (जयप्रकाश नारायण की पत्नी), राजकुमारी अमृतकौर, बीवी अमुतुसलाम, लीलावती आसर, प्रेमाबहन कंटक, मिली ग्राहम पोलक, कंचन शाह, रेहाना तैयबजी शामिल हैं. प्रभावती ने तो आश्रम में रहने के लिए पति जेपी को ही छोड़ दिया था. इससे जेपी का गांधी से ख़ासा विवाद हो गया था.

तक़रीबन दो दशक तक महात्मा गांधी के व्यक्तिगत सहयोगी रहे निर्मल कुमार बोस ने अपनी बेहद चर्चित किताब “माई डेज़ विद गांधी” में राष्ट्रपिता का अपना संयम परखने के लिए आश्रम की महिलाओं के साथ निर्वस्त्र होकर सोने और मसाज़ करवाने का ज़िक्र किया है. निर्मल बोस ने नोआखली की एक ख़ास घटना का उल्लेख करते हुए लिखा है, “एक दिन सुबह-सुबह जब मैं गांधी के शयन कक्ष में पहुंचा तो देख रहा हूं, सुशीला नायर रो रही हैं और महात्मा दीवार में अपना सिर पटक रहे हैं.” उसके बाद बोस गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग का खुला विरोध करने लगे. जब गांधी ने उनकी बात नहीं मानी तो बोस ने अपने आप को उनसे अलग कर लिया.

ऐडम्स का दावा है कि लंदन में क़ानून पढ़े गांधी की इमैज ऐसा नेता की थी जो सहजता से महिला अनुयायियों को वशीभूत कर लेता था. आमतौर पर लोगों के लिए ऐसा आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था. आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन था कि गांधी की इमैज 20 वीं सदी के धर्मवादी नेता जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश जैसी बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स-अपील से अनुयायियों को वश में कर लेते थे. ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे. इतिहास के तमाम अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और अपनी इच्छा दमित करने के लिए ही कठोर परिश्रम का अनोखा तरीक़ा अपनाया. ऐडम्स के मुताबिक जब बंगाल के नोआखली में दंगे हो रहे थे तक गांधी ने मनु को बुलाया और कहा “अगर तुम मेरे साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते. आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें.”

किताब में महाराष्ट्र के पंचगनी में ब्रह्मचर्य के प्रयोग का भी वर्णन है, जहां गांधी के साथ सुशीला नायर नहाती और सोती थीं. ऐडम्स के मुताबिक गांधी ने ख़ुद लिखा है, “नहाते समय जब सुशीला मेरे सामने निर्वस्त्र होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं. मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता. मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है. मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ़ अंतःवस्त्र पहनी होती है.” दरअसल, जब पंचगनी में गांधी के महिलाओं के साथ नंगे सोने की बात फैलने लगी तो नथुराम गोड्से के नेतृत्व में वहां विरोध प्रदर्शन होने लगा. इससे गांधी को प्रयोग बंद कर वहां से बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा. बाद में गांधी हत्याकांड की सुनवाई के दौरान गोड्से के विरोध प्रदर्शन को गांधी की हत्या की कई कोशिशों में से एक माना गया.

ऐडम्स का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु, आभा और अन्य महिलाएं गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा गोल-मटोल और अस्पष्ट बाते करती रहीं. उनसे जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह सब ब्रम्हचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग था. गांधी की हत्या के बाद लंबे समय तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर भी लीपापोती की जाती रही. उन्हें महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजों, तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया गया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी, दरअसल, सेक्स-मैनियॉक थे. कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी के सेक्स-एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच छुपाती रही है. गांधी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सख़्त हिदायत दी गई. उसे गुजरात में एक बेहद रिमोट इलाक़े में भेज दिया गया. सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप्पी साधे रही. सबसे दुखद बात यह है कि गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग में शामिल क़रीब-क़रीब सभी महिलाओं का वैवाहिक जीवन नष्ट हो गया.

ब्रिटिश इतिहासकार के मुताबिक गांधी के ब्रह्मचर्य के चलते जवाहरलाल नेहरू उनको अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानते थे. सरदार पटेल और जेबी कृपलानी ने उनके व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली थी. गिरिजा कुमार के मुताबिक पटेल गांधी के ब्रम्हचर्य को अधर्म कहने लगे थे. यहां तक कि पुत्र देवदास गांधी समेत परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी ख़फ़ा थे. बीआर अंबेडकर, विनोबा भावे, डीबी केलकर, छगनलाल जोशी, किशोरीलाल मश्रुवाला, मथुरादास त्रिकुमजी, वेद मेहता, आरपी परशुराम, जयप्रकाश नारायण भी गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग का खुला विरोध कर रहे थे.

गांधी की सेक्स लाइफ़ पर लिखने वालों के मुताबिक सेक्स के जरिए गांधी अपने को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे रहे. नवविवाहित जोड़ों को अलग-अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे. रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी विद्वान और ख़ूबसूरत सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध तो जगज़ाहिर है. हालांकि, गांधी यही कहते रहे कि सरला उनकी महज “आध्यात्मिक पत्नी” हैं. गांधी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग को भी भावुक प्रेमपत्र लिखते थे. इस्टर जब आश्रम में आती तो वहां की बाकी महिलाओं को जलन होती क्योंकि गांधी उनसे एकांत में बातचीत करते थे. किताब में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया.

दरअसल, ब्रिटिश चांसलर जॉर्ज ओसबॉर्न और पूर्व विदेश सचिव विलियम हेग ने पिछले महीने गांधी की प्रतिमा को लगाने की घोषणा की थी. मगर भारतीय महिला के ही विरोध के कारण मामला विवादित और चर्चित हो गया है. अपने इंटरव्यू में कभी महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलाने वाली कुसुम ने उनकी निजी ज़िंदगी पर विवादास्पद बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया है. कुसुम ने कहा, “बड़े लोग पद और प्रतिष्ठा का हमेशा फायदा उठाते रहे हैं. गांधी भी इसी श्रेणी में आते हैं. देश-दुनिया में उनकी प्रतिष्ठा की वजह ने उनकी सारी कमजोरियों को छिपा दिया. वह सेक्स के भूखे थे जो खुद तो हमेशा सेक्स के बारे में सोचा करते थे लेकिन दूसरों को उससे दूर रहने की सलाह दिया करते थे. यह घोर आश्चर्य की बात है कि धी जैसा महापुरूष यह सब करता था. शायद ऐसा वे अपनी सेक्स इच्छा पर नियंत्रण को जांचने के लिए किया करते हों लेकिन आश्रम की मासूम नाबालिग बच्चियों को उनके इस अपराध में इस्तेमाल होना पड़ता था. उन्होंने नाबालिग लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं के लिए इस्तेमाल किया जो सचमुच विश्वास और माफी के काबिल बिलकुल नहीं है.” कुसुम का कहना है कि अब दुनिया बदल चुकी है. महिलाओं के लिए देश की आजादी और प्रमुख नेताओं से ज्यादा जरूरी स्वंय की आजादी है. गांधी पूरे विश्व में एक जाना पहचाना नाम है इसलिए उन पर जारी हुआ यह सच भी पूरे विश्व में सुना जाएगा.

दरअसल, महात्मा गांधी हत्या के 67 साल गुज़र जाने के बाद भी हमारे मानस-पटल पर किसी संत की तरह उभरते हैं. अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का चश्मा पहने लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा-स्त्रियों को लाठी के रूप में सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता-फिरता है. आख़िरी क्षण तक गांधी ऐसे ही राजसी माहौल में रहे. मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई. कुसुम के मुताबिक दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आध्यात्मिक नेता हैं. अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं जो दुनिया को सविनय अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है. कहना न भी ग़लत नहीं होगा कि दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के कोने-कोने में मानव अधिकार आंदोलनों को ऊर्जा दी, उन्हें प्रेरित किया.



लेखक हरिगोविंद विश्वकर्मा कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर कार्य कर चुके हैं. उनका यह लिखा उनके ब्लाग से साभार लेकर भड़ास पर प्रकाशित किया गया है.
भड़ास से साभार  

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